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‘33 घंटे उड़ने की क्षमता से समुद्र में...’, प्रीडेटर ड्रोन पर कांग्रेस को मिला नेवी चीफ से जवाब

सेना

‘33 घंटे उड़ने की क्षमता से समुद्र में...’, प्रीडेटर ड्रोन पर कांग्रेस को मिला नेवी चीफ से जवाब

सेना/नौसेना/Delhi/New Delhi :

अमेरिका से भारत ने 10 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने का सौदा किया है। इसके बाद 23 नए प्रीडेटर ड्रोन भारत में मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत बनाए जाएंगे। नेवी चीफ का मानना है कि भविष्य में भारत इस ड्रोन तकनीक का हब बनने वाला है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे पर जाकर प्रीडेडर ड्रोन खरीदने का सौदा किया। कांग्रेस पार्टी द्वारा इसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। कहा गया कि बेहद अधिक कीमतों पर सरकार ने पुरानी तकनीक को खरीदा है। इसकी काबिलियत को लेकर भी सवाल उठाए गए। इस पर नेवी चीफ एडमिरल आर. हरि कुमार ने जवाब दिया। उनका कहना है कि इस ड्रोन में 33 घंटे तक लगातार हवा में रहने की क्षमता है। नेवी चीफ ने बताया कि मेक इन इंडिया के तहत भारत में भी प्रीडेडर ड्रोन बनाए जाएंगे। भारत भविष्य में इस ड्रोन को बनाने का हब बनने वाला है।
गिनवाई ड्रोन की खासियतें
नेवी चीफ ने बताया, ‘यह ड्रोन 2,500 समुद्री मील तक हवा में रहते हुए निगरानी कर सकता है। ड्रोन को पहले भारत ने पट्टे पर लिया था। फिर 12,000 किलोमीटर तक हवाई उड़ान भरी गई ताकि इसकी क्षमता और खामियों को परखा जा सके। नवंबर 2020 से नेवी इस ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है। दो ड्रोन को समुद्री निगरानी के लिए लीज पर लिया गया था।’
दुश्मन की गतिविधि का लगा सकता है पता
आर हरि कुमार ने बताया कि भारतीय नेवी लंबे वक्त से इस ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है। यह ड्रोन हाई एल्टीट्यूड लांग एंड्यूरेंस श्रेणी में आते हैं। लिहाजा हमनें यह महसूस किया कि समुद्र में निगरानी बढ़ाने के लिए नेवी को इसकी जरूरत है। प्रीडेटर की खासियत को आगे बताते हुए नेवी चीफ ने कहा कि ये आईएसआर मिशन को अंजाम देने की क्षमता रखता है, जिसके तहत ये ड्रोन सूचना इकट्ठा करना, निगरानी करना और सैनिक परीक्षण जैसे काम करेगा। संकट के वक्त ये युद्ध में उतर सकता है। दुश्मन की गतिविधि का पता लगाकर उसे फॉलो करते हुए टार्गेट करने की क्षमता प्रीडेडर में है।
33 घंटे हवा में रहने की क्षमता 
नेवी चीफ ने नक्षा दिखाते हुए कहा, ‘ये एक बहुत बड़ा क्षेत्र हैं, जहां 2,500 से 3,000 समुद्री मील तक निगरानी करनी होती है। ड्रोन हमें यह बताने में मदद करेगा कि कौन इस क्षेत्र में ऑपरेट कर रहा है, जो भारतीय नेवी के लिए काफी अच्छा है।’ उन्होंने कहा प्रीडेटर एक बिना मानव वाला सिस्टम है। सेटेेलाइट के माध्यम से भी हम इतने अच्छे से समुद्र में दूर दराज के क्षेत्रों की निगरानी नहीं कर पाते हैं। यह 33 घंटे हवा में रह सकता है। अगर कोई भी हमारे पानी से होकर गुजरता है उसपर लगातार नजर रखी जा सकती है। हम इससे काफी संतुष्ट हैं। यही वजह है कि हम इसे खरीदने के लिए काफी उत्सुक थे।’

भारत में बनेंगे प्रीडेटर
नेवी चीफ ने कहा, ‘फिलहाल हमारे पास यह तकनीक नहीं है। 40 हजार फुट की ऊंचाई पर हाई एल्टीट्यूड पर उड़ान भरने के कारण यह हाई-एंड श्रेणी में आते हैं। शुरुआती 10 प्रीडेटर अमेरिका में बनकर भारत आएंगे। इसके बाद बाकी के प्रीडेटर भारत में बनेंगे। इससे हमें बहुत-सी टेक्नोलॉजी का फायदा मिलेगा। हमें अमेरिका से रेडार प्रोसेसिंग, सेंसर फ्यूजन, एयरक्राफ्ट के पार्ट, पे-लोड, इंटीग्रेशन ऑफ वैपन आदि मिलेंगे।’
मझोले उद्योगों को मिलेगा फायदा
नेवी चीफ ने कहा क्योंकि कुल 23 प्रीडेटर एयरक्राफ्ट भारत में बनाए जाएंगे। लिहाजा इसके लिए छोटी कंपनियों की जरूरत पड़ेगी। एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) और स्टार्टअप को इसका फायदा मिलेगा। इनके मेंटेनेंस का काम भी भारत में ही होगा। इंजन के पार्ट भी यहीं पर उपलब्ध कराए जाएंगे। यह डील भारत को ड्रोन का हब बना सकती है।

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Jyoti Bala

By News Thikhana

Senior Sub Editor

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