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बीसीसीआई का साथ...और अफगान टीम बन गई शोला ! वर्ल्ड चैम्पियन टीमों को दे रही पटखनी

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बीसीसीआई का साथ...और अफगान टीम बन गई शोला ! वर्ल्ड चैम्पियन टीमों को दे रही पटखनी

स्पोर्ट्स/क्रिकेट/Delhi/New Delhi :

भारत की मेजबानी में खेले जा रहे वर्ल्ड कप 2023 में अफगानिस्तान टीम ने वर्ल्ड चैम्पियन इंग्लैंड और फिर पाकिस्तान को हराकर सभी को चैंका दिया। यह टीम अपने करियर में इससे पहले भी पाकिस्तान, श्रीलंका और वेस्टइंडीज जैसी बड़ी टीमों को पटखनी दे चुकी है। मगर इस अफगानिस्तानी टीम के यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है। उनके विकास में भारत का बड़ा हाथ रहा है।

आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप 2023 में अफगानिस्तान क्रिकेट टीम ने धमाकेदार प्रदर्शन कर चैंका दिया है। उसने एक नहीं, बल्कि 2 ऐसे बड़े उलटफेर किए हैं, जिससे वह खेल जगत में लगातार सुर्खियां बटोर रहा है। पहले उसने 2019 की वर्ल्ड कप विजेता इंग्लैंड को 69 रनों से धूल चटाई। इसके बाद 1992 की वर्ल्ड कप चैम्पियन पाकिस्तान को 8 विकेट से रौंद दिया। 
इस दूसरी जीत के बाद कई दिग्गजों ने अपनी राय बदल ली है। पूर्व भारतीय दिग्गज गौतम गंभीर समेत कई धुरंधरों का मानना है कि अब अफगानिस्तानी टीम को कमजोर नहीं आंकना चाहिए। वो पाकिस्तान से बेहतर खेल रही है। यदि पाकिस्तान की टीम जीतती, तो उसे उलटफेर मान सकते थे।
वर्ल्ड क्लास स्पिनर्स से सजी है अफगान टीम
पाकिस्तान को हराने के बाद अफगानिस्तान ने यह साबित कर दिया है कि उसकी जीत को उलटफेर ना माना जाए। राशिद खान, मुजीब उर रहमान, मोहम्मद नबी जैसे वर्ल्ड क्लास स्पिनर्स से सजी अफगानिस्तान टीम ने बताया कि वो अब किसी भी टीम को आसानी से धूल चटाने की काबिलियत रखती है। हालांकि यही दोनों अकेले मैच नहीं हैं, जिसमें अफगान टीम ने शानदार जीत दर्ज की हो। इससे पहले भी उसने इंटरनेशनल क्रिकेट में पाकिस्तान, श्रीलंका और वेस्टइंडीज जैसी बड़ी टीमों को कई बार शिकस्त दी है। अफगानिस्तानी टीम ने बांग्लादेश और जिम्बाब्वे को भी कई बार सीरीज और मुकाबलों में करारी शिकस्त दी है।
कहां से मिली अफगानिस्तान को ताकत
एक समय सबसे कमजोर आंकी जाने वाली अफगानिस्तानी टीम आखिर अब इतनी खूंखार कैसे बन गई है? ऐसा उसने क्या किया, जिससे उसमें यह अद्भुत शक्ति आ गई है? इन सवालों का यदि एक जवाब तलाशा जाए, तो वो भारत की दोस्ती है। अफगानिस्तान और भारत के बीच राजनीतिक और खेलों में हर तरह से काफी अच्छे रिश्ते हैं।
भारत की गोद में पला-बढ़ा अफगान क्रिकेट
यही कारण भी है कि अफगानिस्तान क्रिकेट पूरी तरह से भारत की गोद में ही पला-बढ़ा है। टीम के सभी खिलाड़ियों को बीसीसीआई ने हर संभव मदद की है। उन्हें ग्राउंड, तकनीक, स्टाफ और बाकी कई साधन उपलब्ध कराए हैं। कई मौकों पर अफगान क्रिकेट भी इस बात को स्वीकार कर चुका है। अफगानिस्तान में एक भी इंटरनेशनल स्टेडियम नहीं है। उसने अब तक अपने घर में एक भी इंटरनेशनल मैच नहीं खेला है। मगर उसने भारत की तीन स्टेडियम को अपना घरेलू मैदान माना है। उसने कई मौकों पर यहां सीरीज भी खेली है। यह तीन स्टेडियम लखनऊ, ग्रेटर नोएडा और देहरादून हैं। 
भारतीय वेन्यू पर कई घरेलू सीरीज खेल चुका अफगान
अफगान टीम ने अपनी पहली इंटरनेशनल द्विपक्षीय सीरीज अगस्त 2009 में नीदरलैंड्स के खिलाफ उसी के घर में खेली थी। इसके बाद उसने 2017 के दौरान भारतीय जमीन पर अपनी पहली टी20 और वनडे सीरीज आयरलैंड के खिलाफ खेली थी। सभी मैच ग्रेटर नोएडा में हुए थे। इससे पहले वो यूएई में अपनी होम सीरीज खेलता था। अफगानिस्तान ने जून 2018 में अपनी घरेलू टी20 सीरीज देहरादून में बांग्लादेश के खिलाफ खेली थी। उसने पहला टेस्ट मैच भी भारत के खिलाफ बेंगलूरु में खेला था। उसके बाद अफगान टीम ने कई टीमों के खिलाफ अपनी घरेलू वनडे, टी20 और टेस्ट सीरीज भारत में ही खेलीं। उसने लखनऊ में भी कुछ सीरीज खेली। हालांकि इन्हें न्यूट्रल वेन्यू माना जाता रहा।
अफगान टीम ने वर्ल्ड कप में जीता दूसरा मैच
वर्ल्ड कप में अफगान टीम ने 2015 से खेलना शुरू किया है। तब से अब तक वर्ल्ड कप में कुल 20 मैच खेले, जिसमें से 3 जीते हैं। इन तीन में से दो बड़े उलटफेर किए। डिफेंडिंग चैम्पियन इंग्लैंड को हराने के बाद पाकिस्तान को भी शिकस्त दी है। मौजूदा वर्ल्ड कप में अब अफगान टीम को श्रीलंका, नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका से मैच खेलने हैं। इनमें से कुछ मैच जीत लेती है, तो टूर्नामेंट काफी रोमांचक हो जाएगा।
इन टीमों से कोई इंटरनेशनल मैच नहीं जीता अफगान
भारत - 10 मैच
साउथ अफ्रीका - 3 मैच
ऑस्ट्रेलिया - 4 मैच
नेपाल - 1 मैच
न्यूजीलैंड  - 3 मैच
आतंक और दहशत के बीच ऐसे फला-फूल क्रिकेट
यहां एक अहम बात समझनी होगी कि अफगान क्रिकेट टीम का यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है। उसका इतिहास आतंक और दहशत से भरा हुआ है। इन सबके बीच में क्रिकेट का फलना-फूलना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा। कई बार देश को गृहयुद्ध से जूझना पड़ा। सरकार बदलीं। तालिबान से संघर्ष हुआ। तालिबान का राज आया। मगर इन सबके बीच में क्रिकेट ने धीरे-धीरे रेंगते हुए अपनी चाल कायम रखी।
अफगानिस्तान में कोई स्टेडियम भी नहीं
इसी का नतीजा है कि आज यह टीम यहां तक पहुंची है। सबसे बड़ी बात यह भी है कि अफगानिस्तान में कोई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम भी नहीं है। उसने कोई इंटरनेशनल मैच की मेजबानी नहीं की है, जबकि तंजानिया, थाईलैंड, युगांडा, जर्सी, केन्या और हॉन्ग कॉन्ग जैसे कई देश मेजबानी कर चुके हैं। मगर अफगानिस्तान क्रिकेट को आगे बढ़ाने में भारत का अहम रोल रहा है।
ऐसे हुआ अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड का गठन
अफगानिस्तान में क्रिकेट का इतिहास 1839 से माना जाता है, जब काबुल में ब्रिटिश सैनिकों ने कुछ मैच खेले थे। मगर 1990 के दशक तक देश में अशांति का माहौल था। ऐसे में क्रिकेट खेलना आसान नहीं था। इसी बीच पाकिस्तान पहुंचे अफगान शरणार्थियों ने हिम्मत दिखाई और 1995 में अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड का गठन किया। हालांकि इस खेल को मूल रूप से तालिबान द्वारा प्रतिबंधित किया गया था, जो साल 2000 में तालिबान द्वारा अनुमोदित होने वाला एकमात्र खेल बना। अगले ही साल उसने इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) की मान्यता प्राप्त की और सदस्य बन गया। 2013 तक अफगान टीम आईसीसी एसोसिएट सदस्य भी बन गई।
भारत में करता है मैचों की मेजबानी
दरअसल, अफगानिस्तान में युद्ध शुरू होने के बाद उन्हें अपने देश में क्रिकेट खेलने में परेशानी आना शुरू हुई थी। उनसे कहा गया कि वे अपने घरेलू मैच किसी अन्य देश में खेलें। तब भारत से अच्छे संबंधों के कारण बीसीसीआई ने उनकी मदद की। अफगानिस्तान क्रिकेट टीम अपने सभी मैचों की मेजबानी भारत में ही करता है। वे अपने मैच नोएडा और देहरादून में आयोजित कराते हैं। 
2015 में पहली बार खेला वनडे वर्ल्ड कप
एसोसिएट सदस्य बनने से पहले अफगान टीम ने पाकिस्तानी घरेलू क्रिकेट में दूसरे टियर के मैच खेले थे। इसी दौरान उनका देश अमेरिकी हमले झेल रहा था। मगर अफगान टीम ने हार नहीं मानी और पाकिस्तान से बाहर पूरे एशिया में पैर पसारना शुरू किया। 2011 वर्ल्ड कप में अफगान टीम क्वालिफाई नहीं कर सकी, लेकिन उसने अगले यानी 2015 वर्ल्ड कप से पहले वनडे का दर्जा हासिल किया और फिर वर्ल्ड कप में भी एंट्री कर ली। यहां उसने दो मैच हारने के बाद तीसरे मुकाबले में स्कॉटलैंड के शिकस्त देकर जीत का खाता खोला।
अफगानिस्तान क्रिकेट टीम ने 2009-10 और 2015-17 में आईसीसी का इंटरकॉन्टिनेंटल कप जीता, जबकि 2011-13 में वो उपविजेता रहे थे। इसके बाद अफगान टीम ने डिवीजन 5, डिवीजन 4 और डिवीजन 3 का खिताब जीता। इसके बाद 2017 के आसपास टीम को आयरलैंड के साथ टेस्ट का दर्जा भी मिल गया। अफगानिस्तान और आयरलैंड 11वें और 12वें टेस्ट स्टेटस पाने वाले देश बने। 
भारत के खिलाफ खेला था पहला टेस्ट मुकाबला
अफगानिस्तान ने अपना पहला टेस्ट मुकाबला भारतीय टीम के खिलाफ खेला। यह मैच जून 2018 में बेंगलुरु के मैदान पर खेला गया था। यह टेस्ट मैच 2 दिन में ही खत्म हो गया था, जिसमें अफगान टीम को पारी और 262 रनों से हार का सामना करना पड़ा था। अफगान टीम के इतिहास में कई शानदार खिलाड़ी आए, जिन्होंने बड़ी-बड़ी टीमों को टक्कर दी। मोहम्मद नबी इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे अधिक रन 5052 बनाने वाले अफगानी बल्लेबाज हैं। जबकि स्पिनर राशिद खान इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे अधिक 340 विकेट लेने वाले अफगानी गेंदबाज हैं। 

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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