आज है विक्रम संवत् 2081 के भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि रात 07:57 त बजे तक तदुपरांत षष्ठी तिथि यानी रविवार, 08 सितंबर, 2024 परमाणु मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण, चीन-पाक पलभर में खाक पैरालंपिक: प्रवीण कुमार ने भारत को दिलाया एक और गोल्ड राजस्थान: 108 आईएएस के बाद 386 आरएएस अधिकारियों का ट्रांसफर
एक बार फिर अंतरिक्ष में इसरो की ऊंची उड़ान, लॉन्च किए LVM III रॉकेट से वनवेब  के 36 सैटेलाइट

साइंस

एक बार फिर अंतरिक्ष में इसरो की ऊंची उड़ान, लॉन्च किए LVM III रॉकेट से वनवेब के 36 सैटेलाइट

साइंस//Karnataka/Bengaluru :

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज सुबह यूके स्थित नेटवर्क एक्सेस एसोसिएटेड लिमिटेड के 36 सैटेलाइट्स को LVM- III रॉकेट को लॉन्च किया है। यह मिशन लॉन्च आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (ISRO)ने आज अपने LVM-III रॉकेट से एक साथ 36 सैटेलाइट लॉन्च किए हैं। यह लॉन्च श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से किया गया। ये सभी 36 सैटेलाइट ब्रिटेन के नेटवर्क एक्सेस एसोसिएटेड लिमिटेड (वनबेव) के हैं। फरवरी में इसरो के सफल लॉन्च के बाद यह इस साल का दूसरा लॉन्च है। 

ये उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा में होंगे स्थापित 
43.5 मीटर लंबे और 643 टन वजन वाले इस रॉकेट को श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया है। सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सेवाओं के लिए भेजे जा रहे वनवेब के ये 36 सैटेलाइट लो अर्थ ऑर्बिट यानी पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा में स्थापित जाएंगे। भेजे गए सभी 36 सैटेलाइट का वजन कुल मिलाकर 5805 किलोग्राम है। इससे पहले वनवेब पांच सौ से ज्यादा सैटेलाइट भेज चुका है। इन 36 सैटेलाइट के साथ ही उसके सैटेलाइट की संख्या 6 सौ के पार पहुंच गई है। 

क्यों सैटेलाइट भेजने के मामले में झंडे गाड़ रहा इसरो 
इसरो की कमर्शियल फर्म NSIL ने वनवेब के कुल 72 सैटेलाइट भेजने के लिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट किया था। 36 सैटेलाइट का पहला बैच 23 अक्टूबर 2022 को भेजा गया था। उस वक्त GSLV- MK III रॉकेट का इस्तेमाल किया गया था और मिशन सफल रहा था। इसरो की सहायता से सैटेलाइट भेजना सस्ता पड़ता है। इसीलिए देश विदेश की कंपनियां इसरो से कॉन्ट्रैक्ट कर रही है। 

बता दें कि सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सेवाएं देने के लिए कंपनियां आसमान में सैटेलाइट का जाल बिछा रही हैं। इन सैटेलाइट को निचली कक्षा में स्थापित किया जा रहा है। एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक भी इसी तरह की सेवाएं दे रही है। स्टारलिंक अभी तक हजार से भी ज्यादा सैटेलाइट भेज चुकी है। स्टारलिंक ने कई देशों में इंटरनेट सेवाएं शुरू भी कर दी हैं। 

You can share this post!

author

सौम्या बी श्रीवास्तव

By News Thikhana

Comments

Leave Comments