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राम मंदिर में पानी के लीकेज को लेकर कोई समस्या नहीं..!

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राम मंदिर में पानी के लीकेज को लेकर कोई समस्या नहीं..!

धर्म//Uttar Pradesh /Ayodhya :

अयोध्या में श्री राम लला के मंदिर निर्माण के छह महीने पूरे से बीते नहीं कि मंदिर की छत से पानी टपकने की खबरें सामने आने लगी हैं। इन समाचारों के मध्य राम मंदिर में गर्भगृह में पानी निकासी की समस्‍या और मंदिर परिसर में छत से पानी टपकने को लेकर राम मंदिर की भवन निर्माण समिति ने स्पष्टीकरण दिया है।  समिति के अध्‍यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने की ओर से कहा गया है, मैंने खुद निरीक्षण किया है और कहीं भी कोई प्रॉब्‍लम नहीं है। 

मिश्रा ने कहा है कि मंदिर परिसर में पानी लीकेज की नहीं है। कोई भी समस्या नहीं है, मैंने स्वयं निरीक्षण किया था। निर्माणाधीन मंडप की छत दूसरी मंजिल पर जाकर पूरी होगी। द्वितीय तल पर गुण मंडप की छत पड़ने के बाद ही बारिश का पानी मंदिर में प्रवेश करने से रूक सकेगा।

मिश्रा ने स्पष्ट किया कि श्रद्धालुओं के सुविधा के लिए गुड मंडप की छत पर अस्थाई निर्माण करके पानी और धूप से बचाव को लेकर उपाय किए गए हैं। उन्‍होंने कहा है कि ये सब भ्रम लोगों ने पैदा किया है। उनके अनुसार, बिजली की अंडरग्राउंड वायरिंग में अभी तार डालना बाकी है, जिसके लिए पाइप खुला हुआ है और उसी पाइप के जरिये नीचे सीवेज में पानी आया है। निर्माण में किसी भी तरीके की कोई कमी नहीं है। राम मंदिर में उच्चतम स्तर का निर्माण कार्य हो रहा है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय का आधिकारिक वक्तव्य भी इस मामसे में साने आया है और उनकी ओर से जो तथ्य स्पष्ट किये गये हैं, वे इस प्रकार से हैं..

1. गर्भगृह जहाँ भगवान रामलला विराजमान है, वहाँ एक भी बूंद पानी  छत से  नही टपका है और न ही कही से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है। 
2. गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में मंडप है , इसे गूढ़मण्डप कहा जाता है ,, वहाँ मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात ( भूतल से लगभग ६० फीट ऊँचा ) घुम्मट जुड़ेगा और मण्डप की छत बन्द हो जाएगी ,, इस मंडप का क्षेत्र  ३५ फीट व्यास का है, जिसको अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराये जा रहे हैं ,, द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है।
3. रंग मंडप एवं गुढ़ मंडप के बीच दोनो तरफ( उत्तर एवं दक्षिण दिशा में) उपरी तलो पर जाने की सीढि़यां है, जिनकी छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढँकेगी।वह  कार्य भी प्रगति पर है।

4. सामान्यतया पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है एवं कन्ड्युट को छत मे छेद करके नीचे उतारा जाता है जिससे मंदिर के भूतल के छत की लाइटिंग होती है। ये कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट करके सतह में छुपाईं जाती है।
चूंकि प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है अतः सभी जंक्शन बॉक्सेज़ में पानी प्रवेश करा वही पानी कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा। ऊपर देखने पर यह प्रतीत हो रहा था की छत से पानी टपक रहा है। जबकि यथार्थ में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था। उपरोक्त सभी कार्य शीघ्र पूरा हो जाएगा,, प्रथम तल की फ्लोरिंग पूर्णतः वाटर टाइट हो जाएगी और किसी भी जंक्शन से पानी का प्रवेश नहीं होगा, फलस्वरूप कन्डयुट के जरिये पानी नीचे तल पर भी नही जाएगा।

5. मन्दिर एव परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित तरीक़े से उत्तम प्रबंध किया गया है जिसका कार्य भी प्रगति पर है अतः मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी . पूरे श्रीराम जन्मभूमि परिसर को  बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है। श्री राम जन्म भूमि परिसर मे बरसात के पानी को अन्दर ही पूर्ण रूप से रखने के लिये रिचार्ज पिटो का भी निर्माण कराया जा रहा है ।

6. मन्दिर एवं परकोटा निर्माण कार्य तथा मन्दिर परिसर निर्माण / विकास कार्य भारत की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों L & T तथा टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मन्दिर निर्माण की अनेक पीढ़ियों की परम्परा के वर्तमान उत्तराधिकारी श्री चन्द्रकान्त सोमपुराजी के पुत्र आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख मे हो रहा है अतः निर्माण कार्य की गुणवत्ता  में कोई कमी नही है।
7. उत्तर भारत में (लोहा का उपयोग किए बिना ) केवल पत्थरों से मन्दिर निर्माण कार्य ( उत्तर भारतीय नागर शैली में ) प्रथम बार हो रहा है ,, देश विदेश में केवल स्वामी नारायण परम्परा के मंदिर पत्थरों से बने हैं , भगवान के विग्रह की स्थापना,, दर्शन पूजन और निर्माण कार्य केवल पत्थरों के मंदिर में संभव है ,, जानकारी के अभाव में मन विचलित हो रहा है ,, 
8. प्राण प्रतिष्ठा दिन के पश्चात लगभग एक लाख  से  एक लाख पन्द्रह हज़ार भक्त प्रतिदिन रामलला के बाल रूप के दर्शन कर रहे हैं , प्रातः ६.३० बजे से रात्रि ९.३० बजे तक दर्शन के लिए प्रवेश होता है ,, किसी भी भक्त को अधिक से अधिक एक घण्टा दर्शन के लिए प्रवेश , पैदल चलकर दर्शन करना , बाहर निकल कर प्रसाद लेने में लगता है ,मन्दिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है ,, मोबाइल का प्रयोग दर्शन में बाधक है , सुरक्षा के लिए घातक हो सकता है। 
 

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