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1,300 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले की सच्चाई! चाय की दुकान से जैकपॉट तक की दास्तान

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1,300 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले की सच्चाई! चाय की दुकान से जैकपॉट तक की दास्तान

क्राइम //Delhi/New Delhi :

एक लाॅटरी बेचने वाले ने भारतीय राजनीतिक दलों को 1,368 करोड़ का भारी दान दिया है। इसका खुलासा चुनावी बॉन्ड पर चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के बाद हुआ है। फ्यूचर गेमिंग के मालिक सैंटियागो मार्टिन हैं। उन्हें लॉटरी किंग भी कहा जाता है।

चुनाव आयोग ने हाल में 2018 में शुरू हुई चुनावी बॉन्ड स्कीम पर डेटा जारी किया। इसके जारी होते ही हड़कंप मच गया। इसमें पता चला कि कई समूहों ने देश के राजनीतिक दलों को बेशुमार धन दान में दिया था। सूची में सबसे ऊपर फ्यूचर गेमिंग प्राइवेट लिमिटेड थी। इसकी नींव सैंटियागो मार्टिन ने रखी थी। यह एक लॉटरी कंपनी है। इसने 1,368 करोड़ रुपये का डोनेशन दिया था। मार्टिन को ‘लॉटरी किंग’ कहा जाता है। लॉटरी क्षेत्र में असर के साथ मार्टिन ने राजनीतिक संबंध भी बनाए हुए हैं। 
कौन हैं सैंटियागो मार्टिन?
सैंटियागो मार्टिन को चिकनी-चुपड़ी बातें करने वाला ‘लॉटरी किंग’ कहा जाता है। 1961 में जन्मे मार्टिन ने अपनी युवावस्था का कुछ समय म्यांमार में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हुए बिताया। 1980 के दशक में जब लॉटरी टिकटों का क्रेज बढ़ा तो वह भारत लौट आए। टाटाबाद में एक चाय की दुकान में काम करते हुए वह कोयंबटूर में बस गए। आखिरकार मार्टिन ने लॉटरी टिकट बेचने वाली दुकान लगाने का फैसला लिया। मार्टिन की पत्नी लीमा रोज के मुताबिक, लॉटरी का व्यापार उनके लिए डबल बोनांजा था। अक्सर बिना बिके टिकटों का इनाम भी उनकी जेब में आ जाता था।
कोयम्बटूर में लॉटरी की दुकानें खोलीं
1987 में मार्टिन की उम्र 26 साल थी। कोयम्बटूर में उन्होंने पांच लॉटरी की दुकानें खोली थीं। उसी साल उनकी शादी हुई थी। अगले साल मार्टिन ने टिकट छापने शुरू कर दिए। कई ब्रांडों और ज्यादा प्राइज के साथ अपना लॉटरी व्यवसाय शुरू किया। जैसे-जैसे कारोबार बढ़ा मार्टिन चेन्नई में डेक्कन एजेंसीज, मदुरै में केएएस शेखर और त्रिची में अपने भाई रामदास जैसे क्षेत्रीय खिलाड़ियों को टक्कर देने लगे। 1990 के दशक तक फ्यूचर ने खुद को तमिलनाडु में मार्केट लीडर के रूप में स्थापित कर लिया।
पहली बार अड़चन 2003 में आई 
मार्टिन की शानदार ग्रोथ में पहली बार अड़चन 2003 में आई। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने उन रिपोर्टों के आधार पर राज्य में लॉटरी व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया कि यह गरीब परिवारों पर कहर बरपा रहा है। इस फैसले ने मार्टिन को कर्नाटक, केरल, पूर्वोत्तर और भूटान में विस्तार करने के लिए मजबूर किया। 2000 के दशक तक मार्टिन उद्योग और राजनीतिक हलकों दोनों में बड़ी शख्सियत बन चुके थे। कहा जाता है कि डीएमके के. एम. करुणानिधि से उनकी काफी नजदीकी थी। इस तरह की अटकलें लगाई जाती हैं कि जयललिता का लॉटरी पर प्रतिबंध लगाना इसी का नतीजा था।
विवादों से जुड़ा रहा नाता
फ्यूचर गेमिंग के संस्थापक विवादों से कभी अछूते नहीं रहे। 2008 में आरोप लगे कि उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के केरल मुखपत्र देसाबिमनी को 2 करोड़ रुपए का दान दिया था। पूर्वोत्तर में शिकायतें आईं कि उनके पेरोल पर कई अधिकारी हैं। यहां उनके कारोबारी हित जुड़े थे। 2010 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन पर 2008 से सिक्किम सरकार को धोखा देने और 910 करोड़ रुपये का गैरकानूनी लाभ कमाने का आरोप लगाया। मार्टिन तभी से केंद्रीय एजेंसी के रडार पर हैं। आयकर विभाग की जांच के दायरे में भी।
पूरा परिवार राजनीति में एक्टिव
लॉटरी किंग की मुश्किलें 2011 में बढ़ गईं। तब एआईएडीएमके सरकार राज्य में सत्ता में वापस आई। जमीन हड़पने, अवैध लॉटरी बिक्री और विभिन्न हिस्सों में धोखाधड़ी के 14 मामलों के आरोप के बाद उन्हें आठ महीने के लिए जेल में डाल दिया गया। उन्हें 7 मई, 2012 को रिहा कर दिया गया। उनकी गिरफ्तारी के बाद मार्टिन की पत्नी राजनीति में शामिल हो गईं। 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के दौरे पर गए थे तो मार्टिन की पत्नी लीमा रोज उनके साथ मंच पर नजर आई थीं।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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