राजनीति/कांग्रेस/Haryana/Chandigarh :
कांग्रेस पार्टी हरियाणा के बहाने दिल्ली में आप के साथ डील करना चाहती है। पार्टी हरियाणा में आप को कुछ सीटें देकर अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए एक बेस बनाना चाहती है, जिसके आधार पर राजधानी में सीटों का बंटवारा हो सके।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। भाजपा अपने 67 उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर चुकी है। लेकिन, कांग्रेस अभी तक उम्मीदवारों की कोई लिस्ट जारी नहीं कर पाई है। दरअसल, राज्य में कांग्रेस की आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन पर बातचीत चल रही है। इस कारण उम्मीदवारों की लिस्ट नहीं जारी हो पाई है।
मई में संपन्न लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर राजनीति के जानकार यह मान रहे हैं कि राज्य में कांग्रेस को सत्ताधारी भाजपा पर बढ़त है। लोकसभा में कांग्रेस नौ सीटों पर लड़कर पांच पर विजयी हुई वहीं भाजपा केवल पांच सीट ही हासिल कर पाई, वो भी तब जब पीएम नरेंद्र मोदी चेहरा थे।
इस सफलता से उत्साहित कांग्रेस पार्टी का प्रदेश नेतृत्व किसी अन्य दल से गठबंधन नहीं करना चाहता है। लेकिन, कांग्रेस आलाकमान खासकर राहुल गांधी की योजना कुछ और है। वह राज्य से बाहर आने वाले चुनावों को लेकर अभी से रणनीति बना रहे हैं। राहुल गांधी के कहने पर ही हरियाणा में कांग्रेस पार्टी इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों आप और सपा को कुछ सीटें देने को लेकर बातचीत कर रही है। सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से 10 सीटें मांगी हैं।
उसका तर्क है कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत पार्टी ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था। इसी फॉर्मूले को विधानसभा में भी लागू रखा जाए। दरअसल, राज्य में विधानसभा की 90 सीटे हैं। इस तरह एक लोकसभा में नौ विधानसभा सीटें आती हैं। इसी आधार पर आप 9 से 10 सीटें मांग रही है। हालांकि, कांग्रेस उसे सात और दो अन्य सीटें सपा को देने की योजना बना रही है।
दिल्ली पर नजर
खैर, बात यहीं खत्म नहीं हो रही है। दरअसल, कांग्रेस खासकर राहुल गांधी के करीबी यह मान रहे हैं कि अगर केजरीवाल की पार्टी हरियाणा में लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले को लागू करने पर जोर दे रही है तो अगले साल दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी यही फॉर्मूला लागू होगा। बीते लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीटों के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था। इसके तहत कांग्रेस ने तीन और आप ने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे। हालांकि यहां इस गठबंधन की बुरी हार हुई और उसे कोई सीट नहीं मिली।
दिल्ली में विधानसभा की कुल 70 सीटें हैं। यहां एक लोकसभा क्षेत्र में कुल 10 विधानसभा सीटें हैं। अगर लोकसभा चुनाव का फॉर्मूला लागू होता है और अगले साल अगर दिल्ली में विधानसभा के लिए दोनों दलों के बीच गठबंधन होता है तो कांग्रेस इसी आधार पर दिल्ली में 30 विधानसभा सीटें मांग सकती है। मौजूदा वक्त में दिल्ली में कांग्रेस के पास एक भी विधायक नहीं है। 2020 के विधानसभा में दिल्ली में आप को बंपर जीत मिली थी। उसे यहां की 70 में 67 सीटें हासिल हुई थी।
कुछ ऐसी ही स्थिति 2015 में देखा गया था। उस वक्त भी आप की आंधी में कांग्रेस और भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था। इस तरह कांग्रेस पार्टी खासकर राहुल गांधी के करीबी नेता हरियाणा में गठबंधन के बहाने दिल्ली की योजना पर काम कर रहे हैं। इसमें राहुल गांधी के करीबी नेताओं की भूमिका काफी अहम है। दिल्ली के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन की भूमिका अहम मानी जा रही है। उनके साथ दीपेंद्र हुड्डा और दीपक बाबरिया को भी टीम का हिस्सा बनाया गया है।
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