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‘हिट-एंड-रन’ कानून में ऐसा क्या बदला, जिसकी वजह से देशभर में हुआ ‘चक्का जाम’

क्राइम

‘हिट-एंड-रन’ कानून में ऐसा क्या बदला, जिसकी वजह से देशभर में हुआ ‘चक्का जाम’

क्राइम //Delhi/New Delhi :

सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में कहा है कि वाहन चालक जो लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं और सड़क पर दुर्घटना करके, जिसमें किसी की मौत हो जाती है, वहां से भाग जाते हैं। ऐसे लोगों पर कार्रवाई सख्त होनी चाहिए। रोड एक्सीडेंट कोविड जितना ही खतरनाक है। कोविड से तीन साल में 5.23 लाख लोगों की मौत हुई, तो वहीं सड़क दुर्घटनाओं में इसी दौरान 4.43 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई है।

नए साल की शुरुआत बड़े पैमाने पर ट्रैफिक जाम और पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारों के साथ हुई। नए साल का जश्न मनाने घर से निकले लोगों ने सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो साझा किए। कुछ शहरों में तो एंबुलेंस भी घंटों जाम में फंसी रहीं, क्योंकि ट्रक ड्राइवर नए हिट-एंड-रन कानून के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
पेट्रोल पंपों पर उमड़ रहे लोग
ड्राइवरों ने सोमवार से देश भर में नेशनल हाइवे और कई अन्य प्रमुख सड़कों को जाम कर तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। इस वजह से न केवल यातायात बाधित हैं, बल्कि ये डर कि कहीं पेट्रोल-डीजल ना खत्म हो जाएं, कई पेट्रोल पंप पर भी लोगों की भीड़ देखी जा रही है। 
भागने और बचाने वालों के एक जैसे कानून थे
सरकार का कहना है कि नए कानून रोड एक्सीडेंट्स में अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने के लिए बनाए गए हैं। पहले रोड एक्सीडेंट में घायल को वहां छोड़कर भाग जाने वाले और घायल को अस्पताल पहुंचाकर उसकी जान बचाने वालों के लिए एक जैसे ही कानून थे, एक जैसी ही सजा थी।
क्या है नए कानून में अलग
अब नए कानून में भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (1) और 106 (2) है, जो इस तरह के गैरइरादतन हत्या के अपराध में लगती हैं। इसके मुताबिक अगर किसी व्यक्ति से गलती से एक्सीडेंट होता है, और वो घायल को अस्पताल लेकर जाता है या पुलिस/मजिस्ट्रेट को तुरंत सूचित करता है, तो ये धारा 106 (1) के अन्तर्गत आएगा, जो जमानती होगा। इसमें अधिकतम 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। कहा जा रहा है कि इससे लोग अपनी जिम्मेदारी निभायेंगे और लोगों की जान बच पाएगी।
एक्सीडेंट कर भागने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान
व्हीं, अगर कोई व्यक्ति एक्सीडेंट के बाद वहां से भाग जाता है, यानी हिट-एंड-रन, तो उस पर धारा 106 (2) लगेगी, जो गैर जमानती अपराध होगा और उसमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। हिट-एंड-रन मामले में 10 साल तक जो प्रावधान बढ़ाया गया है, ये सुप्रीम कोर्ट के ऑब्जर्वेशन के तहत लिखा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में कहा है कि वाहन चालक जो लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं और सड़क पर दुर्घटना करके, जिसमें किसी की मौत हो जाती है वहां से भाग जाते हैं, ऐसे लोगों पर कार्रवाई सख्त होनी चाहिए।
क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़ों की बात करें तो 2021 में हिट एंड रन की 57,415 घटनाएं हुईं हैं, जिनमें 25,938 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। वहीं 2022 में ये आंकड़ा और बढ़ा है। 2022 में 67,387 हिट एंड रन के मामले सामने आए। इनमें 30,486 लोगों की मौत हुई और 54,726 लोग घायल हुए।
हर दिन औसतन 1264 सड़क दुर्घटनाएं 
आंकड़े के मुताबिक, देश में हर दिन औसतन 1264 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 462 लोगों की मौत हो जाती है। 2022 में 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं यानि 2021 की तुलना में 11.9 फीसदी की बढोत्तरी। वहीं 1,68,491 मौत यानि 2021 की तुलना में 9.4 फीसदी की बढोत्तरी। साथ ही, 4,43,366 घायल जो 2021 की तुलना में 15.3 फीसदी अधिक है।
नेशनल हाईवे पर दुर्घटनाएं
नेशनल हाईवे पर दुर्घटनाओं की बात करें तो देश की सड़कों में नेशनल हाईवे का हिस्सा केवल 2.1 फीसदी है, लेकिन दुर्घटनाओं में 32.9 फीसदी और मौत में 36.2 फीसदी हिस्सा है। दुर्घटनाओं के तरीके की बात करें तो पीछे से टक्कर 19.5 फीसदी, हिट एंड रन 18.1 फीसदी और आमने-सामने की टक्कर 15.7 फीसदी है।
क्या होते हैं दुर्घटनाओं के कारण
दुर्घटना का कारण 77 फीसदी ओवर स्पीडिंग, 2.2 फीसदी नशे में गाड़ी चलाना और गलत दिशा में गाड़ी चलाना 4.8 फीसदी है। दुर्घटना के शिकार हुए लोगों की मौत मामले में दोपहिया चालक 44.5 फीसदी, पैदल चलने वाले 19.5 फीसदी और साइकल सवार 2.9 फीसदी हैं।
इन राज्यों में सर्वाधिक हादसे
सबसे अधिक दुर्घटनाएं तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, केरल, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में होती हैं। वहीं, दुर्घटना से सबसे अधिक मौत वाले राज्य उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक हैं। वहीं, दुर्घटना वाले बड़े शहरों की बात करें तो उसमें दिल्ली, इंदौर, जबलपुर, बेंगलूरु और चेन्नई है। वहीं, दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मौत मामले में दिल्ली, बेंगलूरु, जयपुर, कानपुर और इंदौर हैं।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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