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हूती हमले पर शिप कैप्टन बोले-उम्मीद छोड़ दी थी: कहा- भारतीय नौसेना ने आग बुझाने के लिए पूरी ताकत लगा दी

सेना

हूती हमले पर शिप कैप्टन बोले-उम्मीद छोड़ दी थी: कहा- भारतीय नौसेना ने आग बुझाने के लिए पूरी ताकत लगा दी

सेना/नौसेना/Delhi/New Delhi :

मदद का सिग्नल मिलने के बाद शनिवार को भारत के युद्धपोत आईएनएस विशाखापट्टनम ब्रिटिश कंपनी के जहाज की मदद के लिए पहुंचा था।

भारतीय नौसेना की एक फायर फाइटर टीम ने शनिवार को अरब सागर के अदन की खाड़ी में मौजूद एक जहाज पर लगी आग पर काबू पाया। इस जहाज के कैप्टन अभिलाष रावत ने भारतीय नौसेना को मदद के लिए धन्यवाद कहा है।
रावत ने कहा- मैं इंडियन नेवी के वॉरशिप आईएनएस विशाखापट्टनम को धन्यवाद कहना चाहता हूं। पूरी दुनिया को पता है कि हम पर एक मिसाइल से हमला किया गया था। इसकी वजह से हमारे मर्चेंट वेसल पर आग लग गई थी, जो बढ़ती ही जा रही थी। भारतीय नौसेना ने हमें बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी। हमने उम्मीद छोड़ दी थी। हैट्स ऑफ टू इंडियन नेवी।
रावत ने आगे कहा- मैं दूसरे देशों की नेवी को भी शुक्रिया कहना चाहूंगा, जिन्होंने बाकी चीजों में हमारी मदद की। लेकिन वो भारतीय नेवी ही थी जो भीषण आग के बीच एक्सपर्ट फायर फाइटर्स के साथ जहाज पर उतरी और आग पर काबू पाया।
जहाज में सवार थे 22 भारतीय क्रू मेंबर्स
दरअसल, 26 जनवरी को यमन के पास फिर से एक जहाज पर ड्रोन अटैक हुआ था। इसकी वजह से डट मर्लिन लौंडा पर आग लग गई थी। जहाज पर सवार 23 में से 22 क्रू मेंबर्स भारतीय थे। वहीं 23वां सदस्य बांग्लादेशी था। अटैक के तुरंत बाद जहाज ने मदद के लिए सिग्नल भेजा था। इसके बाद भारतीय नौसेना ने पुष्टि की थी कि एक युद्धपोत को रवाना किया है।
अमेरिकी और फ्रेच नेवी के युद्धपोत भी पहुंचे
भारतीय नेवी के अलावा अमेरिकी और फ्रेच नेवी के युद्धपोत भी जहाज के सिग्नल पर मदद के लिए रवाना हुए थे। अमेरिका के सेंट्रल कमांड ने बताया कि यह जहाज एक ब्रिटिश कंपनी का था। इस पर हूतियों ने बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया था। बता दें कि फिलिस्तीनियों पर इजराइल के हमलों के विरोध में हूती विद्रोही लगातार लाल सागर में जहाजों को निशाना बना रहे हैं।
ब्रिटेन बोला- हूतियों के हमले बर्दाश्त नहीं करेंगे
शुक्रवार के हमले के बाद ब्रिटेन के रक्षा मंत्री ग्रैंट शैप्स ने कहा- इस तरह की हरकत गैरकानूनी है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह हमारा कर्तव्य है कि हम लाल सागर से जहाजों की आवाजाही और आजादी की रक्षा करें। वहीं हूतियों के प्रवक्ता ने कहा- मार्लिन लौंडा एक ब्रिटिश जहाज था। अमेरिका-ब्रिटेन की तरफ से हूतियों पर हुए हमले के जवाब में यह मिसाइल अटैक किया गया।
अब तक 2 बार यमन में हूतियों के खिलाफ कार्रवाई 
अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर अब तक 2 बार यमन में हूतियों के खिलाफ कार्रवाई की है। पहला हमला 11 जनवरी को किया गया था। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, इस दौरान 30 लोकेशन्स पर 60 टारगेट्स बनाए गए थे। हमले के लिए 150 मिसाइलों और बमों का इस्तेमाल किया गया था।
अमेरिका-ब्रिटेन ने यमन में हूतियों पर किए 2 बार हमले
इसके बाद दूसरी हमला 23 जनवरी को किया गया था। अमेरिकी एयरफोर्स के हवाले से बताया गया कि दोनों देशों ने मिलकर 8 ठिकानों को निशाना बनाया। इनमें जमीन के अंदर बनी हथियार रखने की निगरानी करने वाली जगह शामिल हैं। यमन में किए गए हमलों में अमेरिका और ब्रिटेन की सेना के साथ ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा और नीदरलैंड की सेनाएं भी थीं। यमन में यह हमले विमानों, जहाजों और एक पनडुब्बी के जरिए यमन की राजधानी सना, सदा और धमार शहरों के साथ-साथ होदेइदाह प्रांत में किए गए। इसके अलावा 11 जनवरी से अब तक अमेरिका 8 बार यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों को निशाना बना चुका है।
जयशंकर बोले- भारत के आर्थिक हितों पर सीधा असर
समुद्र में जहाजों पर हूती विद्रोहियों के हमले का असर भारत पर भी पड़ रहा है। हूतियों ने कई बार भारत आ रहे जहाजों या फिर भारतीय क्रू वाले जहाजों पर हमला किया है। इस बीच 15 जनवरी को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी ईरान दौरे पर गए थे। उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुस्सैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से मुलाकात की थी।
ईरान दौरे पर उठाया हूतियों का मुद्दा
बैठक के दौरान जयशंकर ने जहाजों पर हमले का भी मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था- भारत के आसपास जहाजों पर हमले अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इसका भारत की ऊर्जा और आर्थिक हितों पर सीधा असर पड़ता है। भारत हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ रहा है लेकिन किसी भी तनाव की स्थिति में हर हाल में आम नागरिकों की सुरक्षा की जानी चाहिए।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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