गैजेट्स//Rajasthan/Jaipur :
पुणे इंस्टीट्यूट ऑफ कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट्स ने डीपफेक का पता लगाने के लिए तकनीक इजाद की है।
साइबर सुरक्षा को लेकर जयपुर के राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में श्हैकाथॉन 1।0श् चल रहा है। राजस्थान पुलिस की ओर से आयोजित हैकाथॉन में देशभर का युवा टैलेंट अपनी तकनीक को प्रदर्शित कर रहा है। स्टूडेंट्स का एक ग्रुप ऐसा है जो डीपफेक वीडियो को एक्सपोज करने का काम कर रहा है। उन्होंने ऐसी तकनीक बनाई है, जो महज 20 सेकेंड में बता देगी कि वीडियो फेक है या सही है। वहीं, कुछ स्टूडेंट्स ड्रोन से पुलिस के निगरानी तंत्र को मजबूत करने में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं।
डीपफेक को एक्सपोज करने के लिए कर रहे काम
चंडीगढ़ की चितकारा यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स की टीम ने डीपफेक का पता लगाने की तकनीक बनाई है। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी का पार्ट है। इसमें फेक वीडियो की पहचान कर उसे वायरल करने से रोका जाता है। इस टीम में चेतन कांडपाल, वंशिका गर्ग, हर्षिता बत्रा और अंकित राय हैं।
चेतन, वंशिका, हर्षिता और अंकित ने बताया कि हाल ही में एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का डीपफेक वीडियो आया था। इसके बाद हमने इस तकनीक पर काम किया। इसे बनाने में दो से ढाई हफ्ते लगे। हमने मशीन लर्निंग मॉडल्स बनाए हैं। इस टेक्नोलॉजी में मशीन लर्निंग की मदद से मॉडल बनाकर वेबसाइट से कनेक्ट किया है। यह तकनीक रियल और फेक फोटो-वीडियो की पहचान कर सकती है। अंकित ने बताया कि इस मॉडल की एक्यूरेसी 99 फीसदी है।
कैसे काम करती है तकनीक
अंकित ने बताया कि इस पर वीडियो को अलग-अलग रूप में बांट दिया जाता है। यह वीडियो को अलग-अलग हिस्सों में तोड़कर जांच करती है। तकनीक टेस्ट करती है कि वीडियो सही है या नहीं। इसमें चेहरे के कुछ लैंडमार्क और लिप्स सिंक्रोनाइजेशन के जरिए जांचा जाता है।
पुलिस के कामों का फीडबैक दे सकेगी जनता
पुणे इंस्टीट्यूट ऑफ कंप्यूटर टेक्नोलॉजी की स्टूडेंट्स आकांक्षा सांवलिकर, सृष्टि कुलकर्णी, श्रावणी देशमुख और श्रुति पगार ने एक ऐसी वेबसाइट बनाई है, जिसमें आम जनता पुलिस के कामों का फीडबैक दे सकती है। आमतौर पर देखा जाता है कि पुलिस के कामों का मूल्यांकन करने से जनता बचती है। पुलिस को सुझाव देने में जनता को डर लगता है। इस वेबसाइट के माध्यम से जनता के सुझाव को गोपनीय रखा जाता है। ये छात्राएं अपनी वेबसाइट पुलिस की प्रतियोगिता में रखने वाली हैं।
आकांक्षा, सृष्टि, श्रावणी और श्रुति पगार ने बताया कि इस वेबसाइट में स्टूडेंट्स ने चार कॉलम बनाए हैं। इससे पुलिस अधिकारियों को जानकारी मिल सके कि जनता ने किस रेटिंग में सुझाव दिए हैं। पहला कॉलम अच्छी रेटिंग के लिए है। इसमें जनता के अच्छे सुझाव शामिल होंगे। दूसरे कॉलम में इससे कम स्तर के अच्छे सुझाव आएंगे। रेटिंग का तीसरा कॉलम बुरे (खराब) और अंतिम कॉलम सबसे बुरे सुझाव के लिए होगा।
एक्सपर्ट ड्रोन करेगा पुलिस की मदद
ग्रेटर नोएडा की गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी के बीटेक स्टूडेंट सौरभ सैनी ने हैकाथॉन में एक खास ड्रोन शोकेस किया है। सौरभ ने बताया- पुलिस के हर थाने में पूरा जाब्ता या ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात नहीं होते। कुछ आयोजन और मौकों पर उन्हें पूरे इलाके पर नजर रखनी होती है, जो छोटी पुलिस टीम या सामान्य ड्रोन से संभव नहीं है। ऐसे में हमने एक एक्सपर्ट ड्रोन तैयार किया है। इसकी रेंज भी ज्यादा है। यह पूरी तरह टेक्नो फ्रेंडली है।
20 लाख रुपए के मिलेंगे इनाम
बुधवार से शुरू हुए दो दिवसीय हैकाथॉन के अंतिम चरण में तीन बेस्ट टीम को समाधान (साॅल्यूशन) प्रस्तुत करने का मौका दिया जाएगा। इन टीमों के समाधानों का मूल्यांकन विशेषज्ञ समिति करेगी। हैकाथॉन के विजेताओं को विभिन्न श्रेणियों में कुल 20 लाख के नकद पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए जाएंगे। सभी टीमों को राजस्थान पुलिस के साथ इंटर्नशिप प्रोग्राम में भी शामिल किया जाएगा।
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