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अरब सागर में जहाजों पर हमले ने उड़ाई भारत की नींद, अर्थव्यवस्था को गंभीर खतरा ?

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अरब सागर में जहाजों पर हमले ने उड़ाई भारत की नींद, अर्थव्यवस्था को गंभीर खतरा ?

क्राइम //Delhi/New Delhi :

भारत अरब सागर में अपनी अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरे का सामना कर रहा है। पिछले कुछ दिनों में इस क्षेत्र में भारत से संबंधित दो जहाजों पर हमले हुए हैं। हमले के वक्त इन जहाजों पर भारतीय नाविक भी सवार थे। इन हमलों का आरोप ईरान और हूती विद्रोहियों पर लगा है।

भारतीय नौसेना अरब सागर में देश की अर्थव्यवस्था के लिए पैदा हुए गंभीर खतरे से जूझ रही है। यह खतरा इतना बड़ा है कि अगर जल्द ही काबू नहीं पाया गया तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है। खासकर मोदी सरकार की दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की कोशिशों को झटका लग सकता है। 
यह खतरा भारत के ही एक करीबी साझेदार की वजह से पैदा हुआ है। यह कोई और नहीं, बल्कि ईरान है। ईरान समर्थिक हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से लेकर अरब सागर तक कोहराम मचा रखा है। इस कारण दुनिया की कई बड़ी शिपिंग कंपनियों ने इस रूट पर समुद्री यातायात को रोक दिया है। इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है और महंगाई बढ़ने की संभावना जताई जाने लगी है।
भारत से जुड़े दो जहाजों पर हमला
पिछले दो दिनों में भारत से जुड़े दो वाणिज्यिक जहाजों पर हमला किया गया है। सबसे पहले शनिवार की सुबह एमवी केम प्लूटो पर भारत के तट से महज 200 समुद्री मील की दूरी पर ड्रोन हमला किया गया। इस जहाज पर चालक दल के 20 भारतीय सदस्य सवार थे। सौभाग्य से इस हमले में किसी की मौत नहीं हुई। जहाज भी अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ने में सक्षम था। इस घटना की जांच के लिए भारतीय नौसेना के आईएनएस मोरमुगाओ युद्धपोत को भेजा गया था। अमेरिका का दावा है कि ड्रोन हमला ईरान से किया गया था, जो भारत का अहम साझेदार है।
ईरान कर रहा हूती की मदद
इसके बाद, भारत से जुड़ा एक और जहाज एमवी-साईं बाबा दक्षिणी लाल सागर में हमले का शिकार हो गया। इस जहाज में लगभग 25 भारतीय चालक दल हैं, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण नुकसान से बच गया। इस जहाज पर यमन में सक्रिय हूती विद्रोहियों ने हमला किया था। हूती विद्रोहियों को ईरान का खुला समर्थन प्राप्त है। ये विद्रोही ईरान की मिलिशिया के रूप में काम करते हैं और उसके सामरिक हितों को साधने के काम आते हैं। इसके बदले में ईरान उन्हें हथियार, ट्रेनिंग और पैसा देता है। हूती विद्रोहियों के पास मौजूद सभी हथियार, जिसमें मिसाइल और ड्रोन शामिल हैं, वे ईरान में बने हुए हैं।
लाल सागर में क्या चल रहा है?
यमन के हूती विद्रोही इजरायल के सख्त खिलाफ हैं। उनका घोषित लक्ष्य गाजा के खिलाफ सैन्य अभियान के लिए इजरायल को दंडित करना है। हूती विद्रोहियों ने इजरायल से जुड़े एक जहाज को जब्त करके अपने हमले शुरू किए। नवंबर के मध्य से इस समूह ने लाल सागर और बाब-अल-मंदब जलडमरूमध्य में शिपिंग जहाजों पर हमलों की एक श्रृंखला शुरू की है। ये दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण शिपिंग मार्गों में से हैं। हूतियों ने लगभग 12 जहाजों को ले लिया है या उन पर हमला किया है। उनका कहना है कि हमले तब तक जारी रहेंगे जब तक इजरायल गाजा में अपना अभियान समाप्त नहीं कर देता और फिलिस्तीनियों तक मानवीय सहायता पहुंचाने की अनुमति नहीं दे देता। हूतियों ने इजरायल पर मिसाइल हमले भी किए हैं।
हूती ऐसा क्यों कर रहे हैं?
विशेषज्ञों का सुझाव है कि हूती विद्रोही इजरायल का मुकाबला करके मध्य-पूर्व में फिलिस्तीनियों के प्रति सहानुभूति की लहर चलाना चाहते हैं। इससे उन्हें क्षेत्र में काफी लोकप्रियता मिली है। हूती उत्तरी यमन पर अपने नियंत्रण के लिए वैधता हासिल करने के लिए इस लोकप्रियता का उपयोग करने की उम्मीद कर सकते हैं। इजरायल और अमेरिका पर उनका सख्त रुख उन्हें कई मध्य-पूर्वी सरकारों का चहेता बनाने में मदद भी कर रहा है, जो फिलिस्तीनियों की रक्षा के लिए बहुत कम प्रयास करती नजर आती हैं।
भारत के लिए इसके मायने क्या हैं?
लाल सागर के शिपिंग मार्गों पर हूती विद्रोहियों हमलों से वैश्विक अर्थव्यवस्था के बाधित होने का खतरा है। लाल सागर मार्ग समुद्री व्यापार को स्वेज नहर से गुजरने की अनुमति देता है। स्वेज नहर को 1869 में खोला गया था, जो पूर्वी और पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ती है। इस नहर के जरिए अफ्रीका का चक्कर काटे बिना जहाज सीधे यूरोप से एशिया में प्रवेश कर सकते हैं। इससे परिवहन की लागत काफी कम हो जाती है और इसमें कम दिन भी लगते हैं। 
व्यापार का अत्यंत महत्वपूर्ण मार्ग
एशिया और यूरोप के बीच लगभग 40 फीसदी व्यापार इस महत्वपूर्ण मार्ग से होता है। अब इस रास्ते से गुजरने वाले जहाजों पर हूतियों के हमलों ने वैश्विक शिपिंग कंपनियों को डरा दिया है। दुनिया की चार सबसे बड़ी शिपिंग कंपनियों ने घोषणा की है कि वे हूती विद्रोहियों के हमलों को देखते हुए लाल सागर के माध्यम से परिचालन निलंबित कर देंगे। कुछ कंपनियों ने अपने जहाजों को अफ्रीका की परिक्रमा कर एशिया में पहुंचने के लिए डायवर्ट भी कर दिया है, लेकिन इससे माल के पहुंचने में देरी हो सकती है।
इसका भारत पर कितना असर होगा?
भारत का स्वेज नहर और लाल सागर मार्ग से लगभग 200 अरब डॉलर का समुद्री व्यापार होता है। शिपिंग में कई सप्ताह की देरी से आपूर्ति शृंखला जटिल हो जाएगी और कीमतें बढ़ जाएंगी। संकट जितना लंबा खिंचता है, समस्याएं उतनी ही विकराल हो सकती हैं। हूती विद्रोहियों के हमलों से हाल के दिनों में ऊर्जा की कीमतें बढ़ी हैं क्योंकि लाल सागर मार्ग तेल और प्राकृतिक गैस व्यापार के लिए भी आवश्यक है। भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात भी स्वेज नहर के माध्यम से होता है। यह स्पष्ट नहीं है कि लंबे समय तक चलने वाले संकट के कारण कीमतें और बढ़ेंगी या नहीं। रूस और अमेरिका से नॉन-कूकिंग कोयला जैसे अन्य आयात भी बाधित हो सकते हैं।
तो अब आगे क्या होगा?
अमेरिका ने लाल सागर मार्ग को सुरक्षित करने के लिए 10 देशों का समुद्री गठबंधन बनाने की घोषणा की है। इन देशों से अपेक्षा की जाती है कि वे मार्ग पर गश्त करें और सामान्य स्थिति बहाल करें। भारत ने पुष्टि की कि इस टास्क फोर्स के संबंध में बातचीत हुई है। लेकिन भारत के शामिल होने की अभी कोई खबर नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से हूती विद्रोहियों के हमलों के मुद्दे पर चर्चा की है। भारतीय नौसैनिक जहाज भी इस क्षेत्र के करीब हैं। इस बीच हूती विद्रोहियों ने घोषणा की है कि वे हमले जारी रखेंगे। पिछले दो दिनों की घटनाएं इस बात की तस्दीक करती हैं कि अभी तक कोई तात्कालिक सुधार नहीं आया है।

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author

Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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