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कोटा फैक्ट्री में पिस रही जानें ? क्या पंखे में स्प्रिंग लगाने से रुकेंगे सुसाइड 

क्राइम

कोटा फैक्ट्री में पिस रही जानें ? क्या पंखे में स्प्रिंग लगाने से रुकेंगे सुसाइड 

क्राइम //Rajasthan/Jaipur :

कुछ महीने पहले तक राजस्थान का कोटा शहर कोचिंग हब के तौर पर देश में जाना जाता था लेकिन अब यह सुसाइड के लिए बदनाम हो चुका है। यहां पहुंचने वाले बच्चे हताशा के दलदल में घिरकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर रहे हैं। आखिर कोटा सुसाइड रोकने में फेल क्यों हो रहा है? बच्चों पर इतना दबाव कैसे पड़ रहा? 

आईआईटी और नीट की तैयारी के लिए फेमस राजस्थान के कोचिंग हब कोटा में खुदकुशी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। रविवार को कोटा में तैयारी करने वाले दो स्टूडेंट्स ने मौत को गले लगा लिया। 2023 में अब तक 23 स्टूडेंट्स ने पढ़ाई के बोझ तले दब कर अपनी जान दे दी है। कोटा प्रशासन और कोचिंग संचालक खुदकुशी रोकने के तमाम दावे कर रहे हैं, लेकिन इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है।
एक ही दिन में दो छात्रों ने की आत्महत्या 
रविवार को कुन्हाड़ी के लैंडमार्क एरिया में रहने वाला छात्र आदर्श (18) अपने कमरे में फांसी के फंदे पर लटका मिला। बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले छात्र आदर्श 4 महीने पहले ही एनईईटी की तैयारी करने के लिए कोटा आए थे। वहीं, 16 वर्षीय छात्र अविष्कार संभाजी कासले ने दोपहर 3 बजे अपनी कोचिंग की छठी मंजिल से कूदकर जान दे दी। महाराष्ट्र के लातूर के रहने वाले आविष्कार पिछले तीन साल से कोटा के तलवंडी इलाके में रह कर एनईईटी की तैयारी कर रहे थे। दोनों स्टूडेंट्स ने टेस्ट के बाद ही खुदकुशी की।
जिला प्रशासन की कोचिंग संस्थानों के लिए एडवाइजरी
8 महीने पहले कोटा जिला प्रशासन ने कोचिंग संस्थानों के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी। इसमें कहा गया था कि रविवार को न तो पढ़ाई होगी और न ही टेस्ट कोई होगा। इस आदेश में यह भी कहा गया था कि संडे को फन के रूप में स्टूडेंट्स एंजॉय करें, इसकी पूरी व्यवस्था कोचिंग संस्थानों को करनी होगी। लेकिन स्थिति यह है कि इस आदेश को किसी कोचिंग संस्थान ने नहीं माना। अब स्कूलों और कोचिंग के पंखों में स्प्रिंग लगाई गई है पर सवाल यह है कि क्या इससे सुसाइड रुकेंगे।
अब माता-पिता में बढ़ी घबराहट
नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट रौनित उपाध्याय ने बताया कि कोटा में हो रही लगातार खुदकुशी की घटनाओं से हम लोग सहमे हुए हैं। हमारे पैरंट्स भी बार-बार घर लौट आने का दबाव बना रहे हैं। वह ढाई साल से कोटा में तैयारी कर रहे हैं, लेकिन किसी भी कोचिंग में संडे की छुट्टी नहीं होती है। हर रविवार को टेस्ट होता है। कई बार शनिवार को छुट्टी होती है और रविवार को टेस्ट होता है। ऐसे में इस छुट्टी का तो कोई मतलब बनता नहीं है।
कितना प्रभावी साबित हुआ एंटी-सुसाइड रॉड!
काफी दिनों बाद एंटी-सुसाइड रॉड की चर्चा कोटा के संदर्भ हो रही है। लेकिन एंटी-सुसाइड रॉड कोई नहीं चीज नहीं है। छह साल पहले जिला प्रशासन ने हॉस्टल असोसिएशन को पंखे में एंटी-सुसाइड रॉड लगाने के लिए कहा था। लेकिन स्थिति यह है कि एंटी सुसाइड रॉड सिर्फ चर्चाओं में रही। एंटी-सुसाइड रॉड को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह सिर्फ पंखे के वेट को ही झेल पाएगी। अगर पंखे से अधिक वजन की किसी चीज का भार इस रॉड पर पड़ेगा तो एंटी-सुसाइड रॉड का स्प्रिंग फैल जाएगा और खुदकुशी करने वाले के पैर जमीन में टच हो जाएंगे। जून के महीने में कोटा पुलिस ने खुदकुशी के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्टूडेंट्स सेल बनाया था। स्टूडेंट्स सेल हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया था। लेकिन इसका कुछ खास आउटपुट देखने को नहीं मिला।
कोविड के बाद स्टूडेंट्स कमजोर
कोटा के एक कोचिंग संस्थान में पढ़ाने वाले एक शिक्षक का कहना है कि साल 2023 में जो स्टूडेंट्स यहां तैयारी के लिए पहुंचे हैं। उनमें से ज्यादातर स्टूडेंट्स का बेस काफी कमजोर है। क्योंकि इन बच्चों के पढ़ाई का कोविड के दौरान काफी नुकसान हुआ है। इनमें से ज्यादातर स्टूडेंट्स प्रमोट होकर आए हैं। इसका बेस काफी कमजोर है। इसकी वजह से इस बार बच्चे ज्यादा डिप्रेशन में हैं। वहीं, कोचिंग संस्थानों के टेस्ट का जो पैटर्न है, वह काफी हार्ड है। इसी वजह से टेस्ट में स्टूडेंट्स अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। इसको समझने की बहुत जरूरत है।
कोचिंग संस्थानों और हॉस्टलों का उद्देश्य सिर्फ पैसे कमाना
कुछ साल पहले प्रशासन ने हर कोचिंग संस्थान में साइकोलॉजिस्ट काउंसलर नियुक्त करने और हेल्पलाइन नंबर जारी करने के निर्देश दिए थे। लेकिन, मसला यह है कि यहां पढ़ने वाले छात्र काफी कम उम्र के होते हैं। वे समझ ही नहीं पाते कि उन्हें कोई मानसिक समस्या है। यहां के कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल संचालकों को आपस में तालमेल बैठाकर डिप्रेशन वाले स्टूडेंट्स की पहचान करने के लिए निर्देश दिए गए थे। लेकिन स्थिति है कि दोनों का एक मात्र एकमात्र उद्देश्य सिर्फ पैसे कमाना ही है।
वॉर्डन की क्या हो योग्यता, कोई पैमाना नहीं
हॉस्टल में जो वॉर्डन रखे जाते हैं, वह अगर पढ़े-लिखे और संवेदनशील लोग हों तो काफी हद तक खुदकुशी को रोकने का प्रयास किया जा सकता है। जबकि हॉस्टल वाले 7 से 8 हजार रुपये में किसी भी व्यक्ति को वॉर्डन के तौर पर नियुक्त कर लेते हैं। स्टूडेंट्स पर ज्यादातर वॉर्डन की ही नजर होती है। कौन सा स्टूडेंट रेगुलर क्लास के नहीं जा रहा है? कौन सा स्टूडेंट समय पर खाना- खाने के लिए मेस में नहीं आ रहा है। उसकी क्या समस्याएं हैं? इसकी पहचान एक वॉर्डन कर सकता है, अगर उसे इसके लिए सही ट्रेनिंग दी जाए। पैरंट्स का कहना है कि कम से कम एक वॉर्डन की योग्यता ग्रेजुएट हो।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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