आज है विक्रम संवत् 2081 के भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि रात 07:57 त बजे तक तदुपरांत षष्ठी तिथि यानी रविवार, 08 सितंबर, 2024 परमाणु मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण, चीन-पाक पलभर में खाक पैरालंपिक: प्रवीण कुमार ने भारत को दिलाया एक और गोल्ड राजस्थान: 108 आईएएस के बाद 386 आरएएस अधिकारियों का ट्रांसफर
'पराक्रम का पर्याय' - पराक्रम दिवस पर सर्वप्रिय नेताजी सुभाषचंद्र बोस पर प्रेरणा से ओतप्रोत कविता  

'पराक्रम का पर्याय' - पराक्रम दिवस पर सर्वप्रिय नेताजी सुभाषचंद्र बोस पर कविता

साहित्य

'पराक्रम का पर्याय' - पराक्रम दिवस पर सर्वप्रिय नेताजी सुभाषचंद्र बोस पर प्रेरणा से ओतप्रोत कविता  

साहित्य//Rajasthan/Jodhpur :

राष्‍ट्रीय आंदोलन के पराक्रमी नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 23 जनवरी 2024 को 127वीं जयंती है।  इस खास दिन को `पराक्रम दिवस` के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन उनके साहस और देशभक्ति को याद करने का दिन है।  देश की आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा देने वाले नेता जी का जन्‍म साल 1897 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था।  नेताजी की जिंदगी और देश के लिए उनका त्‍याग आज भी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।  उनकी जयंती के अवसर पर जोधपुर राजस्थान के "डा.नीरजा सुखेंद्र माथुर" ने नेता जी के ओज से प्रेरित यह कविता पन्नों पर उकेरी है। पढ़ें ,सराहें और नेता जी को सच्ची श्रद्धांजलि दें। 

स्पष्टता का रूप था,निडरता का जोश था।
अतीत का सूरज,जो गर्मी से सराबोर था,
और कोई नही वो,हमारा सुभाष चंद्र बोस था 

सबकी आशाओं में अग्नि भर देता था,
जीने के मकसद को जो तय कर देता था,
और कोई नही वो हमारा सुभाष चंद्र बोस था।।

अंग्रेजो में अपनी दबंगता की जो मिसाल था,
जोश-ओ-जुनून का जो एक उम्दा कमाल था।
और कोई नही वो हमारा सुभाष चंद्र बोस था।।

देशभक्ति उसमे कूट कूट कर  भरी हुई थी,
चमक आंखो में देश के लिए सजी हुई थी।
और कोई नही वो हमारा सुभाष चन्द्र बोस था।।

आजाद हिंद सेना का जो परवाना था,
नेतृत्व क्षमता का गुण रोम रोम में बसा था,
और कोई नही वो हमारा सुभाष चन्द्र बोस था।।

उत्तम शिक्षा का जो सर्वोच्च नागरिक था,
नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाला जो सैनिक था,
और कोई नही वो हमारा सुभाष चंद्र बोस था।।

पराक्रम का पर्याय जाने कब जुदा हो गया,
सुख से जीने का जो अर्थ हमें समझा गया,
और कोई नही वो हमारा सुभाष चंद्र बोस था।।

संपूर्ण भारत को जिस पर गुमान था,
कायस्थों का जो एक अभिमान था,
और कोई नही वो सुभाष चंद्र बोस था।।

 

कवि के बारे में :

इस कविता के कवि  डा.नीरजा सुखेंद्र माथुर कविता,गीत गजल लिखते हैं और कई पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिल चुका है।

You can share this post!

author

सौम्या बी श्रीवास्तव

By News Thikhana

Comments

Leave Comments