आज है विक्रम संवत् 2081 के अश्निन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि रात 09:38 बजे तक यानी मंगलवार, 01 अक्टूबर 2024
कान्हा के जन्मदिवस के अवसर पर पढ़िए कमलेश शर्मा और ज्ञानवती सक्सेना की उत्कृष्ट रचनायें

कान्हा के जन्मदिवस के अवसर पर पढ़िए उत्कृष्ट रचनायें

साहित्य

कान्हा के जन्मदिवस के अवसर पर पढ़िए कमलेश शर्मा और ज्ञानवती सक्सेना की उत्कृष्ट रचनायें

साहित्य/व्यंग्य लेख/Rajasthan/Jaipur :

आज पूरे भारत में कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। जन्माष्टमी हर साल बड़े धूम-धाम से उनके भक्तों द्वारा मनाया जाता है। तो कवि/साहित्यकार  भी आज कान्हा के स्वागत के लिए एक से बढ़कर एक रचनायें सृजित कर रहे हैं। कवियत्री कमलेश शर्मा  द्वारा  रचित "कान्हा तुम्हारे आने से" और स्वयं सिद्धा साहित्यिक संस्थान की फाउंडर/कवियत्री ज्ञानवती सक्सेना द्वारा  रचित कविता "देवकी का ज़ाया कान्हा " पढ़िए

" कान्हा तुम्हारे आने से "

"  एक युग आरम्भ हुआ ,
  कान्हा तुम्हारे आने से।
  एक युद्ध प्रारम्भ हुआ,  
  कान्हा तुम्हारे आने से।

                       वो रात कितनी काली थी,
                       बारिश बरसी मतवाली थी।
                       यमुना की लहरें उमड़ रही,
                       आकाश में बदली घुमड़ रही।

  एक माँ ने तुमको जन्म दिया,
  दूजी  माँ पालनहार बनी।
  सच्चे रिश्तों का पाठ पढ़ा,
  सच्ची ममता साकार हुई।

                          दो माँ के उर आनंद भरा 
                          कान्हा तुम्हारे आने से।
                          एक युग का आरम्भ हुआ, 
                          कान्हा तुम्हारे आने से।

  गोकुल में हरियाली छाइ,
  मथुरा जन्मे कृष्ण कन्हाई।
  कान्हा के अवतरण दिवस पर,
  घर  घर में खुशहाली छाइ।
  कान्हा तुम पर मैं क्या लिखूँ,
  अपरिभाषित जितना लिखूँ।

                           गीता का सार पढ़ा हमने,
                           कान्हा तुम्हारे आने से।
                           एक युग का आरम्भ हुआ,
                           कान्हा तुम्हारे आने से।  "

 

                                            -- कमलेश शर्मा

                                                  राजस्थान 

 

" देवकी का ज़ाया कान्हा "

"तेरी साँवली सलोनी छवि,सारे जग से निराली है
छैल छबीली,तिरछी चितवन,सूरत भोली भाली है

देवकी का जाया कान्हा,यशुमति का दुलारा है
ब्रजवासियों का प्यारा और,गोपियों का सहारा है

राधा की धड़कन है,जो मीरा का गोपाला है
मोहनी मूरत ने तेरी,कैसा जादू कैसा डाला है

यमुना तट पर रास रचाए,दीनन का रखवाला है
उँगली पर गोवर्धन नाचे,गोपियों का मतवाला है

मेरा नटवर नागर कान्हा,बिगड़ी बनाने वाला है
बंशी बजैया,किशन कन्हैया,जगत नियंता गोपाला है "
 

                                      ज्ञानवती सक्सेना

                                                राजस्थान 

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author

सौम्या बी श्रीवास्तव

By News Thikhana

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