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 नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री के बारे में जानें सबकुछ... पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, भोग, मंत्र और आरती

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री के बारे में जानें सबकुछ

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नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री के बारे में जानें सबकुछ... पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, भोग, मंत्र और आरती

धर्म/कर्मकांड-पूजा/Rajasthan/Jaipur :

शारदीय नवरात्रि  की शुरुआत 15 अक्टूबर रविवार से होने जा रही है और 24 अक्टूबर मंगलवार को दशहरे के साथ नवरात्रि का समापन होगा।  नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।  नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना का है। 

आश्विन की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर को रात्रि 11:24 बजे से शुरू होकर 15 अक्टूबर 2023 को दोपहर 12:32 तक  रहेगी। ऐसे में 15 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि के घट की स्थापना की जाएगी। आप 15 अक्टूबर 2023 को सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक कलश स्थापना कर सकते हैं। नवरात्रि का पहला दिन देवी शैलपुत्री का होता है और मां का पसंदीदा रंग सफेद है ,जो पवित्रता और शांति को दर्शाता है। 

Shardiya Navratri 2023: आज 15 अक्टूबर रविवार से प्रारम्भ हो रही है शारदीय नवरात्री , जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 

मां शैलपुत्री पूजन शुभ मुहूर्त 

ब्रह्म मुहूर्त    15 अक्टूबर 2023, सुबह 4 बजकर 42 मिनट से सुबह 5 बजकर 32 मिनट तक   
विजय मुहूर्त     दोपहर 2 बजकर 02 मिनट से दोपहर 2 बजकर 48 मिनट तक 
गोधूलि मुहूर्त     शाम 5 बजकर 52 मिनट से शाम 6 बजकर 17 मिनट तक 
अमृत काल     सुबह 11 बजकर 20 मिनट से दोपहर 1 बजकर 03 मिनट तक   
मां शैलपुत्री का स्वरूप
देवी दुर्गा का पहला स्वरूप मां शैलपुत्री सफेद वस्त्र धारण किए हुए, वृषभ पर सवार रहती हैं। उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है।  मां शैलपुत्री को स्नेह, धैर्य, शांति का रूप माना जाता है। शैलपुत्री की पूजा करने से अविवाहित युवतियों को मनचाहा वर मिल सकता है। 

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के बाद देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है।  शैलपुत्री, संस्कृत में, दो शब्दों का मेल है- 'शैल' जिसका अर्थ है पर्वत और 'पुत्री' जिसका अर्थ है बेटी।  पुराणों के मुताबिक, देवी सती के आत्मदाह के बाद पर्वतराज हिमालय के घर पार्वती ने जन्म लिया था।  इसलिए उनका नाम शैलपुत्री भी है। 

मां शैलपुत्री की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

सुबह उठकर स्नानादि करके स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद आटे से चौक बनाकर एक चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा तथा कलश की स्थापना करें। इसके बाद मां शैलपुत्री का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। चूंकि मां शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है इसलिए उन्हें सफेद वस्‍त्र और सफेद पुष्प में चमेली अर्पित करें। जहां तक संभव हो भोग के लिए भी सफेद मिठाई का ही उपयोग करें।  इसके बाद मां शैलपुत्री की कथा का पढ़ें या सुनें। 

मां शैलपुत्री को लगाएं  भोग 

नवरात्रि 2023 के पहले दिन आलू का हलवा, राजगिरा का लड्डू या साबूदाना खिचड़ी जैसे प्रसाद का भोग लगा सकते हैं. इसके अलावा आप देवी मां को अनार का फल अर्पित कर सकते हैं.

मां शैलपुत्री की इन मंत्रों के साथ करें पूजा

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्तोत्र

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
त्रिलोजानि त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनि।
मोक्ष भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

मां शैलपुत्री आरती 

सर्व मंगला मंगल्ये, शिव सर्वार्थ साधिका ।

शरण्ये त्रयम्बके गौरी, नारायणी नमोस्तुते ।।

सर्व स्वरूपे सर्वेशे, सर्व शक्ति समन्वयते ।

भये भ्यस्त्राही नो देवी, दुर्गे देवी नमोस्तुते ।।

एतत्ते वदनं सौम्यं लोचना त्रयभुषितम् ।

पातु नः सर्वभितिभ्यः कात्यायनि नमोस्तुते ।।

ज्वाला करला मत्युग्राम शेषासुर सुदानम् ।

त्रिशूलं पातु नो भितर भद्रकाली नमोस्तुते ।।

या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थितः ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।

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सौम्या बी श्रीवास्तव

By News Thikhana

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