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जापान से न्यूजीलैंड तक फट रही धरती, वैज्ञानिकों ने जताई बड़ी तबाही की आशंका

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जापान से न्यूजीलैंड तक फट रही धरती, वैज्ञानिकों ने जताई बड़ी तबाही की आशंका

साइंस/प्रकृति/Delhi/New Delhi :

वैज्ञानिकों ने बताया है कि पृथ्वी की ऊपरी सतह जापान से लेकर न्यूजीलैंड तक फट रही है। इससे प्रशांत महासागर के अंदर गई बड़े भ्रंश बन गए हैं। अभी तक यह समझा जाता था कि महासागरों के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेट जमीन की अपेक्षा काफी मजबूत होती हैं। लेकिन, नए शोध ने वैज्ञानिक धारणा को उलट कर रख दिया है।

पृथ्वी का कठोर बाहरी आवरण एक दर्ज से अधिक टेक्टोनिक प्लेट से मिलकर बना है। इन्हीं टेक्टोनिक प्लेट की हलचल के कारण पृ्थ्वी पर भूकंप आते हैं। अब टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया है कि जापान से न्यूजीलैंड तक फैली पैसिफिक टेक्टोनिक प्लेट टूट रही है। इन्होंने पाया है कि प्रशांत प्लेट समुद्र के अंदर बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त हो रही है। यह शोध जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है और इसमें उन विशाल ताकतों के बारे में बताया गया है जो प्लेटों को खींच रही हैं। शोध में बताया गया है कि समुद्र के नीचे के ये भ्रंश सैकड़ों किलोमीटर लंबे और हजारों मीटर गहरे हैं।
समुद्र के नीचे दरक रही सतह
विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ आर्ट सांइसेज में डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ साइंसेज में पोस्ट-डॉक्टरल शोधकर्ता एरकन गन ने कहा, ‘हम जानते थे कि भूवैज्ञानिक विकृतियां जैसे कि भ्रंश महाद्वीपीय प्लेट के आंतरिक भाग पर टेक्टोनिक प्लेट की सीमाओं से दूर होती हैं। लेकिन हम नहीं जानते थे कि समुद्री प्लेटों के साथ भी यही हो रहा था।’ डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ साइंसेज के प्रोफेसर रसेल पिस्कलीवेक ने कहा, ‘हम जो कर रहे हैं वह प्लेट टेक्टोनिक्स को रिफाइन कर रहा है। यह दर्शाता है कि वे प्लेटें वास्तव में उतनी प्राचीन नहीं हैं जितना हमने पहले सोचा था।’
प्रशांत टेक्टोनिक प्लेट में सबसे ज्यादा हलचल
प्रशांत प्लेट दुनिया की सबसे बड़ी टेक्टोनिक प्लेट है। यह प्रशांत महासागर के अधिकांश तल का निर्माण करती है, जो उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट के साथ अलास्का तक फैली हुई है। पश्चिमी छोर पर, यह जापान से न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया तक मौजूद है। यह प्लेट पैसिफिक रिंग ऑफ फायर का एक बड़ा हिस्सा बनाती है। नवीनतम शोध ने नए बिंदुओं की पहचान की है जहां प्रशांत प्लेट को नीचे खींचा जा रहा है। गन ने कहा, ‘यह सोचा गया था कि उप-महासागरीय पठार अधिक मोटे हैं, इसलिए उन्हें मजबूत होना चाहिए। लेकिन हमारे मॉडल और भूकंपीय आंकड़े बताते हैं कि यह वास्तव में विपरीत है। ये प्लेट काफी कमजोर हैं।’
प्रशांत महासागर में हलचल से आ सकती है तबाही
शोध दल ने पश्चिमी प्रशांत महासागर में चार पठारों- ओन्टोंग जावा, शेट्स्की, हेस और मनिहिकी - का अध्ययन किया। यह मोटे तौर पर हवाई, जापान, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से घिरा हुआ एक विशाल क्षेत्र है। फिर डेटा को एक सुपर कंप्यूटर में डाला गया, जिसने इसकी तुलना 1970 और 80 के दशक में किए गए अध्ययनों में एकत्र की गई जानकारी से की। पाइस्कलीवेक ने कहा, ‘इस तरह की एक नई खोज सक्रिय पृथ्वी के बारे में हमने जो समझा और सिखाया है, उसे पलट देती है। और यह दर्शाता है कि हमारे विकसित हो रहे ग्रह के बारे में अभी भी कई रहस्य छिपे हुए हैं। ऐसे बड़े बदलाव से भूकंप और ज्वालामुखी फटने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो सकती है, जिससे धरती पर तबाही आ सकती है।’

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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