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क्या स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है बच्चों को भावात्मक रूप से अस्थिर..?

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क्या स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है बच्चों को भावात्मक रूप से अस्थिर..?

लेख//Rajasthan/Kota :

फ़ोन का हद से ज्यादा इस्तेमाल बच्चों को वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार बना रहा है। यही नहीं उनके मासूम से दिमाग को  दीमक की तरह खोखला कर रहा है।

वर्तमान परिस्थितियों में यह देखा गया है कि जहां पर दोनों अभिभावक नौकरी पेशा है वह अपने बच्चों को कम समय दे पाते हैं और कई बार बच्चों को जिद पूरा करने के लिए मोबाइल फोन दे देते हैं। ऐसे में बच्चों को मोबाइल फोन की लत लग जाती है। बच्चे मानसिक रूप से कमजोर होने लगे हैं। यही मानसिक कमजोरी उन्हें वर्चुअल ऑटिस्टिक बनाती जा रही है।अक्सर 4-5 साल के बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म (virtual autism) के लक्षण दिखते हैं. मोबाइल फोन, टीवी और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत की वजह से ऐसा होता है. स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल या लैपटॉप-टीवी पर ज्यादा समय बिताने से उनमें बोलने और समाज में दूसरों से बातचीत करने में दिकक्त होने लगती है.

इन बातों का रखें ध्यान

  • ऐसे ऐप्स का उपयोग करने पर विचार करें जो किसी बच्चे द्वारा किसी डिवाइस का उपयोग करने की अवधि को नियंत्रित करते हैं।
  • अपने बच्चे के शयनकक्ष से स्क्रीन दूर रखें और रात में अपने बच्चों को अपने उपकरणों को शयनकक्ष के बाहर चार्ज करने पर विचार करें।
  • बैकग्राउंड टीवी को हटा दें।
  • डिजिटल साक्षरता को प्रोत्साहित करना।

 किसी बिंदु पर आपका बच्चा ऐसी सामग्री के संपर्क में आ जाएगा जिसे आपने अनुमोदित नहीं किया है और बिना इंटरनेट फ़िल्टर वाले डिवाइसों के संपर्क में आ जाएगा।  अपने बच्चे से उन स्थितियों के बारे में बात करें जो उत्पन्न हो सकती हैं और जिस व्यवहार की आप अपेक्षा करते हैं।

अपने बच्चे को स्क्रीन पर जो कुछ भी दिखता है उसके बारे में गंभीरता से सोचने के लिए प्रोत्साहित करें।  अपने बच्चे से यह विचार करने के लिए कहें कि क्या इंटरनेट पर मौजूद हर चीज़ सटीक है।  क्या आपका बच्चा जानता है कि कैसे बताया जाए कि कोई वेबसाइट भरोसेमंद है?  अपने बच्चे को यह समझने में मदद करें कि मीडिया इंसानों द्वारा दृष्टिकोण के साथ बनाया गया है।  बता दें कि कई तरह की टेक्नोलॉजी यूजर्स को विज्ञापन भेजने या पैसे कमाने के लिए डेटा इकट्ठा करती हैं।

 उचित व्यवहार सिखाना

 ऑनलाइन रिश्ते और सोशल मीडिया किशोर जीवन का एक प्रमुख हिस्सा बन गए हैं।  विशेषज्ञों का सुझाव है कि आपके किशोर के लिए इन दुनियाओं का हिस्सा बनना ठीक है - जब तक आपका बच्चा उचित व्यवहार को समझता है।  बताएं कि क्या अनुमति है और क्या नहीं, जैसे सेक्सटिंग, साइबरबुलिंग और व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन साझा करना।  अपने बच्चे को सिखाएं कि वह ऐसी कोई भी चीज़ ऑनलाइन न भेजें या साझा न करें जिसे वह नहीं चाहेगा कि पूरी दुनिया अनंत काल तक देखे।

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श्रीमती विजया तिवारी

By News Thikhana

श्रीमती विजया तिवारी, एक पेशेवर सायबर फॉरेंसिक साइंस की विशेषज्ञ और सलाहकार हैं। वे वर्तमान में 'तथ्य फॉरेंसिक विंग फेडरेशन' की कार्यकारी निदेशक हैं, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के जिलों में फॉरेंसिंक डॉक्यूमेंट की रिसर्च के साथ फॉरेंसिक मामलों को सुलझाने में मदद कर रही है। साथ ही देश की प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं को ट्रेनिंग देने का काम भी कर रही है।

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