ईरान के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीते उदारवादी नेता मसूद पेजेश्कियान चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के पाकिस्तान जाने की संभावनाएं नहीं: सूत्र ओडिशा: 22 जुलाई से शुरू होगा विधानसभा सत्र, 25 जुलाई को पेश होगा बजट अमेरिका: विस्कॉन्सिन राज्य की रैली में बोले जो बाइडेन- राष्ट्रपति पद की दौड़ में बना रहूंगा आज है विक्रम संवत् 2081 के आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि संपूर्ण दिवस यानी रविवार, 07 जुलाई 2024
पंचशील समझौते के पीछे था हनीट्रैप! भारत के लिए सबसे बड़ी गलती

राजनीति

पंचशील समझौते के पीछे था हनीट्रैप! भारत के लिए सबसे बड़ी गलती

राजनीति//Delhi/New Delhi :

भारत और चीन के बीच 29 जून को हुए पंचशील समझौते की 70वीं वर्षगांठ चीन ने मनाई है। लेकिन इस समझौते को भारत की आजादी के बाद की सबसे बड़ी गलतियों में से एक के तौर पर देखा जाता है, क्योंकि इससे भारत को फायदा नहीं हुआ। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह हनीट्रैप का नतीजा रहा है।

भारत और चीन के बीच 29 जून 1954 को पंचशील समझौता हुआ था। समझौता होते ही इसकी आलोचना शुरू हो गई थी। कांग्रेस के पूर्व नेता और सांसद आचार्य कृपलानी ने इसे पाप में जन्मा बताया था। वहीं कई एक्सपर्ट्स इसे भारत की आजादी के बाद सबसे बड़ी भूल में से एक बताते हैं। इसके होने से तिब्बत की स्वतंत्रता को लेकर बातचीत खत्म हो गई और चीन एक लंबी सीमा भारत से साझा करने लगा। यह भी संदेह जताया जाता है कि इस समझौते में चीन ने अपने हिसाब से प्रभाव डाला। क्योंकि भारत की ओर से गए एक प्रमुख वार्ताकार को चीनी महिला ने हनीट्रैप में फंसा लिया था। 
पंचशील समझौते की 5 बातें
- एक दूसरे की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान।
- परस्पर अनाक्रामकता
- एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं
- समानता और पारस्परिक लाभ वाले संबंध
- शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व
10 साल में ही चीन ने तोड़ा समझौता 
चीन ने 29 जून को पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर की 70वीं वर्षगांठ मनाई। भारत ने इससे दूरी बनाए रखी। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इसके सिद्धांतों की प्रशंसा की। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1954 में तिब्बत को लेकर भारत-चीन समझौते को एक सर्वव्यापी आदर्श शांति रूपरेखा के रूप में सराहा। लेकिन इस समझौते के 10 साल भी चीन ने नहीं होने दिया और 1962 में भारत पर युद्ध थोपकर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और संप्रभुता के सम्मान के सिद्धांतों के खिलाफ कदम उठाया। जियोपॉलिटिक्स एक्सपर्ट ब्रह्मा चेलानी ने पंचशील समझौते को आजादी के बाद सबसे बड़ी भूलों में से एक बताया।
तिब्बत से छूट गया कंट्रोल
साल 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पंचशील समझौते का तिब्बत पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा था क्योंकि यह एक देश था, जो भारत और चीन के बीच में बफर का काम करता था। लेकिन समझौते के बाद चीन भारत का सीधा पड़ोसी बन गया। 1954 के भारत-चीन समझौते का मतलब था कि भारत ने तिब्बत पर चीनी संप्रभुता को मान्यता दे दी है। जबकि 1950 से पहले तिब्बत में भारत गहराई से शामिल था। वहीं जब इस समझौते को लेकर बातचीत चल रही थी तब भारत के विदेश कार्यालय के राजनयिकों में से एक त्रिलोकी नाथ कौल के द्वारा राजनयिक प्रोटोकॉल में गंभीर उल्लंघन देखा गया।
चीनी महिला से चल रहा था अफेयर
इस समझौते में भारत ने तिब्बत को चीन का हिस्सा माना। दोनों देशों के बीच चार महीने की गहन बातचीत हुई थी। चीन में राजदूत एन. राघवन ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। राजनयिक त्रिलोकी नाथ कौल और दिल्ली के विदेश कार्यालय के ऐतिहासिक प्रभाग के उप निदेशक डॉ. गोपालाचारी भी चीन गए थे। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कौल जिन्होंने बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उनका इस दौरान एक चीनी महिला के साथ अफेयर चल रहा था। प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखक और तिब्बत विज्ञानी क्लाउड अर्पी ने 2018 के एक लेख में इसका जिक्र किया। अफेयर ने उनकी निष्पक्षता के प्रति संभावित संवेदनशीलता पर सवाल उठाए। भारत के विदेश कार्यालय के ऐतिहासिक प्रभाग के पूर्व प्रमुख अवतार सिंह भसीन की पुस्तक - नेहरू, तिब्बत और चीन में भी चीनी महिला से कौल के संबंधों की बात की गई है।
शादी भी करना चाहते थे कौल
भसीन ने अपनी किताब में लिखा, ‘1954 के समझौते से पहले राजनीतिक और महत्वपूर्ण संवेदनशील चर्चाओं में व्यस्त रहने के दौरान उनका एक चीनी महिला के साथ संबंध था, जो उनके रैंक के एक अधिकारी से अपनेक्षित व्यवहार के सभी मानदंडों का उल्लंघन था।’ क्लाउड अर्पी के मुताबिक कौल चीनी महिला से शादी भी करना चाहते थे। अवतार सिंह ने अपनी किताब में लिखा, ‘वह इतना साहसी था कि उसने शादी करने की इजाजत मांगी, जबकि वह पहले से शादीशुदा था।’ प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भी इसकी खबर मिली, जिसके बाद वह भड़क गए और समझौते की बातचीत समाप्त होने का इंतजार किए बिना जल्द से जल्द भारत लौटने को कहा। हालांकि कौल ने शादी नहीं की लेकिन वह तुरंत भारत भी नहीं लौटे। इसके बाद भी वह कई भारतीय मिशनों पर गए।
 

You can share this post!

author

Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

Comments

Leave Comments