//Rajasthan/Jaipur :
राजस्थान के किसानों को यूरिया की 9 लाख मैट्रिक टन की मांग की तुलना में 4.65 लाख मैट्रिक टन एवं 3.20 लाख मैट्रिक टन की तुलना में 2.15 लाख मैट्रिक टन डीएपी प्राप्त हुआ यानी 4.35 लाख मैट्रिक टन यूरिया एवं 1.05 लाख मैट्रिक टन डीएपी की तो पूर्ति ही नही हुई !
अखिल भारतीय किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने राजस्थान के किसानों को उर्वरकों की कमी को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र व राज्य सरकारों की दूरदर्शिता का अभाव एवं संवेदनहीनता के कारण किसानो को न केवल उर्वरको की कमी समस्या से जूझना पड़ रहा है बल्कि घर का काम छोड कर भूखे-प्यासे रह कर लाइनों में लगना पड़ रहा है ।
उन्होंने कहा कि सरसों के 48% तक का उत्पादन अकेला राजस्थान करता है। इस वर्ष सितम्बर एवं अक्टूम्बर माह में बरसात के कारण खरीफ की फसले ख़राब हो गई जिनको खेतों से हटा कर सरसों की बुआई कर दी थी ! सरसों के अंकुरण के उपरांत कीड़े को नियंत्रण करने के लिए सिंचाई के साथ यूरिया की आवश्यकता हुई। इसे दृष्टिगत रखते हुए दिसंबर माह की मांग की पूर्ति नवम्बर में ही करनी चाहिये थी किन्तु अभी तक तो अक्टूबर एवं 13 नवम्बर तक की मांग की पूर्ति नही की गई !
राज्य और केंद्र सिर्फ क्रेडिट लेते हैं
जाट ने तो यहां तक कहा कि राजस्थान के किसानों को पुलिस के डंडे-लाठी, धक्का-मुक्की एवं गाली-गलौज से अपमानित होना पड़ रहा है। यह तो तब है जब उर्वरक देने वाली केंद्र सरकार में राजस्थान से शत-प्रतिशत सांसद लोकसभा में जनता ने निर्वाचित करके भेजे हैं। इसी प्रकार राजस्थान में सरकार बनाने के लिए एक दल को बहुमत दिया है ! किसानों की पीड़ा उन दोनों सत्तारूढ़ दलों को ही दिखाई नहीं दे रही है जबकि किसानों को पुलिस की लाठी-गालियां एवं धक्का-मुक्की से बचाने के लिए यूरिया को नीम लेपित बनाकर उसकी सहज उपलब्धता के लिए केंद्र सरकार की और से ढोल पीटे जा रहे हैं। दूसरी ओर किसानों के कारण ही बनी राज्य सरकार भी किसानों को यूरिया एवं डीएपी दिलाने के लिए प्रभावी पैरवी नहीं कर रही है।
किसानों की चिंता किसी को नहीं
अखिल भारतीय किसान पंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि किसान की खुशहाली के बिना आजादी अधूरी है। उनकी खुशहाली के दो आयाम हैं, ऋण मुक्ति और पूरे दाम। लेकिन, ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों राजनैतिक दलों का इस और ध्यान ही नहीं है। आखिर किसान जाये तो जाये कहां ? किसानों को अपनी सुख-सुविधाओं के लिए उर्वरकों की आवश्यकता नहीं है बल्कि यह देश के लिए उत्पादन से जुड़ा विषय है !
उर्वरकों की कमी से अन्य फसलें भी होंगी प्रभावित
डीएपी की उपलब्धता नही होने से जहां सरसों की बुआई विपरीत रूप से प्रभावित हुई, वहीं यही स्थिती अब गेहू एवं चने के लिए किसानो को भुगतनी पड़ रही है। सिंचाई के समय यूरिया की कमी के कारण इन उपजो में भी किसानों को परेशानी भुगतनी पड़ेगी !
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