आज है विक्रम संवत् 2081 के भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि रात 07:57 त बजे तक तदुपरांत षष्ठी तिथि यानी रविवार, 08 सितंबर, 2024 परमाणु मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण, चीन-पाक पलभर में खाक पैरालंपिक: प्रवीण कुमार ने भारत को दिलाया एक और गोल्ड राजस्थान: 108 आईएएस के बाद 386 आरएएस अधिकारियों का ट्रांसफर
जामताड़ा नहीं, अब ये हैं साइबर क्राइम के नए गढ़: नाम सुनकर हैरान रह जाएंगे

क्राइम

जामताड़ा नहीं, अब ये हैं साइबर क्राइम के नए गढ़: नाम सुनकर हैरान रह जाएंगे

क्राइम //Delhi/New Delhi :

अब तक झारखंड के जामताड़ा को साइबर क्राइम और ठगी का अड्डा माना जाता था लेकिन एक नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक राजस्थान का भरतपुर और यूपी का मथुरा अब साइबर क्राइम के नए जामताड़ा हैं।

देश में साइबर अपराध के केंद्र के रूप में कुख्यात झारखंड के जामताड़ा और हरियाणा के नूंह का स्थान अब राजस्थान के भरतपुर और उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले ने ले लिया है। यह दावा इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलाॅजी (आईआईटी) कानपुर में शुरू स्टार्टअप ने अपने अध्ययन में किया है। अध्ययन के मुताबिक शीर्ष 10 जिले से देश में 80 प्रतिशत साइबर अपराध होते हैं।
आईआईटी-कानपुर में स्थापित एक गैर-लाभकारी स्टार्टअप, फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (एफसीआरएफ) ने अपने नवीनतम अध्ययन पत्र ‘ए डीप डाइव इनटू साइबर क्राइम ट्रेंड्स इम्पैक्टिंग इंडिया’ में इन नतीजों का जिक्र किया है। एफसीआरएफ ने दावा किया कि भरतपुर (18 प्रतिशत), मथुरा (12 प्रतिशत), नूंह (11 प्रतिशत), देवघर (10 प्रतिशत), जामताड़ा (9।6 प्रतिशत), गुरुग्राम (8।1 प्रतिशत), अलवर (5।1 प्रतिशत), बोकारो (2।4 प्रतिशत), कर्मा टांड (2।4 प्रतिशत) और गिरिडीह (2।3 प्रतिशत) भारत में साइबर अपराध के मामलों में शीर्ष पर हैं जहां से सामूहिक रूप से 80 प्रतिशत साइबर अपराधों को अंजाम दिया जाता है।

10 जिले से देश में 80 प्रतिशत साइबर अपराध

एफसीआरएफ के सह संस्थापक हर्षवर्धन सिंह ने बताया, ‘हमारा विश्लेषण भारत के 10 जिलों पर केंद्रित था, जहां से सबसे अधिक साइबर अपराध को अंजाम दिया जाता है। जैसा कि श्वेत पत्र में पहचान की गई है, इन जिलों में साइबर अपराध के प्रमुख कारकों को समझना प्रभावी रोकथाम और खत्म करने की रणनीति तैयार करने के लिए आवश्यक है।’
अपर्याप्त केवाईसी से अपराध
स्टडी में सामने आया है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर वेरिफिकेशन प्रॉसेस और अपर्याप्त केवाईसी की वजह से अपराधियों को फर्जी पहचान बनाने में मदद मिलती है। इससे लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसियों को भी उन्हें ट्रेस करना चुनौतीपूर्ण होता है। ब्लैक मार्केट में रेंट पर मिल रहे सिम कार्ड और फर्जी अकाउंट्स के जरिए ये साइबर क्रिमिनल गुमनाम होकर ठगी को अंजाम देते हैं। एआई की वजह से अपराधियों के लिए साइबर क्राइम करना और आसान हो गया है।

You can share this post!

author

Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

Comments

Leave Comments