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तकनीकी कारणों से पांच सैंकड पहले रोकी गयी गगन यान की टेस्ट लॉन्चिंग..!

साइंस

तकनीकी कारणों से पांच सैंकड पहले रोकी गयी गगन यान की टेस्ट लॉन्चिंग..!

साइंस//Karnataka/Bengaluru :

भारतवासियों के लिए गगनयान मिशन बेहद खास है। मिशन की टेस्टिंग आज श्रीहरिकोटा परीक्षण रेंज से की जानी थी लेकिन पांच सैकंड पहले ही तकनीकी कमयों के कारण इसकी लॉन्चिंग को फिलहाल टाल दिया गया है। परीक्षण में क्रू मॉड्यूल का निरीक्षण किया जाना है और खास बात है कि यह पहला ह्यूमन स्पेश मिशन है। अब कहा जा रहा है कि तकनीकी समीक्षा के बाद कुछ दिनों में इसकी लॉन्चिंग की तारीख तय की जाएगी। 

मिशन चंद्रयान-2 और आदित्य एल-1 की सफलता के बाद से देश ने विश्व जगत में अपनी बड़ी पहचान कायम की है। इस बीच अब भारत एक नए मिशन गगन यान की तैयारी में है। एक ऐसा मिशन जिससे अवश्य ही विज्ञान जगत में फिर भारत का परचम बुलंद होगा। आज सुबह 08ः54 बजे इसकी टेस्टिंग की जानी थी लेकिन मौसमी परेशानी और तकनीकी समस्या के चलते इस टेस्टिंग को टाल दिया गया। इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने इस आशय की घोषणा की।

बता दें कि गगनयान मिशन 2025 में लॉन्च होगा। आज देश की स्पेस एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष रिसर्च संस्थान अंतरिक्ष में नवाचार और खोज करने के लिए मिशन गगनयान प्रोजेक्ट परीक्षण लॉन्च करने की योजना थी।  गगनयान प्रोजेक्ट में तीन दिनों के मिशन के लिए तीन भारतीय अंतरिक्ष सदस्यों को स्पेस भेजने की तैयारी की जा रही है। मिशन के अंतर्गत अंतरिक्ष में यात्रियों को पृथ्वी जैसा माहौल देने की परिकल्पना की जा रही है। इसके साथ ही आपातकालीन स्थिति में अंतरिक्ष दल क्या कर सकते हैं, इसकी भी तैयारी जोरों पर है। आइए समझते हैं, गगनयान-3 किस प्रकार कार्य करेगा।
तीन पार्ट्स निभाएंगे बड़ी भूमिका
- ऑर्बिर्टल मॉड्यूल पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। इसमें क्रू मॉड्यूल एवं सर्विस मॉड्यूल शामिल होंगे।
- ऑर्बिर्टिल मॉड्यूल के जरिए मानव सुरक्षा प्रदान कराई जाएगी। इसमें अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से क्रू मेम्बर्स को सुरक्षा प्रदान करवाए जाने का प्रावधान है।
- क्रू मॉड्यूल के माध्यम से अंतरिक्ष यात्री को पृथ्वी जैसा माहौल दिया जाएगा। यानी अंतरिक्ष में भी रहकर यात्री ऐसा महसूस करेगा जैसे वह धरती पर ही हो। इसके लिए मॉड्यूल में डबल दीवारों वाली एक परत चढ़ाई गई है। इसमें थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम के साथ गुरुत्वाकर्षण नियमों सहित सभी वैज्ञानिक और तकनीकी सिस्टम का खास ध्यान रखा गया है। साथ ही, चालक दल किस प्रकार उतर और चढ़ सकता है उसकी सहजता का भी विशेष ख्याल रखा गया है। सर्विस मॉड्यूल में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए उनके मूल जरूरतों और सहायता सामग्रियों को शामिल किया गया है। 
रॉकेट के ये होंगे प्रमुख घटक
गगनयान में कुछ ऐसे तकनीकी पार्ट्स को भी जोड़ा गया है, जो गगनयान को मजबूती और मिशन लॉन्चिंग के दौरान मजबूती प्रदान करेंगे। गगनयान का सबसे ऊपरी हिस्सा एलवीएम रॉकेट है, यह इसरो का सबसे भरोसेमंद लिफ्ट लांचर है, इसे गगनयान मिशन का लॉन्च वाहन के रूप में भी पहचाना जाता है। वहीं, गगनयान का दूसरा पार्ट एचएलवीएम-3 है, इसका काम किसी भी आपातकालीन स्थिति में क्रू मेम्बर्स को सुरक्षित स्थान पर ले जाना होता है।
ये होगा प्रोसीजर
परीक्षण के दौरान क्रू मॉड्यूल को आसमान की ओर ले जाएगा। इसके बाद अबॉर्ट जैसी सिचुएशन बनाकर क्रू मॉड्यूल एवं क्रू एस्केप सिस्टम से अलग किया जाएगा। क्रू मॉड्यूल को यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर रखते हुए दो किलोमीटर दूर ले जाया जाएगा और इसे श्रीहरिकोटा से 10 किलोमीटर दूर समुंद्र में उतारा जाएगा। जिसके बाद यात्रियों की सुरक्षा के लिए पैराशूट खुल जाएंगे।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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