साइंस//Karnataka/Bengaluru :
चांद के दक्षिणी धु्रव पर सो रहे चंद्रयान 3 के प्रज्ञान रोवर और वक्रिम लैंडर ने बड़ा खुलासा किया है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने अपनी खोज में बताया कि चंद्रमा की मट्टिी ऊष्मारोधी है। इससे वहां इंसान अपना घर आसानी से बना सकेगा। यही नहीं, ऑक्सीजन को लेकर भी महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी है।
भारत के चंद्रयान-3 मिशन पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। चांद पर एक दिन बिताने के बाद भारत का प्रज्ञान रोवर सोने चला गया है। दरअसल, चांद पर रात हो गई है और धरती के मुताबिक 14 दिन बिताने के बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को अब इसरो के वैज्ञानिकों ने स्लिपिंग मोड में डाल दिया है। चंद्रमा की सतह पर चहलकदमी करते हुए प्रज्ञान रोवर ने बड़ी खोज की है।
प्रज्ञान ने खोजी खास चीज
चांद पर क्या कभी इंसान रह सकेगा, इसका जवाब अब चंद्रयान-3 ने दे दिया है। विक्रम लैंडर और रोवर से मिले डेटा से पता चलता है कि चंद्रमा पर हमारे उम्मीद से ज्यादा रहने योग्य है। यही नहीं, डेटा से यह भी पता चला है कि चांद की सतह ऊष्मा को रोकने वाली है और मिट्टी के अंदर ऑक्सीजन मौजूद है।
चांद से मिला सूचनाओं का भंडार
रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद की मिट्टी से ऊष्मा को रोकने वाली सामग्री का निर्माण किया जा सकता है। ऑक्सीजन को भी हासिल किया जा सकता है। इससे चांद पर विशाल और स्थायी मानवीय बस्ती का रास्ता साफ हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब से विक्रम लैंडर ने चांद की सतह को छुआ है, लैंडर और रोवर से बहुत बड़े पैमाने पर डेटा आ रहा है। यही नहीं, अगर सभी सूचनाओं को अगर मिला दें तो यह साफ है कि चांद पर रहना हमारी सोच से ज्यादा संभव है। इस नई धारणा को सबसे बड़ा समर्थन लैंडर से मिले डेटा से हुआ है।
चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी ऊष्मारोधी, बन सकेगा ‘घर’
लैंडर विक्रम ने रोवर प्रज्ञान को चांद की सतह पर 10 सेंटीमीटर नीचे गड्ढा खोदने और मिट्टी की जांच करने के लिए कहा। प्रज्ञान ने चंद्रमा के सतह के अंदर तापमान की जांच की। इससे खुलासा हुआ कि चंद्रमा की सतह का तापमान सतह पर 50 डिग्री सेल्सियस गर्म है, वहीं मात्र 8 सेंटीमीटर नीचे यह माइनस 10 डिग्री सेल्सियस है। अब वैज्ञानिकों को पता है कि चंद्रमा के नीचे की सतह ठंडी है। विक्रम ने यह सबूत पेश किया कि चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी ऊष्मारोधी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक चांद पर कोई वातावरण नहीं है और यह सीधे सूरज की किरणों से प्रभावित होता है।
दिन में भयंकर गर्मी, रात में भीषण ठंड
चांद दिन में 123 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो सकता है और रात में तापमान माइनस 233 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। चांद पर घर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर ऊष्मारोधी सामग्री की जरूरत होगी। इसके लिए धरती से भर-भरकर ऊष्मारोधी सामग्री को चांद पर पहुंचाना होता। हालांकि अब विक्रम लैंडर ने यह इसरो और दुनिया को बता दिया है कि इंसान को ऐसा करने की अब जरूरत नहीं होगी। चंद्रमा की मिट्टी की परत अंदर रह रहे लोगों को बहुत राहत दे सकती है। विक्रम लैंडर ने बताया है कि चांद की सतह पर 8 सेंटीमीटर नीचे और ऊपरी सतह के तापमान में भारी अंतर है और इंसान के रहने के लिए घर बनाते समय इसके डिजाइन में खास ध्यान रखना होगा।
चांद पर प्रज्ञान रोवर को मिला ऑक्सीजन
प्रज्ञान रोवर ने चांद पर ऐसी खोज की जिससे वैज्ञानिक बहुत खुश हैं। प्रज्ञान ने इस बात की पुष्टि की है कि चांद की मिट्टी के अंदर ऑक्सीजन मौजूद है। प्रज्ञान के एलआईबीएस उपकरण ने मिट्टी के अंदर लेजर बीम डाला और उसका वश्लिेषण किया। इसने बताया कि सल्फर, कैल्सियम, टाइटेनियम, अल्मूनियम, मैगनीज और ऑक्सीजन मौजूद है। चांद पर ऑक्सीजन इल्मेनाइट के रूप में मौजूद है। इससे बर्फ के अलावा इंसान के पास ऑक्सीजन बनाने के लिए एक और विकल्प मौजूद होगा। इससे अब इंसानों के लिए चांद पर बर्फ के स्रोत के पास घर बनाना जरूरी नहीं होगा। चांद पर हर जगह बर्फ नहीं है लेकिन उसकी मिट्टी हर तरफ मौजूद है। इल्मेनाइट की मदद से इंसान ऑक्सीजन पैदा कर सकेगा और चांद पर आसानी से सांस ले सकेगा।
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