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पाकिस्तान की राह पर नेपाल ! हथियार छोड़ आर्मी बनाएगी कपड़ा

सेना

पाकिस्तान की राह पर नेपाल ! हथियार छोड़ आर्मी बनाएगी कपड़ा

सेना/थल सेना// :

नेपाल की सेना पाकिस्तानी सेना की राह पर बढ़ रही है और पानी का बोतल बेचने के बाद अब कपड़ा फैक्ट्री चलाना चाहती है। नेपाली सेना प्रमुख ने पीएम प्रचंड को एक प्रस्ताव दिया है। नेपाली सेना अरबों रुपये खर्च करके हेतौदा कपड़ा उद्योग को फिर से शुरू करना चाहती है।

नेपाल की सेना खेती के बाद अब कपड़ा फैक्ट्री चलाना चाहती है। नेपाल की सेना पहले ही कई बिजनस में शामिल है। इनमें पेट्रोलियम प्रॉडक्ट से लेकर पीने का बोतलबंद पानी तक बेचती है। अब नेपाली सेना कपड़ा फैक्ट्री भी चलाना चाहती है, जिसको लेकर विवाद शुरू हो गया है। विशेषज्ञों ने नेपाली सेना की इस योजना का कड़ा विरोध किया है। 
उन्होंने कहा कि नेपाली सेना पाकिस्तानी आर्मी की राह पर बढ़ रही है जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। नेपाल की यह कपड़ा फैक्ट्री लंबे समय से बंद है और अब उसे नेपाली सेना शुरू करना चाहती है। इस फैक्ट्री का नाम हेतौदा कपड़ा उद्योग है और यहां 25 साल से यहां काम नहीं हो रहा है। इस फैक्ट्री को 4 साल पहले बंद कर दिया गया था।
बुधवार को नेपाली सेना ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड को हेतौदा कपड़ा उद्योग को फिर से शुरू करने की योजना के बारे में बताया। इसे ‘बीमार उद्योग’ बताया गया है और इसकी मशीनों और जमीन की देखरेख नेपाल सरकार करती है। नेपाल की सेना बिजनस में अनावश्यक तरीके से बड़े पैमाने पर शामिल होती जा रही है। नेपाली सेना सड़क निर्माण, स्कूल, मेडिकल कॉलेज भी चलाती है। इससे कमाई करती है। इसको लेकर नेपाली सेना की कड़ी आलोचना होती रही है। इसमें काठमांडू-तराई फास्ट ट्रैक भी शामिल है जो कई साल पीछे चल रहा है और इसको लेकर सेना की खिंचाई हो चुकी है।
पाकिस्तान की राह पर नेपाल की सेना?
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष स्तर पर हुई बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री प्रचंड को देश के दक्षिण इलाके में भारतीय सीमा की ओर स्थित इस फैक्ट्री के बारे में बताया गया। इस दौरान नेपाली सेना प्रमुख समेत कई मंत्री भी मौजूद थे। नेपाली सेना ने इस फैक्ट्री को लेकर एक अध्ययन कराया है ताकि इस श्बीमारश् उद्योग को फिर से जिंदा किया जा सके। इस कपड़ा उद्योग को 48 साल पहले बनाया गया था और इसके लिए वित्तीय और तकनीकी मदद चीन से मिली थी। यह फैक्ट्री 24 साल तक सही चली थी लेकिन उसके बाद तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र शाह ने इसे बंद कर दिया। नेपाली सेना का अनुमान है कि इसको फिर से शुरू करने में 1.93 अरब नेपाली रुपये खर्च होंगे।
करीब 9 साल बाद होगा फायदा
नेपाली सेना ने कहा कि करीब 9 साल तक इसे चलाने के बाद उससे फायदा होने लगेगा। वहीं नेपाली सेना के इस बिजनस प्लान पर नेपाल के ही कई सुरक्षा विशेषज्ञों ने गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह सेना काम नहीं है कि वह बिजनस करे। सेना को अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेपाली सेना सुरक्षा की बजाय अब बिजनस करने पर ज्यादा फोकस कर रही है। 

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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