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क्या होते हैं कांवड़ यात्रा के नियम और कब से शुरू हो रही है यह पवित्र यात्रा..

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क्या होते हैं कांवड़ यात्रा के नियम और कब से शुरू हो रही है यह पवित्र यात्रा..

धर्म//Rajasthan/Jaipur :

भारतीय सनातन परंपरा में श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित माना गया है। इसी महीने की शुरुआत से श्रद्धालु गण कांवड़ यात्रा शुरू करते हैं और मां गंगा के तट से जल लाकर शिव का अभिषेक करते हैं। इसके बाद ही उनकी कांवड़ यात्रा को पूर्ण माना जाता है। इस वर्ष देश में कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो रही है जो 19 अगस्त तक चलेगी।

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इस वर्ष यानी 2024 में विक्रम संवत् 2081 की आषाढ़ पूर्णिमा की समाप्ति के साथ 22 जुलाई को श्रावण माह की शुरुआत होने जा रही है और इसी दिन से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो जाएगी। जैसा कि सभी जानते हैं कि कांवड़ यात्रा भगवान शिव के प्रति आस्था और श्रद्धा का प्रतीक पर्व है। कांवड़ यात्रा में शामिल शिव भक्त गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। जलाभिषेक के साथ ही उनकी कांवड़ यात्रा पूरी होती है।  भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ यात्रा में शामिल होकर गंगा नदी से जल लाने के दौरान श्रद्धालु कुछ विशिष्ट नियमों का पालन करते हैं।

कांवड़ यात्रा काम महत्व

भगवान शिव के भक्तों द्वारा अपने आराध्य देव को प्रसन्न करने के लिए की जाने वाली एक पवित्र तीर्थयात्रा है। इस यात्रा में, श्रद्धालु बांस से बनी कांवड़ में गंगाजल भरकर, उसे अपने कंधों पर लेकर मीलों पैदल चलते हैं और अपने इलाके के शिवालयों में जाकर जलाभिषेक करते हैं। ऐसा माना जाता है कि कांवड़ यात्रा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कांवड़ यात्रा भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। यह यात्रा कठिनाइयों और चुनौतियों से भरी होती है, लेकिन फिर भी श्रद्धालु इसे पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ करते हैं।

कांवड़ यात्रा के नियम क्या हैं

  • जो भी कांवड़ यात्रा में जाना चाहते हैं, तो सबसे पहले मांस, शराब और नशे की चीजों से दूरी बनानी होती है और साथ ही  यात्रा के दौरान भी ऐसी चीजों को साथ में रखने से परहेज करना होता है। 
  • कांवड़ यात्रा में भगवान शिव के लिए जल गंगा नदी से ही लाया जाता है। आप घर पर रखे किसी अन्य जल से भगवान का जलाभिषेक नहीं कर सकते। याद रखें कि अगर आप कांवड़ यात्रा में जल लाने जा रहे हैं, तो गंगा या किसी अन्य नदी से जल ही लाएं।
  • कांवड़ यात्रा पैदल की जाती है। कांवड़ यात्रा में जल लाने के लिए किसी वाहन का प्रयोग नहीं किया जाता और पूरे श्रद्धाभाव के साथ पैदल यात्रा करते हुए ही जल लाया जाता है।
  • कांवड़ यात्रा में जो भी जल लाते हैं उसे जमीन पर न रखा जाता है बल्कि जो कांवड़ आपके भगवान शिव के लिए निर्मित की है, इसी में जल को बांधकर लाया जाता है। कांवड़ यात्रा में जो भी जल आप भगवान शिव के लिए लाते हैं, उसे भूमि पर रखना वर्जित माना गया है।
  • कांवड़ यात्रा के दौरान भगवान शिव के नाम का उच्चारण करते हुए आना चाहिए।

कांवड़ यात्रा करने के लाभ

 मान्यता है कि आप अगर भगवान शिव के भक्त हैं, तो आपको जीवन में एक बार तो कांवड़ यात्रा करनी ही चाहिए। कांवड़ यात्रा करने वाले भक्त को भगवान शिव की कृपा मिलती है। आप अगर पूरे भक्ति भाव के साथ भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं, तो इससे आपके सारे कष्ट दूर होते हैं और आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा कांवड़ यात्रा से जुड़ी एक और मान्यता है कि अगर आपसे भूल से कोई पाप या गलती हो जाती है, तो आप भगवान शिव का जलाभिषेक करके उनसे माफी भी मांग सकते हैं। भगवान शिव आपको जरूर क्षमा करेंगे और आपको मोक्ष की प्राप्ति होगी।

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