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तारीख पे तारीख, फिर उच्च अदालतों में निचली को चुनौतियां, फैसलों में देरी..ऐसे तो मिलेगा मौत की सजा वाले कैदियों को फ़ायदाः सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

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तारीख पे तारीख, फिर उच्च अदालतों में निचली को चुनौतियां, फैसलों में देरी..ऐसे तो मिलेगा मौत की सजा वाले कैदियों को फ़ायदाः सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

क्राइम //Maharashtra/ :

मौत की सजा पाए कैदी की आजीवन कारावास में बदलने की मांग करने के लिए दया याचिकाओं पर फैसला करने में अत्यधिक देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक सख्त टिप्पणी की।। शीर्ष अदालत ने कहा कि मौत की सजा पाने वाले कैदियों की दया याचिका पेंडिंग रहने से उन्हें इसका फायदा मिल रहा है। इससे सजा का उद्देश्य विफल हो गया है।

दो बहनों के केस को लेकर की  टिप्पणी

मीडिया सूत्रों के अनुसार जस्टिस एम आर शाह और सी टी रविकुमार की पीठ महाराष्ट्र सरकार की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में रेणुका और उसकी बहन सीमा को दी गई मृत्युदंड की सजा को उम्रकैद में बदलने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। दोनों बहनों की कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली है। उन्होंने जो किया उसने पूरी दुनिया को हिला दिया था। दोनों बहनों ने मिलकर कोल्हापुर में 1990 और 1996 के बीच 13 का अपहरण किया। उनमें से 9 बच्चों को मार डाला।

2001 में कोल्हापुर की एक अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। 2004 में हाई कोर्ट ने इसे बरकरार रखा। 2006 में दोनो बहनों की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। 2022 में हाई कोर्ट ने दोनों सीरियल किलर बहनों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। जिसके खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

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सौम्या बी श्रीवास्तव

By News Thikhana

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