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कश्मीर घाटी में गरज रहा ‘तेजस’: उड़ान की प्रैक्टिस कर रहे पायलट

सेना

कश्मीर घाटी में गरज रहा ‘तेजस’: उड़ान की प्रैक्टिस कर रहे पायलट

सेना/वायुसेना/Jammu and Kashmir/Srinagar :

सेना का कहना है कि उसके पायलट्स घाटी में उड़ान की प्रैक्टिस कर रहे हैं। कश्मीर, पड़ोसी देशों चीन-पाकिस्तान के लिहाज से संवेदनशील है।

भारतीय वायु सेना ने जम्मू-कश्मीर के अवंतीपोरा एयरबेस पर हल्के लड़ाकू विमान तेजस मार्क1 को तैनात किया है। सेना का कहना है कि उसके पायलट्स घाटी में उड़ान की प्रैक्टिस कर रहे हैं। कश्मीर, पड़ोसी देशों चीन-पाकिस्तान के लिहाज से संवेदनशील है। तेजस मार्क1 मल्टीरोल हल्का लड़ाकू विमान है जो वायुसेना को कश्मीर के जंगल और पहाड़ी इलाकों में और मजबूत करेगा।

भारतीय वायु सेना के पास मौजूदा वक्त में 31 तेजस विमान हैं। सेना जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अपने विमानों को पहले भी ले जाती रहती है ताकि उन्हें हिमालय की घाटियों में उड़ान भरने का एक्सपीरियंस मिलता रहे। वेस्टर्न कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल पीएम सिन्हा ने 27 जुलाई को अवंतीपोरा एयरबेस का दौरा किया। तेजस के साथ उनकी तस्वीर वेस्टर्न कमांड के ट्विटर हैंडल से शेयर की गई है।

वायुसेना की नजर एम-2 और एमका पर भी
भारतीय वायुसेना तेजस की कैपेबिलटीज बढ़ाने की पुरजोर समर्थन कर रही है। वायुसेना ने पहले ही अपने दो स्क्वाड्रनों को इसके इनीशियल और फाइनल ऑपरेशन की मंजूरी दे दी है। वहीं, 83 मार्क1 के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। ये सभी 83 विमान एक या दो साल में सेना को मिल जाएंगे। हालांकि सेना की नजर डीआरडीओ में डेवलप किए जा रहे तेजस मार्क-2 और एडवांस्टड मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट एमका पर भी है। ये लड़ाकू विमान पहले से ही पाकिस्तानी और चीनी जे-17 फाइटर जेट की तुलना में कहीं ज्यादा ताकतवर हैं। इसमें हैमर जुड़ने से यह विमान और ज्यादा हाईक्लास हो गया है।
आखिर तेजस की जरूरत क्यों पड़ी?
पिछले पांच दशक में 400 से ज्यादा मिग-21 विमान क्रैश होने की वजह से भारत सरकार इसे रिप्लेस करना चाह रही थी। तेजस, मिग-21 की जगह लेने में कामयाब हुआ। वजन कम होने की वजह से यह समुद्री पोतों पर भी आसानी से लैंड और टेक ऑफ कर सकता है। यही नहीं, इसकी हथियार ले जाने की क्षमता मिग-21 से दोगुनी है। स्पीड की बात करें तो राफेल से 300 किलोमीटर ज्यादा रफ्तार तेजस की है।
अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था तेजस नाम
करीब 18 सालों की कड़ी मेहनत के बाद जनवरी 2001 में पहली बार स्वदेशी फाइटर जेट तेजस ने हिंदुस्तान के आसमान में उड़ान भरी थी। उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। 2003 में वाजपेयी ने ही इसे ‘तेजस’ नाम दिया था। तब प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कहा था कि ये संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब ‘चमक’ है।
तेजस की 4 खूबियां, जो बनाती है अलग
इस समय भारतीय वायु सेना के बेड़े में जो टॉप फाइटर जेट हैं उनमें सुखोई एम-30, राफेल, मिराज, मिग-29 और तेजस है। तेजस अपनी कुछ खूबियों की वजह से बाकी चारों फाइटर जेट से अलग और खास है।
इस विमान के 50 फीसदी कलपुर्जे यानी मशीनरी भारत में ही तैयार हुई है।
इसमें मॉडर्न टेक्नोलॉजी के तहत इजराइल के रडार को लगाया गया है। इससे तेजस एक साथ 10 लक्ष्यों पर निशाना लगा सकता है।
बेहद कम जगह यानी 460 मीटर के रनवे पर टेकऑफ करने की क्षमता।
यह फाइटर जेट इन चारों में ही सबसे ज्यादा हल्का यानी सिर्फ 6500 किलो का है।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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