उम्मीद की किरण//Uttrakhand/Dehradun :
उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने की जद्दोजहद लगातार जारी है। शनिवार को ऑगर मशीन ने एक बार फिर से खराब हो गई, जिसके कारण ऑपरेशन को रोकना पड़ा। सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर कब तक सुरंगों में कैद रहेंगे ये 41 मजदूर ! कब होगी इनकी निकासी?
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में अभी 2 से 3 दिन का वक्त ओर लग सकता है, सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब राहत टीम वर्टिकल ड्रिलिंग कर रही है, जो तकरीबन 20 मीटर तक हो चुकी है, इसे 86 मीटर तक किया जाना है। अमेरिकी ऑगर मशीन के टूटने के बाद राहत टीम ने वर्टिकल ड्रिलिंग करने का फैसला किया था।
हैदराबाद से मंगाया गया प्लाज्मा कटर
ऑगर मशीन के फंसे हिस्सों को बाहर निकालने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया है। यह देहरादून एयरपोर्ट पर पहुंचा। यहां से उसे ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सिलक्यारा सुरंग तक लाया जा रहा है। टिहरी और उत्तरकाशी पुलिस प्रशासन के मुताबिक यह देर शाम तक सिलक्यारा में पहुंच जाएगा।
केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह पहुंचे
सिल्क्यारा सुरंग में मजदूरों को बचाने के लिए चल रही जंग में बचाव दल ने अब वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू कर दिया है। राहत दल के मुताबिक 86 मीटर तक ड्रिलिंग की जानी है, इनमें से 15 मीटर काम पूरा हो गया है। रविवार को वर्टिकल ड्रिलिंग का काम देखने के लिए केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों के साथ मंत्रणा की और बचाव कार्य के बारे में जानकारी ली।
वर्टिकल ड्रिलिंग का 15 मीटर तक काम पूरा
सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए अब वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू कर दी गई है। एनडीएमए के सदस्य, लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) के मुताबिक रविवार दोपहर 12 बजे यह काम शुरू हुआ था। अब तक 15 मीटर पहाड़ खोदा जा चुका है। वह बताते हैं कि अब तक जिस तरीके पर काम किया जा रहा था उसमें ऑगर मशीन फंसने की वजह से रुकावट आ गई। वायुसेना और चार्टर फ्लाइट से उपकरण मंगा लिए गए हैं। हालांकि अब इससे खुदाई की उतनी स्पीड नहीं रहेगी, क्योंकि ये काम अब मैनुअल किया जाएगा।
छह योजनाओं पर हो रहा काम
उत्तरकाशी की टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए सावधानी और सुरक्षा के साथ बचाव अभियान चलाया जा रहा है। वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू की जा चुकी है। इसके अलावा राहत के अन्य तरीके से भी अपनाए जा रहे हैं। एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट रि. जनरल सैयद अता हसनैन के मुताबिक सभी श्रमिकों को भोजन, दवा मिल रही है। चिकित्सा और मनो-सामाजिक विशेषज्ञ भी वहां मौजूद हैं और लगातार अपना काम कर रहे हैं। सभी तरह की सावधानियां बरती जा रही हैं, फिलहाल छह योजनाओं पर काम किया जा रहा है।
वर्टिकल ड्रिलिंग दो दिन में हो जाएगी पूरी
सिल्कयारा सुरंग बचाव अभियान पर अतिरिक्त सचिव तकनीकी, सड़क और परिवहन महमूद अहमद ने कहा कि हमने उन स्थानों की पहचान की है, जहां से बेहतर ड्रिलिंग हो सकती है। लगभग 15 मीटर की ड्रिलिंग हो चुकी है। हमने एक जगह की पहचान की है, जहां से हमारा अनुमान है कि कुल 86 मीटर की ड्रिलिंग होनी है। यह अगले 2 दिनों में पूरी हो जाएगी।
कल से शुरू हो सकती है मैनुअल ड्रिलिंग
उत्तराखंड के सचिव एवं नोडल अधिकारी नीरज खरवाल का कहना है कि कल से मैनुअल ड्रिलिंग का काम शुरू हो सकता है। अगर कोई हर्डल नहीं आता तो सब जल्दी से बाहर आ जाएंगे। हमने आर्मी की हेल्प ली है। बहुत सारे फैक्टर्स देख कर हमें निर्णय लेना होता है।
सुरंग में फंसे मजदूरों के परिजनों की बेचैनी बढ़ी
सुरंग में फंसे मजदूरों के परिजनों की बेचैनी उस समय और बढ़ गई जब खुदाई करने वाली ऑगर मशीन खराब हो गई। सुरंग में फंसे मजदूरों में 6 उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के मोतीपुर कला गांव के रहने हैं। इनके परिजनों का हाल बुरा है। श्रावस्ती के रहने वाले मजदूर सत्यदेव, अंकित, जयप्रकाश, संतोष, राम मिलन और राम सुंदर के परिवारों के लिए एक-एक दिन और रातें मुश्किल से कट रही हैं।
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