//Jharkhand/Ranchi :
जब दिल में जज्बा हो तो दिव्यांगता भी वरदान साबित हो सकती है। चतरा जिले के सौरभ प्रसाद से बेहतर इसे कौन समझ सकता है। टंडवा प्रखंड के चट्टीगाड़ीलौंग गांव के सौरभ बचपन से ही 'ग्लूकोमा' नाम की आंखों की बीमारी से ग्रसित थे। जिसके कारण महज 11 साल की उम्र में ही उनके आंखों की रोशनी चली गई। हालांकि, नेत्रहीनता के बावजूद उन्होंने पूरी मेहनत की और लगन से अपने लक्ष्य पर कायम रहे। इसका नतीजा यह हुआ कि सौरभ को माइक्रोसॉफ्ट जैसी नामी सॉफ्टवेयर कंपनी ने 51 लाख का पैकेज देकर नौकरी पर रखा है।
सौरभ ने 10वीं की परीक्षा में 97 फीसदी अंक लाकर टॉप किया, इतना ही नहीं 93 फीसदी रिकार्ड अंक के साथ 12वीं भी पास की। जिसके बाद आईआईटी दिल्ली में उनका सीएसई में नामांकन करवाया गया, वर्तमान में सौरभ सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं। सौरभ के पिता बताते हैं कि सौरभ के हौसलों के आगे मैंने भी हिम्मत नहीं हारी और उसके हर कदम पर साथ चला।
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