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पांच साल में आमने-सामने हो सकते हैं भारत-चीन ! रूसी रिपोर्ट में ड्रैगन के डर को बताया वजह

सेना

पांच साल में आमने-सामने हो सकते हैं भारत-चीन ! रूसी रिपोर्ट में ड्रैगन के डर को बताया वजह

सेना//Delhi/New Delhi :

रिपोर्ट के अनुसार चीन को डर है कि अगर किसी ने शिनजियांग प्रांत में स्थित काशगार प्लांट में हमला किया तो उसकी ऊर्जा व्यवस्था ठप हो जा जाएगी। इस तक जाने का एकमात्र रास्ता पूर्वी लद्दाख है।

भारत और चीन के बीच पांच सालों में जंग छिड़ सकती है। जियो पॉलिटिक्स के एक्सपर्ट्स ने इसकी आशंका जताई है। उनका कहना है कि हिमालय में 2025 से 2030 के बीच एक और भारत-चीन युद्ध छिड़ सकता है। 
एक्सपर्ट्स ने युद्ध की वजह चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) प्रोजेक्ट को बताया है। उनका कहना है कि चीन अपने काशागार एनर्जी प्लांट को लेकर डर में है, जिसका रास्ता पूर्वी लद्दाख से होकर गुजरता है। ऐसे में उसको लगता है कि अगर किसी पड़ोसी मुल्क ने इस पर हमला किया तो उसकी एनर्जी व्यवस्था ठप हो जाएगी।
भारत से क्यों डर रहा ड्रैगन?
रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट ने ‘वॉर क्लाउड्स ओवर द इंडियन होरिजोन’ की रिपोर्ट में यह बात कही है। रिपोर्ट में इंटरनेशनल पॉलिटिकल रिस्क एनालिटिक्स के संस्थापक और लेखक समीर टाटा ने तर्क दिया है कि चीन भारत के हिस्से पूर्वी लद्दाख को एनर्जी सिक्योरिटी को खतरे के नजरिए से देखता है। उसकी यह हरकत भारत और चीन को एक और युद्ध की तरफ धकेल सकती है। 
2025-2030 में हो सकता है भारत-चीन युद्ध?
रिपोर्ट में समीर टाटा ने लिखा, ‘चीन को डर है कि उसके पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में स्थित काशगार एनर्जी प्लांट पर हमला करने का एकमात्र रास्ता पूर्वी लद्दाख है। अगर कोई दुश्मन एनर्जी प्लांट काशगार पर हमला करके उसे कब्जे में ले लेता है तो चीन की ऊर्जा व्यवस्था तो ठप हो जाएगी।’ रिपोर्ट में कहा गया कि काशगार प्लांट ईरान के महत्वपूर्ण तेल और गैस पाइपलाइन से जुड़ा हुआ है। ये पाइपलाइन चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान से होकर गुजरती है।
टकराने से पहले दस बार सोचेगा चीन
पूर्व भारतीय सेना प्रमुख की राय युद्ध को लेकर अलग है। यूरेशियन टाइम्स से बात करते हुए उन्होंने कहा कि 2020 में गलवान संघर्ष के बाद चीन को पता है कि नया भारत पीछे हटने वाला नहीं। हालांकि, वह इस तर्क से सहमत हैं कि लद्दाख और काराकोरम पास चीन की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा हैं क्योंकि ये हिस्से सीपीईसी परियोजना के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि अगर चीन को लगता है कि भारत उस स्थिति में पहुंच रहा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर या तिब्बत में सीपीईसी रास्ते को काट सकता है तो यह 1962 जैसा बड़ा बदलाव हो सकता है। साल 1962 में भारत और चीन के बीच हुई जंग में भारत ने अपने कई सैनिक और जमीन गंवा दी थी।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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