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फलोदी सट्टा बाजार किसे दे रहा सत्ता? जानें नतीजों से पहले सटोरियों की भविष्यवाणी

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फलोदी सट्टा बाजार किसे दे रहा सत्ता? जानें नतीजों से पहले सटोरियों की भविष्यवाणी

राजनीति//Rajasthan/Jaipur :

फलोदी सट्टा बाजार काफी प्रसिद्ध है। जानकारों का कहना है कि यहां पारंपरिक रूप से करीब 500 सालों से सट्टा खेला जा रहा है। वैसे फलोदी शहर श्नमक नगरीश् के नाम से भी प्रसिद्ध है।

लोकसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को आ रहे हैं। एक्जिट पोल सहित देशभर के तमाम सट्टा बाजार अपनी-अपनी तरफ से एनडीए और इंडिया गठबंधन की जीत के दावे कर रहे हैं। ऐसे में राजस्थान के फलोदी के सट्टा बाजार पर भी सभी की नजरें हैं। चुनाव हो या क्रिकेट मैच फलोदी सट्टा बाजार हमेशा सुर्खियों में रहता है। ये सट्टा बाजार देश से लेकर विदेशों तक अपनी सटीक भविष्यवाणी के लिए मशहूर है। ऐसे में चुनाव खत्म होने के बाद आने वाले नतीजों को लेकर उसका आकलन बेहद दिलचस्प है।

इस बार फलोदी सट्टा बाजार के आंकड़े देश भर में हुए एक्जिट पोल के नतीजों से काफी हद तक मेल खाते हैं। सट्टा बाजार ने बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलने का अनुमान जताया है। फलोदी सट्टा बाजार का आकलन है कि बीजेपी एक बार फिर से 2014 का अपना प्रदर्शन दोहरा सकती है, यानि वो इस बार भी 300 से 305 सीटें जीत सकती है। वहीं एनडीए को 350 के आसपास सीटें मिल सकती है।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 70-75 सीटों का अनुमान
वहीं फलोदी सट्टा बाजार के अनुसार राज्यों की बात करें तो गुजरात में बीजेपी को सभी 26 सीटें, उत्तर प्रदेश में 70-75, कर्नाटक में एनडीए को 20 सीटें और राजस्थान में भी 20 के आसपास सीटें मिल सकती हैं। साथ ही एमपी में 25-27, ओडिशा में 11-12, हरियाणा में 5-6, छत्तीसगढ़ और झारखंड में 10-11, तेलंगाना में 5-6 और दिल्ली में 5-6 सीटें मिलने का अनुमान है। साथ ही हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सभी सीटें बीजेपी के खाते में जाती दिख रही है।
किसकी बनेगी सरकार?
543 सीटों पर हुए चुनाव के बाद सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद है। किसको कितनी सीटें मिलेंगी? कौन जीतेगा, कौन हारेगा? चारों तरफ इसका आकलन हो रहा है। लोगों की उत्सुकता है कि इस बार किसकी सरकार बनेगी? पार्टियों के दिलों में बेचैनी है कि जनता का मूड क्या है? ऐसे में हार-जीत को लेकर अगर कहीं का सट्टा सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है, तो वो फलोदी का है।
पूरे देश में फलोदी के सट्टा बाजार का नेटवर्क है। इसका कारोबार करोड़ों में बताया जाता है। कहा जाता है कि यहां रोजाना अघोषित तौर पर करोड़ों का सट्टा लगता है। हालांकि फलोदी सट्टा बाजार का गणित उल्टा है। चुनाव में जिस प्रत्याशी का फलोदी सट्टा बाजार कम भाव निकालता है, इसका मतलब ये नहीं कि वो प्रत्याशी कमजोर है। कम पैसे के भाव का मतलब उस प्रत्याशी की जीत की संभावना उतनी ही अधिक मानी जाती है, जिनके भाव ही नहीं निकल रहे, मतलब उनके हार की संभावना ज्यादा है।
जनता के मन में क्या है, ये जानना कोई आसान काम नहीं हैं। ऐसे में ये जानना दिलचस्प है कि ये सटोरिये अनुमान कैसे लगाते हैं और किस जानकारी पर काम करते हैं। इस बाजार के लोगों के दावे हैं कि ये अखबार पढ़ते हैं, मीडिया रिपोर्ट्स देखते हैं। नेताओं की सभाओं में भीड़ देखते हैं, लोगों से बात करते हैं और वोटिंग प्रतिशत देखते हैं।
हालांकि ऐसा भी नहीं है कि सबकी राय एक ही हो। फलोदी के इस बाजार में सबको अपने विचार रखने का हक है। कहा जाता है कि गली-गली घर-घर सट्टा खेला जाता है। किसी ने जूता फेंका तो सीधा गिरेगा या उल्टा, इस बात पर भी सट्टा लग जाता है। कहा जाता है कि फलोदी सट्टा बाजार पर देश की हर मार्केट की नजर रहती है। मुंबई शेयर मार्केट में भी फलोदी वालों की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। बताया जाता है कि यहां के करीब 300 लोग वहां काम करते हैं। फलोदी शहर के बारे में देश के दूसरे हिस्सों में शायद ही कोई ज्यादा जानता हो, लेकिन इसके सट्टा बाजार की चर्चा बेहद गर्म रहती है।
हाल ही में यहां की कई भविष्यवाणियों ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। पिछले साल मई में कर्नाटक में चुनाव हुए थे। फलोदी सट्टा बाजार ने कांग्रेस को 137 और बीजेपी को 55 सीटें दी थीं। नतीजों में कांग्रेस को 135 और बीजेपी को 66 सीटें मिली थीं। इससे पहले 2022 में हिमाचल प्रदेश में कांटे की टक्कर के बीच कांग्रेस की जीत बताई गई थी, और ऐसा हुआ भी।
500 साल से फलोदी में खेला जाता है सट्टा
फलोदी का ये सट्टा बाजार काफी प्रसिद्ध है। ये भी बताया जाता है कि ऐसा सट्टा किसी और जगह नहीं खेला जाता है। हालांकि बीकानेर और शेखावटी में कुछ इसी तरह का सट्टा लगाया जाता है। जानकारों का कहना है कि यहां पारंपरिक रूप से करीब 500 साल से सट्टा खेला जा रहा है। वैसे फलोदी शहर श्नमक नगरीश् के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां गर्मियों में तापमान 50 डिग्री के पार भी पहुंच जाता है। ऐसे में यहां गर्मी के साथ चुनावी तापमान भी बढ़ा हुआ है।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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