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42 दिन, 24 हमले! अब भारत के युद्धपोत निकालेंगे लाल सागर में हूतियों की हेकड़ी

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42 दिन, 24 हमले! अब भारत के युद्धपोत निकालेंगे लाल सागर में हूतियों की हेकड़ी

सेना/नौसेना/Delhi/New Delhi :

लाल सागर में पिछले कुछ महीनों में कई कारोबारी जहाजों पर हमले हुए हैं। हमलों में एंटी शिप बेलिस्टिक मिसाइल का भी इस्तेमाल किया गया। इन हमलों के मद्देनजर भारतीय नौसेना ने लाल सागर में तैनाती बढ़ा दी है।

अमेरिकी नौसेना की सेंट्रल कमांड ने बताया कि 19 नवंबर से अब तक लाल सागर वाले इलाके में तकरीबन दो दर्जन कारोबारी जहाजों पर हमले हुए हैं। इन हमलों में एंटी शिप बेलिस्टिक मिसाइल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इन हमलों को देखते हुए भारतीय नौसेना ने लाल सागर और अदन की खाड़ी में तैनाती बढ़ाई है। नौसेना के निगरानी विमान भी लगातार नजर रख रहे हैं। साथ ही, युद्धपोत में तैनात मरीन कमांडो अदन की खाड़ी के पास शिप को रोककर औचक जांच कर रहे हैं। आखिर भारतीय नौसेना को क्यों बढ़ानी पड़ी है तैनाती और लाल सागर भारत के लिए क्यों है अहम?
क्यों अहम है लाल सागर?
भारत का 80 फीसदी कच्चा तेल फारस की खाड़ी के रास्ते आता है। बाकी का 90 फीसदी कारोबार भी स्वेज नहर से होते हुए लाल सागर के रास्ते ही होता है। रूस-यूक्रेन जंग के बाद भारत ने रूस से ज्यादा कच्चा तेल लेना शुरू किया। रूस से यह तेल भी लाल सागर के रास्ते ही भारत आ रहा है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) में विदेश नीति अध्ययन केंद्र के उपाध्यक्ष प्रफेसर हर्ष वी. पंत कहते हैं कि यह अहम ट्रेड रूट है। यह ट्रेड रूट छोटा है। अगर यहां समस्या चलती रहेगी तो इस रूट से शिप नहीं आ पाएंगे, तब इन्हें अफ्रीका वाला रास्ता यानी केप ऑफ गुड होप वाला रूट लेना होगा। इससे शिपमेंट में 10 दिन एक्स्ट्रा लगेंगे, जिससे खर्चा भी बढ़ेगा और ग्लोबल ट्रेड में देरी होगी। इसलिए चिंता ज्यादा बड़ी है। भारत का करीब 20 करोड़ डॉलर का सामान इसी रूट से आता है।
नौसेना कैसे दे रही सुरक्षा?
नेवी ने अपने छह टॉप क्लास वॉरशिप अदन की खाड़ी के आसपास लगा दिए हैं। डॉर्नियर, सी-गार्डियन और पी-8आई एयरक्राफ्ट से भी लगातार निगरानी हो रही है। मेरीटाइम सिक्योरिटी एक्सपर्ट और नेवी से रिटायर्ड कैप्टन कहते हैं कि लुटेरे या हमलावर कहां से अटैक करेंगे, इसका पता नहीं है। नेवी की तैनाती बढ़ने से विजुअल प्रेंजेंस बढ़ी है, जिसका मजबूत संदेश जाएगा। जब आसमान पर लगातार नेवी के प्रिडेटर ड्रोन चक्कर लगाते दिखेंगे तो मर्चेंट शिप भी ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे। 
मरीन कमांडो कर रहे औचक निरीक्षण
नेवी के मरीन कमांडो वहां रैंडम चेकिंग कर रहे हैं, जिससे अटैक करने वालों पर, और समुद्री लुटेरों में भी यह संदेश चला जाएगा कि नेवी की तैनाती बढ़ी है और वह हरकत करने से पहले सोचेंगे। नेवी ने जहां अदन की खाड़ी के आसपास तैनाती बढ़ाई है, वहीं कोस्ट गार्ड के चार बड़े शिप हमेशा भारत के ईईजेड की सिक्योरिटी के लिए तैनात रहते हैं। इसके अलावा और भी छोटे शिप तैनात रहते हैं।
लाल सागर पर खतरे का हम पर कैसे असर?
लाल सागर में खतरा बढ़ने से भारत आने वाले कई मर्चेंट शिप अब अफ्रीका की तरफ से यानी केप ऑफ गुड होप की तरफ से आने लगे हैं। इससे दूरी 40 फीसदी बढ़ गई है। दूरी बढ़ने से शिपमेंट महंगा होगा तो सामान भी महंगा होगा और इसका असर हर देशवासी पर पड़ेगा। इसलिए एक्सपर्ट कहते रहे हैं कि हमें मजबूत नेवी की जरूरत है। नेवी को और मजबूत करने पर काम भी हो रहा है। साल 2008 में जब इस एरिया में समुद्री लुटेरों की हरकत बहुत बढ़ गई थी तब मर्चेंट शिप का इंश्योरेंस अमाउंट डबल हो गया। इससे आने वाला सामान भी महंगा हो गया। जिसके बाद भारतीय नेवी ने वहां शिप लगाए। अब तक वहां पर समुद्री लुटेरों से मर्चेंट शिप को सुरक्षा देने के लिए नेवी के वॉरशिप तैनात हैं। 2017 से ही नेवी के 7 मिशन बेस्ड डिप्लॉयमेंट (वॉरशिप) अदन की खाड़ी से लेकर वेस्टर्न पैसिफिक तक तैनात हैं।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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