आज है विक्रम संवत् 2081 के भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि रात 07:57 त बजे तक तदुपरांत षष्ठी तिथि यानी रविवार, 08 सितंबर, 2024 परमाणु मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण, चीन-पाक पलभर में खाक पैरालंपिक: प्रवीण कुमार ने भारत को दिलाया एक और गोल्ड राजस्थान: 108 आईएएस के बाद 386 आरएएस अधिकारियों का ट्रांसफर
धोखा, जुर्म और जालसाजी...! पुलिस अकादमी में कैसे दो साल तक ट्रेनिंग लेती रही ‘मोना’

क्राइम

धोखा, जुर्म और जालसाजी...! पुलिस अकादमी में कैसे दो साल तक ट्रेनिंग लेती रही ‘मोना’

क्राइम //Rajasthan/Jaipur :

वो कभी राजस्थान के एडीजी के साथ टेनिस खेलती, तो कभी पूर्व डीजीपी की बेटी की शादी में गेस्ट बनकर पहुंची। और तो और, कोचिंग सेंटर में जाकर पुलिस की परीक्षा कैसे क्रैक की जाए, इस पर भी नए-नए स्टूडेंट्स को ज्ञान भी देती नजर आती थी। लेकिन उसका सच कुछ और ही था।

एक लड़की राजस्थान पुलिस में सब इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए इम्तिहान देती है। इसके बाद जब उसका रिजल्ट आता है, तो वो लड़की खुशी-खुशी अपने घर और गांववालों को बताती है कि वो अब सब इंस्पेक्टर बन गई है। इसके बाद अगले दो साल तक वो राजस्थान पुलिस अकादमी में बाकायदा ट्रेनिंग लेती है। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद जैसे ही पोस्टिंग की बारी आती है, तो एक ऐसा खुलासा होता है, जिसे सुनकर पूरी पुलिस अकादमी में हड़कंप मच जाता है।

वर्दी की धौंस
उसका रौब ऐसा था कि बड़े से बड़ा पुलिस अफसर भी गच्चा खा जाए। वो जब चाहे, जिसे चाहे वर्दी की धौंस दिखाकर चुप करा देती थी। लेकिन एक दिन जब उसके रौब-दाब ठसक, पुलिसिया चाल-ढाल और वर्दी के तिलिस्म से पर्दा हटा तो पता चला कि वो कोई पुलिस अफसर नहीं बल्कि नंबर एक की बंडलबाज लड़की है, जिसने राजस्थान पुलिस एकेडमी की कमियों का फायदा उठाते हुए ना सिर्फ दो साल तक फर्जी तरीके से पुलिस सब इंसपेक्टर की ट्रेनिंग ली, बल्कि इसी ट्रेनिंग के दौरान पुलिस वाली होने का ऐसा धमाल मचाया कि जब पोल खुली तो उसके संपर्क में आने वाले लोग उसका सच जान कर हैरत में पड़ गए।
पुलिस भर्ती परीक्षा में नाकाम हो गई थी मोना

23 साल की शातिर लड़की मोना बुगालिया नागौर जिले के निंबा के बास गांव की रहनेवाली है। दूसरी ढेरों लड़कियों की तरह मोना की आंखों में पुलिस की वर्दी पहनने का सपना था। उसने बाकायदा इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की तैयारी की और इम्तेहान भी दिया। लेकिन लाख कोशिश करने के बावजूद वो इस इम्तेहान में पास नहीं हो पाई। और बस यहीं से उसके दिमाग ने साजिश का ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया।
जालसाजी का रास्ता
मोना अपनी नाकामयाबी को हजम नहीं कर सकी और उसने सब इंस्पेक्टर के तौर पर ना चुने जाने के बावजूद सोशल मीडिया पर सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में पास कर जाने की खबर फैला दी। और वाहवाही बटोरने लगी। इसी बधाई और वाहवाही ने उसे उस मुकाम तक पहुंचा दिया, जहां से शायद पीछे लौटना उसके लिए मुमकिन नहीं था। मोना के घरवालों की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी, ऐसे में उसके साथ चुनौतियों से जूझ कर कामयाबी हासिल करने का तमगा भी जुड़ गया। 
धोखे से एकेडमी में ली एंट्री
उसने राजस्थान पुलिस एकेडमी की ट्रेनिंग में अनियमितता का फायदा उठा कर धोखे से वहां एंट्री ले ली और हद देखिए कि पूरे दो साल तक वहां बतौर चयनित सब इंस्पेक्टर ट्रेनिंग भी करती रही। असल में राजस्थान पुलिस एकेडमी में आम तौर पर सब इंस्पेक्टर्स के लिए दो तरह की ट्रेनिंग होती है। एक रेग्यूलर बैच की ट्रेनिंग और दूसरी स्पोर्टस कोटा वालों की ट्रेनिंग। रेग्यूलर बैच की ट्रेनिंग 9 जुलाई, 2021 को शुरू हुई थी, जबकि स्पोर्ट्स कोटा वालों की ट्रेनिंग फरवरी, 2021 से। 
मोना को लेकर एकेडमी में कनफ्यूजन
कमाल देखिए कि मोना वक्त-वक्त पर दोनों बैच के साथ ट्रेनिंग करती रही। रेग्यूलर बैच में जब कभी उससे उसके बारे में पूछा जाता तो वो बताती कि वो स्पोर्ट्स कोटे से है और जब स्पोर्टस कोटे से ट्रेनिंग को लेकर उससे सवाल किए जाते, तो वो कहती कि वो रेग्यूलर बैच की है। एकेडमी में ट्रेनिंग करते-करते उसे पता चला कि वहां आईबी के लोग भी ट्रेनिंग के लिए आते हैं। ऐसे में एक बार जब एक सब इंस्पेक्टर ने उसके कोटे को लेकर सवाल पूछा तो उसने बताया कि वो आईबी से है। इस तरह उसकी ट्रेनिंग को लेकर शुरू से ही एकेडमी में कनफ्यूजन बना रहा और मोना ने इसका भरपूर फायदा उठाया।
एकेडमी के मेन गेट से कभी नहीं ली एंट्री
अब आप ये सोच रहे होंगे कि ट्रेनिंग के दौरान कभी तो कैंडिडेट्स की हाजिरी लगती होगी, रजिस्टर में उनके नाम की एंट्री होती होगी, तो आखिर मोना दो सालों तक ट्रेनिंग लेती रही और एक बार भी किसी को उस पर शक क्यों नहीं हुआ। असल में मोना कभी इनडोर क्लास और एक्टिविटीज अटेंड नहीं करती थी क्योंकि उसे पता था कि अगर वो क्लास में जाएगी, तो हाजिरी के दौरान उसकी पोल खुल जाएगी। इसी तरह जो भी ट्रेनिंग के लिए एकेडमी में आते हैं, उन्हें वहीं हॉस्टल में रहना होता है, लेकिन चूंकि मोना का नाम चुने गए कैंडिडेट्स में नहीं था, वो हॉस्टल में रह भी नहीं सकती थी। ऐसे में वो रोजाना ट्रेनिंग एकेडमी में आती और बाहर चली जाती। आने-जाने के लिए भी उसने अनोखा तरीका ढूंढ रखा था। वो ट्रेनिंग एकेडमी के मेन गेट से नहीं आती-जाती थी, क्योंकि वहां आई-कार्ड की चेकिंग होती थी, बल्कि इसके बदले वो उस गेट से एकेडमी में आती थी, जहां से पुलिस अफसरों के परिवारजन यानी फैमिली मेंबर्स आते-जाते थे।
वर्दी पहनकर कैंटीन में जाती थी मोना
ट्रेनिंग एकेडमी में आने के बाद वो ज्यादातर वक्त कैंटीन, स्वीमिंग पूल, फैमिली क्वार्टर्स में गुजारती थी। एकेडमी की कैंटीन में वो बाकायदा वर्दी पहन कर जाती और नए-नए सब इंस्पेक्टर्स से दोस्ती करती। एकेडमी का नियम ये है कि यहां चुने गए कैंडिडेट्स को अपनी वर्दी का खर्च खुद ही वहन करना पड़ता है। वर्दी कहीं से भी ली जा सकती है। मोना ने अपने लिए दो यूनिफॉर्म बनवाई थी। पकड़े जाने के डर से ही मोना ने कभी भी सरकार की ओर से चुने गए सब इंस्पेक्टर को मिलने वाली 23 हजार 5 सौ रुपये की सैलरी भी लेने की कोशिश नहीं की और इस तरह उसका गोरखधंधा लगातार चलता रहा।

मोना ने जमकर उठाया वर्दी का फायदा
पूरे दो साल तक मोना ने हर जगह वर्दी का पूरा फायदा उठाया। वो कभी सोशल मीडिया पर वर्दी में अपनी तस्वीरें पोस्ट करती थी। कभी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाती तो वहां वीआईपी एंट्री करती थी। 26 जनवरी और 15 अगस्त जैसे मौकों पर प्रोग्राम में चीफ गेस्ट बन जाती थी। लोगों को अपनी झूठी कामयाबी की कहानी सुनाकर प्रभावित करती थी। पुलिस अफसरों से जान-पहचान बनाकर अपना काम निकलवाती थी। और तो और डीजी और एडीजी रैंक के अफसरों के साथ भी उसने तस्वीरें खिंचवाई थी। वह पूर्व डीजी एमएल लाठर की बेटी की शादी में भी शामिल हुई थी। शॉपिंग के दौरान वो दुकानदारों पर भी अपने प्रभाव का पूरा इस्तेमाल करती थी। 
व्हाट्सएप ग्रुप में धमकी देना पड़ा भारी
अब सवाल ये है कि आखिर मोना की पोल कैसे खुली? तो इसका जवाब ट्रेनिंग के फॉर्मेट में है। ट्रेनिंग तीन तरह की होती है। बेसिक, फील्ड और सैंडविच। बेसिक और फील्ड की टेनिंग के बाद 11 से 23 सितंबर तक सैंडविच ट्रेनिंग होनी थी। इसके बाद सबको ज्वाइनिंग लेटर मिलने थे। मोना दोनों ट्रेनिंग के दौरान टाइम पास करने के बाद सैंडविच ट्रेनिंग अटेंड करने आई थी। एकेडमी में ट्रेनिंग कर रहे सब इंस्पेक्टर्स ने अपना एक व्हाट्स एप ग्रुप बना रखा था। जहां मोना की एक सब इंस्पेक्टर से बहस हो गई और मोना ने तब उसे एकेडमी से निकलवा देने की धमकी दे डाली। बस यहीं से उसकी पोल खुलनी शुरू हो गई।
ऐसे खुली मोना की पोल
असल में जिस सब इंस्पेक्टर को मोना ने धमकी दी थी। उसी ट्रेनी एसआई ने उसके बारे में पता लगाना शुरू कर दिया। लेकिन उसे हैरत हुई कि मोना का नाम किसी भी कोटे की लिस्ट में नहीं था। ना रेग्यूलर कोटे में और ना स्पोर्ट्स कोटे में। इसके बाद उस ट्रेनी एसआई ने पुलिस एकेडमी के अधिकारियों से मोना की शिकायत की। तब जाकर अधिकारियों को अहसास हुआ कि मोना फर्जीवाड़ा कर रही है, तो फौरन उन्होंने मोना के खिलाफ शास्त्रीनगर थाने में रिपोर्ट लिखवा दी। 
मुकदमा दर्ज होते ही मोना फरार
पुलिस एकेडमी के अफसरों की तहरीर पर पुलिस थाने में मोना के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 468, 469 और 66 डीआईटी एक्ट और राजस्थान पुलिस एक्ट की धारा 61 के तहत केस दर्ज किया गया है। लेकिन इससे पहले कि पुलिस मोना को पकड़ पाती वह वहां से फरार हो गई। अब राजस्थान पुलिस उसकी तलाश कर रही है। इस घटना के बाद राजस्थान पुलिस अकादमी पर भी सवाल उठ रहे हैं।

You can share this post!

author

Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

Comments

Leave Comments