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भारत ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इंडो यूएस स्पेसमिशन का मुख्य यात्री चुना..!

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भारत ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इंडो यूएस स्पेसमिशन का मुख्य यात्री चुना..!

साइंस//Karnataka/Bengaluru :

भारत जल्दी ही अमेरिका के साथ मिलकर स्पेस मिशन की शुरुआत करने जा रहा है। इस इंडो यूएस स्पेस मिशन के लिए भारत ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अपने ओर से मुख्य अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुना है। 

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए आगामी भारत-अमेरिका मिशन पर उड़ान भरने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने अंतरिक्ष यात्री-नियुक्तों में सबसे कम उम्र के व्यक्ति को मुख्य अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना है। भारतीय वायुसेना में शुक्ला को हाल ही में प्रोमेशन मिला था।

इसको की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) भेजेगा। इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी) ने आईएसएस के लिए अपने आगामी एक्सिओम-4 मिशन के लिए अमेरिका स्थित एक्सिओम स्पेस के साथ अंतरिक्ष उड़ान समझौता (एसएफए) किया है। इसमें दो भारतीय मुख्य और बैकअप मिशन पायलट होंगे। बयान के अनुसार, ग्रुप कैप्टन शुक्ला प्राइमरी मिशन पायलट होंगे, जबकि भारतीय वायु सेना के एक अन्य अधिकारी, ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, बैकअप मिशन पायलट होंगे।

इस महीने के पहले सप्ताह से ट्रेनिंग

इन्हें गगनयात्री के नाम से जाना जाएगा। इन अधिकारियों की ट्रेनिंग अगस्त महीने के पहले सप्ताह से शुरू हो जाएगी। मिशन के दौरान, अधिकारी आईएसएस के लिए चुने गए साइटिस्टों के साथ रिसर्च और टेक्नोलॉजी से जुड़े प्रयोग करेंगे। साथ ही स्पेस आउटरीच एक्टिविटीज में भी शामिल होंगे।

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 

लखनऊ में साल 1985 में जन्मे, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने भारतीय वायु सेना में अपना सफर लगभग 18 साल पहले शुरू किया था। उन्होंने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में ट्रेनिंग ली है। वह एक फाइटर कॉम्बैट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं जिनके पास लगभग 2,000 घंटे का उड़ान अनुभव है। उन्होंने सुखोई-30एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और एन-32 सहित कई तरह के विमान उड़ाए हैं। ग्रुप कैप्टन शुक्ला के परिवार के अनुसार कारगिल के दौरान भारतीय सैनिकों की बहादुरी और बलिदान की वीर गाथाओं को पढ़ने के बाद उन्हें सशस्त्र बलों में शामिल होने की प्रेरणा मिली। एक इंटरव्यू में उनकी बड़ी बहन का कहना था कि 1999 में जब कारगिल में युद्ध छिड़ा था, तब वह सिर्फ 14 साल के थे। उस समय पाकिस्तानी घुसपैठियों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर भारतीय चौकियों पर अतिक्रमण कर लिया था।

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