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चंद्रयान-3 पर नजर गड़ाए है दुनिया... ऐसे किया जा रहा ट्रैक

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चंद्रयान-3 पर नजर गड़ाए है दुनिया... ऐसे किया जा रहा ट्रैक

साइंस//Delhi/New Delhi :

भारत का चंद्रयान स्पेस क्राफ्ट लगातार अंतरिक्ष में बढ़ता जा रहा है। चांद की ओर बढ़ते इस स्पेसक्राफ्ट पर दुनिया के कई शौकिया खगोलशास्त्री नजर गड़ाए हुए हैं। चंद्रयान 23 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यह मिशन कामयाब हुआ तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा।

भारत का चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट चांद के अपने मिशन पर है। अभी तक चंद्रयान अपनी स्पीड को बढ़ाने के लिए पृथ्वी का चक्कर लगा रहा था। लेकिन अब यह चांद के अपने रास्ते पर सीधे जा रहा है। स्पेस से जुड़ी घटनाओं पर नजर रखने वाले लोग चंद्रयान-3 को ट्रैक कर रहे हैं। अंतरिक्ष यान अब 1 अगस्त को ट्रांसलूनर इंजेक्शन से गुजरने के लिए पूरी तरह तैयार है। लैंडर और रोवर के 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। वहीं, प्रोपल्शन मॉड्यूल कम्युनिकेशन रिले के लिए चंद्रमा की कक्षा में रहेगा और पृथ्वी पर वापस डेटा भेजेगा।
चौथा ऑर्बिट मैन्यूवर पूरा किया 
20 जुलाई को चंद्रयान-3 ने अपना चौथा ऑर्बिट मैन्यूवर पूरा किया। इसके बाद जर्मनी स्थित अमेचर (शौकिया) रेडियो सैटेलाइट संगठन ने जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी होराइजन्स डेटा का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को ट्रैक किया। स्कॉट टिली, जो खुद को एक शौकिया खगोलशास्त्री बताते हैं, का कहना है कि वह चंद्रयान को ट्रैक कर रहे हैं। 2018 में वह स्टारलिंक के सैटेलाइट को डॉपलर शिफ्ट डेटा का इस्तेमाल करके ट्रैक कर रहे थे। बाद में, उन्होंने एक अन्य चीज को भी देखा।
चंद्रयान को किया ट्रैक
आगे विश्लेषण करने पर उन्होंने पाया कि यह नासा का एक पुराना स्पेस मिशन ‘इमेज’ है। 2005 में इसका लॉन्चिंग स्टेशन से संपर्क टूट गया था। इसके बाद उन्होंने नासा के वैज्ञानिकों को मेल भेजा, जिसके बाद उन्हें नागरिक वैज्ञानिक की उपाधि मिली। डॉपलर इफेक्ट एक सैटेलाइट के आगे पीछे होने पर उसके फ्रीक्वेंसी में बदलाव को दिखाता है। इससे उसकी दूरी की गणना करना आसान होता है। उन्होंने चंद्रयान-3 की लेटेस्ट स्थिति का आकलन करने के लिए डॉपलर फ्रीक्वेंसी के डेटा का इस्तेमाल करते हुए एक ग्राफ पर इसका एक कर्व बनाया।
ये एजेंसियां भी कर रही हैं ट्रैक
इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने चंद्रयान की कक्षीय स्थिति पर आसानी से निगरानी करने के लिए चंद्रयान-3 के टीएलई डेटा को भी शामिल किया है। हालांकि पोर्टल पर यह डेटा मैनुअल तरीके से दर्ज किया जाता है। पोलैंड की दूरबीन ने भी इसे देखा था। इसके अलावा इसरो ने चंद्रयान पर पूरी तरह से नजर रखने के लिए नासा और यूरोपीयन स्पेस एजेंसी के ग्राउंड डेटा का भी इस्तेमाल किया है।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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