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भारत का स्वर्ग जैसा सुंदर वो लंबा-चौड़ा इलाका, जिसको 76 सालों से दबाए बैठा है पाकिस्तान

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भारत का स्वर्ग जैसा सुंदर वो लंबा-चौड़ा इलाका, जिसको 76 सालों से दबाए बैठा है पाकिस्तान

पर्यटन//Jammu and Kashmir/Srinagar :

गिलगित-बाल्टिस्तान का इलाका अपनी नेचुरल ब्यूटी के साथ स्वर्ग सरीखा सुंदर माना जाता है, ये कश्मीर का वो इलाका है, जिसे करीब 76 सालों से पाकिस्तान दबाए बैठा हुआ है। कश्मीर का हिस्सा होने की वजह से ये भारत का अंग है। जानते हैं इस जगह के बारे में। और ये भी कि पाकिस्तान ने कैसे इस पर अवैध कब्जा किया हुआ है।

1947 में हुए विलय के आधार पर पूरा कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा है। लेकिन 1948 के दौरान जब भारत ने कश्मीर विलय को स्वीकार करते हुए उसे अपना अभिन्न हिस्सा बनाया, तब से ‘गिलगित - बाल्टिस्तान’ इलाका भी भारत में शामिल हो गया लेकिन उससे पहले से ही वहां की स्थितियां ऐसी बनीं कि पाकिस्तान ने उस पर शिकंजा कस रखा है। उस पर अपना अवैध कब्जा किया हुआ है। हालांकि ये स्वायत्तशासी इलाका है, लेकिन पाकिस्तान लंबे समय से इसको अपना पांचवां राज्य बनाना चाहता है।
इसे शुमाली इलाके के नाम से भी जाना जाता था। पाकिस्तान येन केन प्रकारेण इसकी स्वायत्त स्थिति खत्म करना चाहता है। इसीलिए कुछ सालों पहले उसने गिलगित-बाल्टिस्तान आदेश, 2018 नाम का नया कानून भी बनाया ताकि इस इलाके पर पूरी तरह से नियंत्रित कर सके। अभी इस इलाके में रहने वाले लोग ही रह-रहकर पाकिस्तान के कब्जे का विरोध करते हैं और प्रदर्शन करते रहते हैं।
गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का कब्जा पूरी तरह अवैध है। न केवल ब्रिटिश संसद इसे कश्मीर का हिस्सा मानती है बल्कि यूरोपीय यूनियन भी इसे कश्मीर का ही बताता है। ब्रिटेन की संसद ने कुछ समय पहले एक प्रस्ताव पारित कर गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के कब्जे को अवैध बताया था।
ब्रिटिश संसद में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू एवं कश्मीर का अभिन्न हिस्सा है। जबकि पाकिस्तान इस क्षेत्र को विवादित कश्मीर के क्षेत्र से पृथक क्षेत्र मानता है। केवल यही नहीं पाकिस्तान ने 1963 में इस इलाके के एक छोटे हिस्से शक्स्गम घाटी को चीन को दे दिया। ये पूरा इलाका बहुत सुंदर है। यहां नदी, झरने, पहाड़। झीलें और हरे-भरे पेड़ हैं।
31 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने जब विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए तब इस इलाके का भारत में विलय हो गया लेकिन हरि सिंह के इस कदम के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान में स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने विद्रोह कर दिया। उसने दो नवंबर, 1947 को गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया। 21 दिनों तक इसकी यही स्थिति बनी रही। 21 दिन बाद पाकिस्तान इस क्षेत्र में दाखिल हुआ और इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
अप्रैल 1949 तक गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का हिस्सा माना जाता रहा, लेकिन 28 अप्रैल, 1949 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सरकार के साथ एक समझौता हुआ, जिसके तहत गिलगित के मामलों को सीधे पाकिस्तान की संघीय सरकार को दे दिया गया। लेकिन इसका विरोध शुरू हो गया। विरोध करने वाले गिलगित-बाल्टिस्तान के ही लोग थे, जिन्हें पाकिस्तान का नियंत्रण मंजूर नहीं था।
तभी ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने 23 मार्च को ब्रिटिश संसद में पेश प्रस्ताव कर कहा कि पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान पर अवैध कब्जा कर रखा है। यह क्षेत्र उसका है ही नहीं। इस प्रस्ताव में साफ तौर पर कहा गया है कि पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्तिस्तान के लोगों को उनके फंडामेंटल राइट्स और राइट ऑफ फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन से महरूम कर रखा है। 
इसकी सीमाएं पश्चिम में खैबर-पख्तूनख्वा से, उत्तर में अफगानिस्तान के वाखान गलियारे से, उत्तरपूर्व में चीन के शिन्जियांग प्रान्त से, दक्षिण में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और और दक्षिणपूर्व में भारतीय जम्मू व कश्मीर राज्य से लगती हैं। गिलगित-बल्तिस्तान का कुल क्षेत्रफल 72,971 वर्ग किमी है। अनुमानित जनसंख्या करीब दस लाख है। इसका प्रशासनिक केन्द्र गिलगित शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग ढाई लाख है।
गिलगित एक बहुत सुंदर इलाका है। ये कराकोरम की छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरा है। यहां सिंधु नदी भारत के लद्दाख से निकलती हुई बाल्टिस्तान और गिलगित होकर बहती है। गिलगित-बाल्टिस्तान में ही बालटॉरो नाम का एक मशहूर ग्लेशियर भी है। कराकोरम क्षेत्र में ही हिंदूकुश और तिरिच मीर नाम के वाले दो ऊंचे पर्वत भी हैं। गिलगित घाटी में सुंदर झरनों, फूलों की सुंदर घाटियां भी हैं।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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