साइंस///Beijing :
मंगल ग्रह पर मौजूद चीन का जुरॉन्ग रोवर आखिरकार अपनी नींद से नहीं जाग सका है। चीन के मंगल मिशन के मुख्य डिजाइनर ने इसकी पुष्टि की है कि रोवर से संपर्क नहीं हो सका। मई 2022 में इस रोवर को स्लीप मोड में भेज दिया गया था। प्लान के मुताबिक इसे दिसंबर 2022 में फिर शुरू होना था पर ये दोबारा नहीं चला।
चीन ने मंगल ग्रह पर मौजूद उसके जुरॉन्ग मार्स रोवर को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी है। चीन की स्पेस एजेंसी ने साफ कर दिया है कि रोवर से उसका कोई संपर्क नहीं हो सका है। चीन का मार्स रोवर मई 2022 से ही निष्क्रिय पड़ा है। इसके अलावा सौर ऊर्जा से चलने वाले इस रोवर को लगातार धूल भरी आंधी और ठंडे तापमान का सामना करना पड़ रहा था। लंबे समय से इस रोवर को लेकर सवाल उठ रहे थे, जिसके बाद चीनी रोवर के मिशन डिजाइनर ने अंतरिक्ष यान की स्थिति के बारे में महीनों बाद चुप्पी तोड़ी है।
चीन में आग के देवता जुरॉन्ग के नाम पर इस रोवर का नाम पड़ा। मई 2022 में मंगल ग्रह पर ठंड का मौसम आ रहा था। सोलर पैनल को सूर्य की कम रोशनी मिलने के कारण यह नियोजित स्लीप मोड में चला गया। इसके दिसंबर में जागने की उम्मीद थी। चीन के राज्य टेलीविजन सीसीटीवी ने मंगलवार को चीन के मार्स एक्सप्लोरेशन कार्यक्रम के मुख्य डिजाइनर झांग रोंगकिआओ के हवाले से बताया कि धूल के कारण बिजली उत्पादन की क्षमता प्रभावित हुई, जिसके कारण रोवर नहीं जाग सका है।
तीन महीने का था मिशन
जुरॉन्ग मार्स रोवर ने 358 दिनों तक मंगल ग्रह की सतह को एक्सप्लोर किया और 1921 मीटर की यात्रा की। झांग ने कहा कि इस रोवर का मिशन सिर्फ तीन महीने का था, लेकिन इसने उससे भी ज्यादा समय तक काम किया। एरिजोना यूनिवर्सिटी के मुताबिक नासा के मार्स ऑर्बिटर ने इसकी फोटो खींची थी। इसके जरिए पता चला था कि चीनी रोवर ने 8 सितंबर 2022 से 7 फरवरी 2023 के बीच अपनी जगह नहीं बदली। झांग रोंगकिआओ ने पुष्टि की है कि चीन की स्पेस एजेंसी रोवर के साथ कोई संपर्क नहीं कर सकी है।
सोलर पैनल के लिए धूल है दुश्मन
चीन के इस रोवर का वजन 240 किग्रा है। मई 2021 में यह रोवर सुरक्षित मंगल ग्रह पर उतरा था, जिसमें हाई रिजॉल्यूशन वाले कैमरे समेत छह वैज्ञानिक उपरकण लगे हैं। इस रोवर का काम ग्रह की सतह की मिट्टी और वातावरण का अध्ययन करना था। सौर ऊर्जा से चलने वाला यह रोवर प्राचीन जीवन के संकेतों को भी खोज रहा था। मंगल ग्रह पर सोलर पैनल के लिए सबसे बड़ी दिक्कत धूल होती है। अगर सोलर पैनल पर धूल जम जाए तो उसे साफ करने का कोई तरीका नहीं है। दिसंबर 2022 में नासा का इनसाइट लैंडर भी ऊर्जा की कमी के कारण बंद हो गया था।
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