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फाइटर जेट की पांचवीं पीढ़ी..भारत ने निकाला गजब तोड़..!

सेना

फाइटर जेट की पांचवीं पीढ़ी..भारत ने निकाला गजब तोड़..!

सेना//Delhi/New Delhi :

इंडियन एयरफोर्स की ताकत को और मारक बनाने के लिए भारत सरकार ने एक देसी जुगाड़ निकाला है। इस जुगाड़ की बदौलत भारतीय वायु सेना के पुराने हो रहे फाइटर जेट बेहद एडवांस हो जाएंगे। कई मायनों मे ये हमारे राफेल से भी बेहतर हो जाएंगे।

चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों से घिरे भारत की मोदी सरकार सुरक्षा के मोर्चे पर कोई चांस नहीं लेना चाहती। इसी कारण भारतीय वैज्ञानिकों की मदद से एक बेहद अचूक जुगाड़ निकाला गया है। 
इस जुगाड़ की मदद से भारतीय वायु सेना पांचवीं पीढ़ी जैसे लड़ाकू विमान मिल जाएंगे। जो कई मायनों में अपने सबसे आधुनिक विमान राफेल से भी बेहतर होंगे। इस जुगाड़ तकनीक की वजह से पुराने पड़े लड़ाकू विमान बेहद एडवांस हो जाएंगे। भारत सरकार की इस योजना और भारतीय वैज्ञानिकों के इस जुगाड़ को देखकर दोनों पड़ोसी दुश्मन देशों के फाइटर जेट बाप-बाप करने लगेंगे।
भारत सरकार इस जुगाड़ तकनीक पर एक दो नहीं बल्कि पूरे 63 हजार करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। इसके लिए पूरी योजना तैयार हो चुकी है। अब केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी को इसको मंजूरी देनी है। 
दरअसल, यह पूरी कहानी है रूसी लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई को बेहद आधुनिक देसी तकनीक से लैस करने की। इससे ये सुखोई विमान बेहद खतरनाक बन जाएंगे। इसके बाद ये भारतीय वायु सेना को अगले करीब 30 सालों तक अपनी सेवा दे सकेंगे। इन विमानों में देसी तकनीक जोड़े जाने से ये दुनिया के कुछ चुनिंदा सबसे खतरनाक विमानों की श्रेणी में शामिल हो जाएंगे। इनके फीचर्स अधिकतर मामलों में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान जैसे हो जाएंगे।
63 हजार करोड़ होंगे खर्च
एक रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में ड्राफ्ट नोट तैयार कर लिया है। इसके तहत पहले चरण में 84 सुखोई लड़ाकू विमानों को अपग्रेड किया जाएगा। इस अपग्रेडेशन में करीब 63 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस अपग्रेडेशन में डिजाइन, फीचर्स और टेक्नोलॉजी पर काम किया जाएगा। अपग्रेडेशन के बाद ये विमान क्षमता के मामले में पांचवीं पीढी के विमान बन जाएंगे। 
विमानों में स्टील्थ टेक्नोलॉजी नहीं होगी
इसमें पांचवीं पीढ़ी के विमानों की स्टील्थ टेक्नोलॉजी नहीं होगी। इसके मैन्ड और अनमैन्ड वर्जन तैयार होंगे। इसकी मारक क्षमता को अचूक बनाने के लिए इसमें एआई और डाटा का जबर्दस्त इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसा होने के बाद ये सुखोई विमान 2055 तक भारतीय सेना की सेवा कर सकेंगे।
42 स्क्वाड्रन्स की जरूरत
दरअलस, भारतीय वायु सेना लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है। उसके पास केवल 30 स्क्वाड्रन्स हैं जबकि चीन और पाकिस्तान दोनों से संभावित खतरों को देखते हुए कम से कम 42 स्क्वाड्रन्स की जरूरत है। एक स्क्वाड्रन्स में 16 से 18 लड़ाकू विमान होते हैं। सभी 84 डबल इंजन सुखोई जेट को हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) अपग्रेड करेगी। इसमें 15 साल का समय लगेगा। कैबिनेट कमेटी की मंजूरी मिलने के बाद इन विमानों को अपग्रेड करने के लिए डेवलपमेंट वर्क में ही सात साल लग जाएंगे। मौजूदा वक्त में भारतीय वायु सेना के पास 259 सुखोई विमान हैं। इनमें से अधिकतर का निर्माण रूस के साथ लाइसेंस ट्रांसफर डील के तहत एचएएल ने ही किया है।
इन विमानों में बेहद एडवांस रडार सिस्टम विरपक्ष को इंस्टॉल किया जाएगा। इससे सुखोई की डिटेक्शन रेंज यानी चीजों को देखने की क्षमता डेढ़ से पौने दो गुना बढ़ जाएगी। इसमें लंबी दूरी की मिसाइलें जैसे अस्त्र-3 को तैनात किया जा सकेगा। इससे ये हवा से 350 किमी की दूरी पर टार्गेट को नष्ट कर सकेंगे। कुल मिलाकर इन विमानों में 51 सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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