आज है विक्रम संवत् 2081 के भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि रात 07:57 त बजे तक तदुपरांत षष्ठी तिथि यानी रविवार, 08 सितंबर, 2024 परमाणु मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण, चीन-पाक पलभर में खाक पैरालंपिक: प्रवीण कुमार ने भारत को दिलाया एक और गोल्ड राजस्थान: 108 आईएएस के बाद 386 आरएएस अधिकारियों का ट्रांसफर
हमास फिर नहीं कर पाएगा हिमाकत...! इजरायल का यह ‘ब्रह्मास्त्र’ सेकेंडों में ध्वस्त कर देगा रॉकेट को

सेना

हमास फिर नहीं कर पाएगा हिमाकत...! इजरायल का यह ‘ब्रह्मास्त्र’ सेकेंडों में ध्वस्त कर देगा रॉकेट को

सेना/// :

हमास को जवाब देने के लिए इजरायल अपने सबसे खतरनाक हथियार को तैनात करने का मन बना चुका है। यह हथियार लेजर से की मदद से दुश्मनों की निशाना बनाता है और इसे सबसे खतरनाक हथियार बताया जाता है। पिछले एक हफ्ते से इजरायल और हमास के बीच जंग जारी है।

हमास के खिलाफ जारी जंग और गाजा पर एक्शन लेने के बीच ही खबरें हैं कि इजरायल अपने उस हथियार का प्रयोग कर सकता है, जो लेजर से चलता है। आयरन बीम, इस हथियार को इजरायल के जखीरे में काफी खतरनाक करार दिया जाता है। अब दुश्मन पर इसी हथियार से हमले की तैयारी है। इजरायल ने इसे विकसित करने में दो दशक यानी पूरे 20 साल का समय खर्च किया है। पहले माना जा रहा था कि यह हथियार अगले डेढ़ साल के अंदर फिलिस्तीन से लगे बॉर्डर पर तैनात हो सकता है। मगर अब जो खबरें आ रही हैं, उसके मुताबिक इसे अगले कुछ दिनों में तैनात कर दिया जाएगा।

<

> सबसे एडवांस्ड सिस्टम
आयरन बीम दुश्मन की तरफ से आने वाली किसी भी मिसाइल या रॉकेट पर निशाना लगाता है। यह किसी भी टारगेट को ढेर करने के लिए लेजर बीम का प्रयोग करता है। यह पहला मौका होगा जब इजरायल इस हथियार को दुनिया के सामने लाएगा। इजरायल ने पिछले काफी समय से इसे प्रयोग करने के बारे में सोचा नहीं था। लेकिन देश के रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो अब यह तैयार है और ऐसे में इसे अभी तैनात करना ही बेहतर होगा। आयरन डोम की तरह ही इस डिफेंस सिस्टम को बनाने मे भी अमेरिका ने मदद की है। लेजर बीम डिफेंस सिस्टम को दुनिया का सबसे एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम करार दिया जाता है।
कौन है इसका निशाना
याकोव लैपिन ने ज्यूईश न्यूज सिंडिकेट वेबसाइट पर लिखा है कि गाजा, लेबनान और सीरिया सभी, राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स की तरफ से तैयार किए गए आयरन बीम के अच्छे उम्मीदवार हैं। इजरायल ने 20 साल पहले इसे हमास और अपने सभी दुश्मनों को दिमाग में रखकर तैयार करना शुरू किया था। इस लेजर सिस्टम को सीधे आयरन डोम एयर डिफेंस बैटरियों के साथ ही इंटीग्रेट कर दिया जाता है। आयरन डोम साल 2011 से ही सर्विस में है। 100 किलोवाट लेजर की सीमा करीब आठ से 10 किलोमीटर तक होती है। यही इसे आयरन डोम की तुलना में कुछ कमजोर कर देती है। हर लेजर एक समय में एक ही खतरे का सामना कर सकता है। जबकि आयरन डोम एक साथ कई खतरों से निपट सकता है।
काफी सस्ता है यह सिस्टम
इसका इलेक्ट्रिक सोर्स वाला लेजर सिस्टम यह तय करता है कि लेजर को कब एक्टिवेट करना है और कब काइनेटिक आयरन डोम इंटरसेप्टर को फायर करना है। इसे तामीर मिसाइल के रूप में भी जाना जाता है। यह भी तय होता है कि किस प्रकार की तामीर मिसाइल को लॉन्च करना है। कुछ इंटरसेप्टर विशेष कैमरों से लैस हैं जबकि अन्य में ऑन-बोर्ड रडार हैं। आयरन बीम और आयरन डोम दोनों रॉकेट, मोर्टार गोले, ड्रोन और मिसाइलों को ढेर कर सकते हैं। इसका हर शॉट बस तीन डॉलर की कीमत का है और ऐसे में इसे काफी सस्ता करार दिया जा रहा है।

You can share this post!

author

Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

Comments

Leave Comments