सम्मान/पुरस्कार//Rajasthan/Jaipur :
जयपुर टाइगर फेस्टिवल की टाइगर फोटो एग्जीबिशन की अवॉर्ड सेरेमनी मंगलवार को जेएलएन मार्ग स्थित होटल क्लार्क्स आमेर में आयोजित हुई। इस समारोह में बेहतरीन फोटोग्राफर्स को उनकी अद्वितीय तस्वीरों और बाघ संरक्षण क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने वाली हस्तियों को सम्मानित किया गया।
इंटरनेशनल टाइगर डे के उपलक्ष्य में राजस्थान हेरिटेज, आर्ट एंड कल्चरल फाउंडेशन द्वारा जवाहर कला केन्द्र में छठे जयपुर टाइगर फेस्टिवल (जेटीएफ) का आयोजन 27 से 30 जुलाई को किया गया था। इस फेस्टिवल के संदर्भ में मंगलवार, 6 अगस्त को अवॉर्ड सेरेमनी में मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने शिरकत की। इसके अतिरिक्त, स्पेशल गेस्ट के रूप में पूर्व आईएएस पवन अरोड़ा और हेल्प इन सफरिंग की ट्रस्टी टिम्मी कुमार, जेटीएफ प्रेसिडेंट संजय खवाड़, फाउंडर पेट्रन धीरेन्द्र के. गोधा, सचिव आनंद अग्रवाल भी मौजूद रहे।
विभिन्न नकद पुरस्कारों से नवाजा
प्रथम रहे नारायण मालू को 51 हजार रुपये, द्वितीय रहे मैनाक राय को 31 हजार रुपये, तृतीय स्थान पर रहे मुजफ्फर शेख और गौरव दाधीच को 21 हजार रुपये. का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया। इसी तरह 13 लोगों को कॉन्सोलेशन या मोटिवेशनल प्राइज के तहत 5100 रु. का नकद पुरस्कार दिया गया। इनमें ऐकम सिंह, अजय कुमार प्रजापत, अजय पारीख, अमित कुमार शर्मा, अशोक बेहेरा, मनीष बारहठ, मानसी स्मार्ट, रिधा नारायण, रविंद्र जैन, व्लादिमीर व्लादिमीर चेक जूनियर, शिव पालीवाल, कृष गोयल, सानंदा पुरोहित शामिल है। इसी के साथ बाघ संरक्षण क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने वाली हस्तियों को भी सम्मानित किया गया। इनमें सरिस्का टाइगर रिजर्व से हीरा लाल बलाई, शिवपाल सैनी और रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से सहायक वनपाल सीमा मीणा व वन रक्षक खेम सिंह को 25-25 हजार रु. का नकद पुरस्कार दिया गया। साथ ही प्रदेश में वन्यजीवों खासकर बाघों व लेपर्ड्स के रेस्क्यू व चिकित्सा में दशकों से उल्लेखनीय कार्य करने पर वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अरविन्द माथुर व डॉक्टर राजीव गर्ग को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने कार्यक्रम में बाघ संरक्षण और जेटीएफ की सराहना करते हुए कहा कि बाघ संरक्षण के प्रति यह कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में बाघों व अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के मामले में भारत नंबर 1 है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न के कारण है, नरेंद्र मोदी ग्लोबल लीडर है जिनकी बात वैश्विक मंच पर मजबूती से मानी जाती है। हरियाली तीज से प्रदेश में एक पेड़ माँ के नाम अभियान की शुरुआत की जा रही है। इस वर्ष के बजट में भी ग्रीन ग्रोथ का प्रावधान किया गया है, अगले वर्ष राजस्थान ग्रीन बजट जारी करने वाला पहला प्रदेश बन जाएगा। सरकार और वन्य जीव संरक्षकों के सहयोग से इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर भी आयोजित किया जाना चाहिए।
पूर्व आईएएस पवन अरोड़ा ने कहा कि जेटीएफ का कार्यक्रम खास है क्योंकि इस प्लेटफार्म के माध्यम से सभी बाघों के संरक्षक और टाइगर लवर्स एक साथ जुड़ पाते है। राजस्थान वाइल्डलाइफ के मामले काफी समृद्ध है। सरिस्का सेंचुरी में अब बाघों की गिणती शून्य से 43 हो चुकी है। इस स्तर को हासिल करने के लिए मीडिया और बाघ संरक्षकों के किए गए प्रयास महत्वपूर्ण साबित हुए है। साथ ही उन्होंने वाइल्डलाइफ टूरिज्म को बढ़ावा देंगे के लिए अलग से विभाग बनाने का सुझाव डिप्टी सीएम को मंच के माध्यम से दिया है। उन्होंने आगे कहा कि वाइल्डलाइफ टूरिज्म से रिपीट टूरिज्म को बढ़ावा मिले और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर्स के लिए रियाती दर और छूट मिलनी चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय जूरी ने किया विजेताओं का चयन
संस्था के प्रेसिडेंट संजय खवाड़ ने बताया कि एग्जीबिशन की फोटोज में से सर्वश्रेष्ठ फोटोग्राफ्स का चयन अंतर्राष्ट्रीय जूरी द्वारा किया गया है। इनमें प्रसिद्ध वाइल्डलाइफ फिल्म मेकर एस. नल्लामुथु, दिनेश कुंबले, माइकल विकर्स और धृतिमान मुखर्जी शामिल हैं।
हजारों बच्चों ने नजदीक से देखा बाघों का जीवन
सचिव आनंद अग्रवाल ने बताया कि अलंकार गैलरी में आयोजित इस कार्यक्रम में देश-दुनिया के वाइल्डलाइफ प्रेमियों और फोटोग्राफर्स की 200 से अधिक फोटोज की प्रदर्शनी लगाई गई थी। पहली बार बाघों से जुड़े आयोजन में वीआर तकनीक का प्रयोग कर वन्यजीव प्रेमियों को बाघों की दुनिया में शामिल किया गया। लोगों ने वीआर शो में जंगल में बाघों की अठखेलियों को देखा और सुखद अनुभव प्राप्त किया। साथ ही, फेस्टिवल में लाइव टाइगर पेंटिंग, टाइगर स्टोरी, मूवी स्क्रीनिंग, पोस्टल स्टाम्प एग्जीबिशन जैसी गतिविधियाँ भी आयोजित की गईं।
'नयी पीढ़ी में जागरूकता लाना ही उद्देश्य'
जेटीएफ के फाउंडर पेट्रन धीरेन्द्र के. गोधा ने बताया कि हमारा मुख्य उद्देश्य बाघों और पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष रूप से स्कूल के बच्चों में जागरूकता लाना है। यही कारण रहा कि इस साल पच्चीस से ज़्यादा स्कूलों के 3500 से ज़्यादा विद्यार्थियों ने जेटीएफ में भाग लेकर बाघों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को समझा। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी से न केवल बाघों के जीवन और जंगल को करीब से देखने का मौका मिला बल्कि चर्चा सत्रों में जीव संरक्षण की सीख भी प्राप्त हुई
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