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Atiq Ahmed : अतीक के आखिरी लफ्जों में छिपा ‘गुड्डू बमबाज...’ बना पुलिस के लिए अबूझ पहेली

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Atiq Ahmed : अतीक के आखिरी लफ्जों में छिपा ‘गुड्डू बमबाज...’ बना पुलिस के लिए अबूझ पहेली

क्राइम //Uttar Pradesh /Prayagraj :

Ashraf Ahmed Shot Dead News : गुड्डू मुस्लिम पर आरोप है कि उमेश पाल हत्याकांड में असद अहमद के साथ वह भी शामिल था। वह उमेश पाल की हत्या के बाद से ही फरार चल रहा है। वही, उत्तर प्रदेश पुलिस ने उमेश पाल के हत्याकांड के बाद गुड्डू मुस्लिम पर 5 लाख का इनाम भी घोषित किया है।

जरायम यानी अंडरवल्र्ड की दुनिया में वो गुड्डू ‘बमबाज’ है। वह बंदूक नहीं चलाता, झोले में बम लेकर फेंकता है। उमेश पाल की हत्या में इस कुख्यात अपराधी ने बेखौफ होकर बम फेंका था। इसी घटना में एक पुलिसकर्मी की भी जान गई थी। उसका आका अतीक अब मिट्टी में मिल चुका है। यूपी पुलिस की एसटीएफ गुड्डू बमबाज की तलाश कर रही है। पूर्वांचल के इस शातिर बदमाश के बमबाज बनने की कहानी भी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है।
शनिवार यानी 15 अप्रैल को यूपी के प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ की तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. ये हमला तब किया गया जब दोनों भाइयों को मेडिकल चेक-अप के लिए ले जाया जा रहा था। हमले के वक्त अतीक और अशरफ के आस-पास न सिर्फ पुलिस मौजूद थी बल्कि वह मीडियाकर्मियों से भी घिरा हुआ था।
मरने से पहले जुबान पर था गुड्डू...
गोली चलने के कुछ सैकंड पहले ही अतीक और अशरफ ने मीडिया से बात की थी और अशरफ ने कैमरे पर गुड्डू मुस्लिम का नाम लेते हुए उसके बारे में कुछ कहना शुरू ही किया था कि सामने से गोली चली और दोनों की हत्या कर दी गई। ऐसा माना जा रहा है कि गुड्डू मुस्लिम के पास बड़े राज हैं, जिनकी तलाश पुलिस कर रही है। वहीं, एसटीएफ को रिमांड के दौरान मिली जानकारी के अनुसार गुड्डू मुस्लिम अतीक अहमद का खास शूटर था और वही उसका सारा नेटवर्क संभालता था।
‘बमबाज’ के नाम से जाना जाता है गुड्डू मुस्लिम
गुड्डू मुस्लिम वो नाम है जिसे अशरफ अहमद गोली चलने से तुरंत पहले ले रहा था। गुड्डू मुस्लिम को बम बनाने वाले एक्सपर्ट के नाम से भी जाना जाता है। उसके बारे में ये भी मशहूर है कि उसने प्रकाश शुक्ला, मुख्तार अंसारी, धनंजय सिंह और अभय सिंह समेत यूपी के कई बड़े माफिया गिरोहों के लिए काम किया है। गुड्डू अतीक अहमद के साथ भी काम कर चुका है।
गुड्डू मुस्लिम के बारे में कहा जाता है कि उसने अपराध की दुनिया में कदम महज 15 साल की उम्र में ही रख दिया था। वह शुरुआत में छोटी-मोटी चोरियां करता रहता था लेकिन कुछ समय बाद बाहुबलियों के साथ जुड़ता गया और बम बनाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे गुड्डू इन गिरोहों के बीच इतना मशहूर हो गया कि राज्य में होने वाले किसी भी बड़े आपराधिक मामले में गुड्डू मुस्लिम का नाम भी जुड़ने लगा।
कैसा रहा बचपन
इलाहाबाद (प्रयागराज) में जन्में गुड्डू मुस्लिम का नाम बचपन से ही छोटे मोटे अपराध में लिया जाने लगा था. आगे चलकर उसने अपराध को ही अपना व्यवसाय बना लिया. वह स्कूल में लूट और रंगदारी जैसे काम करने लगा था। धीरे-धीरे गुड्डू मुस्लिम की बढ़ती बदमाशी से परेशान घरवालों ने आगे की पढ़ाई करने के लिए उसे लखनऊ भेज दिया। हालांकि यहां भी वह रुका नहीं। अब तक छोटे-मोटे अपराध करने वाले गुड्डू की मुलाकात पूर्वी उत्तर प्रदेश (पूर्वांचल) के दो बाहुबलियों अभय सिंह और धनंजय सिंह से हुई। यह दोनों ही लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे।
गेम टीचर की हत्या
खबरों के अनुसार गुड्डू मुस्लिम सबसे पहली बार खबरों में तब आया जब उसने अपने लखनऊ के मशहूर लामार्टिनियर स्कूल के गेम टीचर फेड्रिक जे गोम्स की हत्या कर दी। वह साल था 1997। हत्या के मामले में उसकी गिरफ्तारी हुई और जेल भेज दिया गया। इस हत्या में गुड्डू के साथ राजा भार्गव और धनंजय सिंह भी आरोपी था। खबरों की माने तो इस मर्डर को गुड्डू ने कबूल तो कर लिया था लेकिन कोर्ट में यह साबित नहीं हो सका और कोर्ट ने तीनों को बरी कर दिया।
कैसे पड़ा गुड्डू का नाम ‘बमबाज’
24 फरवरी 2023 को गुड्डू मुस्लिम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होने लगा। दरअसल उमेश पाल हत्याकांड के बाद वह एक वीडियो में नजर आया जहां वह जमकर बमबाजी कर रहा है। वीडियो क्लिप में गुड्डू मुस्लिम अरमान बिहारी के साथ बाइक पर नजर आ रहा था। वह बाइक से उतरता है और अपने बैग से देसी बम निकालकर फेंकने लगता है।
 
बिहार के माफिया के लिए काम कर चुका है गुड्डू
54 साल का गुड्डू मुस्लिम ना सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि बिहार के माफियाओं के साथ भी काम कर चुका है. यही कारण है कि उसे फरार होने में मदद मिलती रही. उमेश पाल हत्याकांड के प्लानिंग के दौरान अतीक के बेटे असद ने अपने सभी सहयोगियों का कोड नेम बनाया था, जिसमें गुड्डू मुस्लिम को मुर्गी का नाम दिया गया था। इस कोडनेम को देने की वजह ये कि उसके परिवार का चकिया में चिकन का काम है।
वहीं असद और गुलाम के एनकाउंटर के बाद एसटीएफ ने मुर्गी को पकड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस बीच कई खबर सामने आई थी कि एसटीएफ ने लगभग गुड्डू को पकड़ ही लिया है लेकिन इस खबर की पुष्टि नहीं हो पाई।
श्रीप्रकाश शुक्ला को मानता था गुरु
एक समय पर गुड्डू की मुलाकात अपराध की दुनिया के सबसे खूंखार और यूपी के सबसे चर्चित माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला से हुई। धीरे-धीरे गुड्डू उनका सबसे करीबी हो गया और उसे अपना गुरु मानने लगा। हालांकि श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के बाद वह गोरखपुर के माफिया परवेज टाडा के संपर्क में आया। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करने वाला परवेज टाडा यहां जाली नोटों की तस्करी के लिए जाना जाता था। वहां गुड्डू परवेज के लिए बम बनाने लगा और परवेज ने ही उसकी मुलाकात बिहार के चर्चित माफिया उदयभान सिंह से करवाईं। इसके बाद वह यूपी से बिहार पहुंचकर उदयभान सिंह के साथ काम करने लगा।
अतीक अहमद का खास
साल 2001 तक गुड्डू अपराध की दुनिया का जाना पहचाना चेहरा हो गया था। उसपर कई मुकदमे भी दर्ज थे और पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी। इसी क्रम में गोरखपुर पुलिस ने उसे पटना से गिरफ्तार किया। ऐसा कहा जाता है कि उस वक्त अतीक अहमद ने ही उसे जेल से बेल दिलवाई थी। उसके बाद से ही गुड्डू अतीक अहमद का दाहिना हाथ बन गया था। गुड्डू ने अतीक के लिए सालों तक काम किया।
राजू पाल की हत्या में आया नाम
वह पूर्व सांसद अतीक अहमद के इशारे पर कई बड़े अपराधों को अंजाम देने लगा और अकेले गैंग को भी संभालने लगा। साल 2005 में बहुजन समाजवादी पार्टी के विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी। इस हत्याकांड में भी अतीक अहमद सहित गुड्डू मुस्लिम का नाम सामने आया था।
 
अतीक अहमद पर थे 100 से ज्यादा मुकदमे
15 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या ने एक बार फिर यूपी पुलिस और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। लेकिन अतीक अहमद के खिलाफ भी कई मामले चल रहे थे। हत्या से पहले उसे साबरमती जेल में रखा गया था और उनके खिलाफ एमपीएमएलए कोर्ट में 50 से ज्यादा मामलों पर सुनवाई चल रही थी। यह सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाती थी। अतीक उन नेताओं में शामिल है, जिसने अपराध की दुनिया से निकलकर राजनीति में अपनी जगह बनाई थी।

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author

Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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