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विश्व हिंदी दिवस पर DIPR,राज. के संयुक्त निदेशक डॉ. राजेश कुमार व्यास की पुस्तक “कलाओं की अंतर्दृष्टि“ का लोकार्पण

विश्व हिंदी दिवस पर DIPR,राज. के संयुक्त निदेशक डॉ. राजेश कुमार व्यास की पुस्तक “कलाओं की अंतर्दृष्टि“ का लोकार्पण

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विश्व हिंदी दिवस पर DIPR,राज. के संयुक्त निदेशक डॉ. राजेश कुमार व्यास की पुस्तक “कलाओं की अंतर्दृष्टि“ का लोकार्पण

साहित्य//Rajasthan/Jaipur :

 विश्व हिंदी दिवस पर राजस्थान के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. राजेश कुमार व्यास की पुस्तक “कलाओं की अंतर्दृष्टि“ का लोकार्पण किया गया।

नई दिल्ली के मेघदूत सभागार में साहित्य अकादमी के सर्वाेच्च सम्मान से समादृत देश के सुप्रसिद्ध कला समालोचक, कवि डॉ. राजेश कुमार व्यास की पुस्तक “कलाओं की अंतर्दृष्टि“ का लोकार्पण केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष और सुप्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ. संध्या पुरेचा, ख्यातनाम कला समीक्षक और कवि प्रयाग शुक्ल, सुप्रसिद्ध संगीताचार्य विजयनशंकर मिश्र, भाषाविद डॉ. अनिल कुमार त्रिपाठी और संगीत नाटक अकादमी के सहायक निदेशक तेजस्वरूप त्रिवेदी ने किया।

इस अवसर पर संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष संध्या पुरेचा ने कहा कि हिंदी में यह अपने तरह की अनुपम पुस्तक है। ख्यात लेखक प्रयाग शुक्ल ने व्यास को भारतीय संस्कृति और कलाओं का मौलिक चिंतक बताते हुए उनके लिखे की सराहना की। पंडित विजय शंकर मिश्र ने कहा कि कला रसिक के रूप में लिखी यह पुस्तक की भाषा कलाओं की तरह आनंदित करने वाली है। डा. अनिल त्रिपाठी ने कहा कि कला में भाषा का लालित्य और शब्दों की अनूठी लय लिए है “कलाओं की अंतर्दृष्टि“ पुस्तक।

संगीत नाटक अकादमी के सहायक निदेशक तेजस्वरूप त्रिवेदी ने बताया कि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा प्रकाशित डॉ. व्यास की पुस्तक “कलाओं की अंतर्दृष्टि“ भरतमुनि के नाट्यशास्त्र, विष्णु धर्माेत्तर पुराण, शुक्रनिति सार आदि भारतीय ग्रंथों के संदर्भ लिए संगीत, नृत्य, नाट्य, चित्रकला आदि से जुड़ी कलाओं की मौलिक भारतीय चिंतन परंपरा की आधुनिक दृष्टि है। उन्होंने बताया कि यह पुस्तक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसमें  लेखक व्यास ने भारतीय कलाओं से जुड़ी हिंदी और संस्कृत परंपरा को किस्सों कहानियों में बहुत सरस रूप में संप्रेषित किया है। पुस्तक की भाषा  इतनी रोचक है कि पढ़ते हुए निरंतर पाठक आनंद की अनुभूति करता है।

उल्लेखनीय है कि डॉ. राजेश कुमार व्यास इस समय दूरदर्शन का लोकप्रिय कला कार्यक्रम संवाद के होस्ट हैं। उनकी साहित्य और कलाओं की 23 मौलिक पुस्तकों प्रकाशित है। साहित्य अकादमी अवार्ड के अलावा उन्हें पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार का कोमल कोठारी कला अवार्ड, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी का शिखर सम्मान और अन्य बहुत से पुरस्कार समय समय पर मिलते रहे हैं। भारतीय लेखक प्रतिनिधि मंडल के अंतर्गत उन्होंने फ्रांस, जर्मनी, नेपाल आदि देशों की सांस्कृतिक यात्राएं  की हैं। उनके यात्रा वृतांत “नर्मदे हर“, “कश्मीर से कन्याकुमारी“ तथा “आँख भर उमंग“ भी बहुत चर्चित रहे हैं।

डॉं. व्यास का हुआ व्याख्यान-

इससे पहले संगीत नाटक अकादमी में डॉ. व्यास ने “भाषा एवं संस्कृति“ विषयक संवाद में हिंदी भाषा की संस्कृति और कलाओं की परंपरा पर अपने व्याख्यान में भारतीय चिंतन से जुड़े महती विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि हिंदी ने भारतीय कला और संस्कृति की जड़ों को निरंतर जीवंत रखा है। उन्होंने कहा कि पश्चिम ने भाषा के जरिए कला की भारतीय दृष्टि को निरंतर लीलने का प्रयास किया है। इस परिप्रेक्ष्य में कलाओं की हमारी समृद्ध अंतर्दृष्टि में जाने की जरूरत है।

 

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सौम्या बी श्रीवास्तव

By News Thikhana

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