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बॉलीवुड का वो बड़ा फिल्ममेकर, जो तवायफों पर बनाता है फिल्म... क्या है वजह?

मनोरंजन जगत

बॉलीवुड का वो बड़ा फिल्ममेकर, जो तवायफों पर बनाता है फिल्म... क्या है वजह?

मनोरंजन जगत/सिनेमा/Maharashtra/Mumbai :

उमराव जान से लेकर चमेली तक, कई ऐसी बॉलीवुड फिल्में हैं, जिनमें लोगों को एक तवायफ की जिंदगी की झलक दिखाई गई है। लेकिन, बॉलीवुड में एक फिल्ममेकर ऐसे हैं, जिनकी लगभग हर फिल्म में वेश्या और रेड लाइट एरिया जरूर होते हैं। हम बात कर रहे हैं, जाने-माने डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की, जिनकी लगभग हर फिल्म में रेड लाइट एरिया जरूर देखने को मिलते हैं।

बॉलीवुड फिल्म डायरेक्टर संजय लीला भंसाली इन दिनों अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट ‘हीरामंडी’ को लेकर सुर्खियों में हैं, जिसके साथ वह अपना ओटीटी डेब्यू भी कर रहे हैं। संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी हीरामंडी सीधे नेटफ्लिक्स पर दस्तक देगी, जिसमें मनीषा कोइराला, अदिति राव हैदी, सोनाक्षी सिन्हा, ऋचा चड्ढा, संजीदा शेख और शर्मिन सेगल जैसे कलाकार नजर आने वाले हैं। इसकी कहानी आजादी से पहले की होगी, जिसमें लाहौर के हीरामंडी इलाके में रहने वाली वेश्याओं की जिंदगी के किस्से दिखाए जाएंगे। इससे पहले संजय लीला भंसाली की ‘गंगुबाई काठियावाड़ी’ रिलीज हुई थी। इसमें भी एक वेश्या की कहानी दिखाई गई थी, जो बाद में बड़ी पॉलीटीशियन बनी।
संजय लीला भंसाली की ऐसी कई फिल्में हैं, जिनमें वेश्यालय और वेश्याओं की झलक जरूर दिखाई गई है, फिर चाहे वो देवदास हो या फिर सांवरिया। रेड लाइट एरिया के बैकड्रॉप पर बनी इन फिल्मों पर रिएक्शन देते हुए संजय लीला भंसाली ने बताया था कि आखिर क्यों उनकी हर फिल्म में वेश्या और वेश्यालय होते हैं।
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनका पूरा बचपन कमाठीपुरा के पास ही एक चॉल में बीता है, जिसके चलते उन्होंने वहां का माहौल देखा है और वहां के जीवन से खासे प्रभावित हैं। इसीलिए वह अक्सर अपनी फिल्मों में इन मुद्दों को दिखाना पसंद करते हैं।
संजय लीला भंसाली ने अपने इंटरव्यू में कहा था- ‘जो आप बचपन में देखते हैं, उसे लेकर काफी सेंसेटिव होते हैं। मैंने सेक्स वर्कर्स को 20-20 रुपये के लिए खुद को क्लाइंट्स के सामने खुद को बेचते देखा है।’
‘बचपन की यादों से कुछ यादें मेरे दिमाग में हमेशा के लिए बस गईं। जिनमें से एक ये भी थी। मैं इसे ठीक से किसी से कह नहीं पाया। मैं उन्हें बस चंद्रमुखी के जरिए तलाशता हूं... वो भी अनमोल हैं। हमारी कीमत नहीं लगाई जा सकती। हम 5, 10 या 20 रुपये में बेचे नहीं जा सकते। ये बहुत ही अमानवीय है।’
भंसाली ने आगे कहा था- ‘जब मैं हर दिन स्कूल के लिए निकलता था, ये सब देखता था, जिसे लेकर मैं काफी सेंसेटिव हो गया था। उनके चेहरों पर जाने कितनी ही कहानियां होती थीं। वो अपने चेहरे को ढेर सारे मेकअप से ढंक लेती थीं। ढेर सारा पेंट और पाउडर लगाती थीं, ताकि उनके चेहरे का दुख किसी को नजर ना आए।’
‘लेकिन, इन्हीं पलों ने मेरे दिल पर गहरी छाप छोड़ी। आप उस मेकअप के पीछे का उनका दुख देख सकते हैं। आप ये दुख नहीं छिपा सकते। बड़े-बड़े मेकअप आर्टिस्ट भी ऐसा नहीं कर सकते। यही वो पल होते हैं जो एक फिल्ममेकर के तौर पर मायने रखते हैं।’ हीरामंडी की बात करें तो संजय लीला भंसाली पहले ही बता चुके हैं कि इस फिल्म की स्क्रिप्ट मोइन बेग 14 साल पहले लेकर आए थे। लेकिन, तब वह दूसरे प्रोजेक्ट्स में व्यस्त थे।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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